Thursday , 18 September 2025
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उत्तराखंड : डॉक्टरों ने कहा बंद हो चुकी बच्चे की धड़कन, फार्मासिस्ट ने कराई सेफ डिलीवरी

अल्मोड़ा: डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है। लेकिन, कई बार ऐसा भी होता है कि यही धरती के भगवान दूसरों की जान खतरे में डाल देते हैं। ऐसा ही एक मामला गैरसैंण ब्लॉक में एक गांव में सामने आया है।

यहां एक गर्भवती महिला को अस्पताल लाया गया। जहां डॉक्टरों ने यह कहकर उसे रेफर कर दिया कि बच्चे का एक पैर बाहर निकल गया था। इतना ही नहीं परिजनों के महिला को नहीं ले जाने पर पुलिस को बुलाने की धमकी तक दे डाली।

मजबूरन परिजन महिलाओं को एंबुलेंस में हायर सेंटर ले जाने लगे। लेकिन उससे पहले ही रानीखेत में फार्मासिस्ट ने महिला का सुरक्षित प्रसव करा दिया। इससे डॉक्टरों के दावे और उनके कार्य करने की शैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

मामला रविवार का है। प्रसव पीड़ा से कराह रही गर्भवती को CHC में इलाज नहीं मिला। नवजात का पैर बाहर निकलकर नीला पड़ चुका था। डॉक्टरों ने यह कहकर प्रसव कराने से इन्कार कर दिया कि बच्चे की धड़कन बंद है। जबकि, वह बच्चा अब पूरी तरह से सुरक्षित है।

गैरसैंण ब्लॉक के ग्राम पंचायत कोलानी के तोक खोलीधार निवासी कुसुम देवी (23) रविवार को करीब डेढ़ किमी पैदल चलने के बाद सड़क तक पहुंची।

परिजन उसे टैक्सी से करीब 18 किमी दूर सीएचसी चौखुटिया लाए। परिजनों के अनुसार कुसुम की प्रसव पीड़ा इतनी बढ़ गई थी कि बच्चे का पैर बाहर निकल गया था, लेकिन सीएचसी में तैनात डॉक्टरों ने डिलीवरी कराने से मना कर दिया।

उन्होंने यह कहकर रेफर कर दिया कि बच्चे की धड़कन बंद हो चुकी है। ज्यादा विलंब करने पर महिला के लिए भी खतरा पैदा हो सकता है। आरोप है कि एक डॉक्टर ने पुलिस बुलाने की धमकी तक दे डाली।

बाद में परिजन 108 एंबुलेंस से उसे रानीखेत ले गए। दो किमी चलने पर बाखली के पास कुसुम का दर्द असहनीय हो गया। बच्चे के दोनों पैर बाहर निकल गए। यह देख एंबुलेंस में मौजूद फार्मासिस्ट सरिता खंपा ने किसी तरह सुरक्षित प्रसव करा लिया।

इसके बाद जच्चा-बच्चा को फिर से सीएचसी ले जाया गया। इस तरह के मामलों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और जिम्मेदार डॉक्टर और कर्मचारियों को सख्त एक्शन लिया जाना चाहिए।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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