देहरादून | उत्तराखंड के शिक्षा विभाग ने बड़ा फैसला लेते हुए राज्यभर के 900 शिक्षकों और कर्मचारियों के अटैचमेंट को खत्म कर दिया है। शिक्षा महानिदेशक झरना कमठान ने इस संबंध में आधिकारिक निर्देश जारी कर दिए हैं। अब ये सभी शिक्षक और कर्मचारी अपने मूल विद्यालयों में वापस लौटेंगे। हालांकि, गंभीर बीमारियों से ग्रसित शिक्षक और विद्या समीक्षा केंद्र में कार्यरत कर्मियों को इस आदेश से छूट दी गई है।
कैसे हुआ फैसला?
शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने 8 फरवरी 2025 को हुई बैठक में शिक्षकों के अटैचमेंट को खत्म करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद शिक्षा विभाग ने कार्रवाई करते हुए संबद्धता खत्म करने का आदेश जारी किया।
900 शिक्षकों का अटैचमेंट खत्म
शिक्षा महानिदेशक के अनुसार, कई शिक्षक और कर्मचारी अपने मूल विद्यालयों को छोड़कर अन्य विद्यालयों और कार्यालयों में संबद्ध थे। अमर उजाला ने 23 सितंबर 2024 को इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था और बताया था कि किस तरह से मनचाही तैनाती के लिए संबद्धता का खेल चल रहा है। इस खबर के बाद शिक्षा मंत्री ने रिपोर्ट तलब कर कार्रवाई के निर्देश दिए थे।
जरूरतमंद विद्यालयों में होगी तैनाती
महानिदेशक झरना कमठान ने कहा कि शिक्षकों की तैनाती अब उन विद्यालयों में की जाएगी, जहां उनकी सबसे अधिक आवश्यकता है। खासतौर पर—
- जहां पर्याप्त छात्र संख्या है, लेकिन विषय शिक्षक नहीं हैं।
- जहां शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं या तबादले के कारण पद खाली हैं।
- जहां लंबे समय से शिक्षक छुट्टी पर हैं और पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
भविष्य में क्या होगा?
आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि भविष्य में किसी भी शिक्षक को संबद्ध करने से पहले शासन की अनुमति लेना अनिवार्य होगा। आवश्यकता अनुसार शिक्षकों को नियुक्त करने के लिए निदेशालय प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजेगा।
शिक्षा महानिदेशक का बयान
“शासनादेश के तहत जो शिक्षक अटैच हैं, उन्हें छोड़कर बाकी सभी का अटैचमेंट खत्म कर दिया गया है। निर्देश दिया गया है कि इन्हें उनके मूल विद्यालयों में वापस भेजा जाए और जरूरतमंद विद्यालयों के लिए नई तैनाती का प्रस्ताव तैयार किया जाए।”
– झरना कमठान, शिक्षा महानिदेशक
सरकार की सख्ती से शिक्षकों में हलचल
इस आदेश के बाद उन शिक्षकों और कर्मचारियों में हलचल है, जो वर्षों से सुविधाजनक स्थानों पर संबद्ध थे। अब इन्हें अपने मूल विद्यालयों में लौटकर शिक्षण कार्य करना होगा
सरकार के इस फैसले से शिक्षा व्यवस्था में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है, ताकि हर विद्यालय में योग्य शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।