Tuesday , 22 July 2025
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उत्तराखंड: दूध में खतरनाक मेलामाइन, फेल हो गए आंचल के सैंपल, जानें कितना बड़ा है खतरा!

देहरादून: दूध हर घर की जरूरत है। वैसे तो कई ब्रांड का दूध बाजार में बिकता है। लेकिन, उत्तराखंड के अपने ब्रांड आंचल की डिमांड भी किसी से कम नहीं है। डेयरी फेडरेशन का यह ब्रांड कई सालों से लोगों की पसंद बना हुआ है। आंचल दूध को लेकर चौंकाने वाली खबर सामने आई है। आंचल दूध के सैंपल फेल पाए गए हैं।

इस ामले में शासन ने डीएम देहरादून को जांच के आदेश दिए हैं। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो सचिव दुग्ध विकास विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर एक सप्ताह में रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। वहीं, विभाग ने दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के प्रधान प्रबंधक नरेंद्र सिंह से जवाब तलब किया है।

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दरअसल, जिला खाद्य आपूर्ति विभाग ने जनवरी 2023 में दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ देहरादून से दूध की गुणवत्ता जांच के लिए नौ सैंपल लिए थे। जांच में आंचल गोल्ड मिल्क दूध में मेलामाइन की मात्रा निर्धारित मानकों से अधिक पाई गई। खाद्य आपूर्ति विभाग की ओर से तीन फरवरी 2023 को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत दुग्ध संघ को नोटिस जारी कर अपील प्रस्तुत करने के लिए 30 दिन का समय दिया गया था, लेकिन दुग्ध संघ के प्रधान प्रबंधक ने नोटिस पर कोई कार्रवाई नहीं की।

इस मामले में सचिव दुग्ध विकास डॉ. VBRC पुरुषोत्तम ने जिलाधिकारी देहरादून को जांच कर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। वहीं, उत्तराखंड सहकारी डेयरी फेडरेशन के प्रबंध निदेशक जयदीप अरोड़ा ने भी दुग्ध संघ के प्रधान प्रबंधक से पूरे प्रकरण में जवाब तलब किया है।

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ये हैं मानक
विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ के मानकों और संयुक्त राष्ट्र की खाद्य मानक इकाई कोडेक्स एलमेन्टेरियस कमीशन के दिशा निर्देशों के अनुसार बच्चों के लिए तैयार किए जाने वाले मिल्क पाउडर में मेलामाइन की मात्रा प्रतिकिलो में एक मिलीग्राम और अन्य आहार तथा पशुओं के लिए इस रसायन की मात्रा 2.5 मिलीग्राम प्रति किलो से अधिक नहीं होनी चाहिये।

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मेलामाइन का ये है खतरा
मेलामाइन के कण गुर्दों में जमा हो जाते हैं। सफेद-सफेद टाइल्स के जैसी पथरी बनाते हैं। इसके संपर्क में आने वाली कोशिकाएं आरओएस नामक केमिकल बनाती हैं, जो खतरनाक कैंसर पैदा करती हैं। इस पर अब तक कई रिसर्च पेपर आ चुके हैं। लंबे समय तक इसका इस्तेमाल करने से यह स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकता है। इससे मुख्य रूप से मूत्राशय क्षतिग्रस्त हो जाता है और कभी-कभी मूत्राशय कैंसर होने का खतरा भी हो जाता है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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