- कॉमरेड इन्द्रेश मैखुरी की कलम से…
18 मई को उत्तरकाशी का एक युवक प्रवीण जयाड़ा कोरोना पॉज़िटिव पाया गया. जिस समय उसकी रिपोर्ट आई,उस समय वह बड़कोट में राजकीय महाविद्यालय स्थित क्वारंटीन सेंटर में संस्थागत क्वारंटीन में था. लेकिन संस्थागत क्वारंटीन में होने के बावजूद उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता(आईपीसी) की दफा 307 सहित कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया और उसे एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया.
इस युवा ने कुछ छुपाया नहीं
इस युवा ने कुछ छुपाया नहीं. महाराष्ट्र से वापस लौटते हुए ऋषिकेश में एम्स में उसका टेस्ट हुआ. एम्स ने उसे संस्थागत क्वारंटीन में रखने को कहा. एम्स ने भर्ती क्यूँ नहीं किया,पता नहीं. पुलिस ने बाकायदा पास जारी करके उसे उत्तरकाशी जाने वाली सरकारी बस में बैठा दिया और वहाँ से भी सरकारी बस से ही उसे राजकीय महाविद्यालय, बड़कोट के संस्थागत क्वारंटीन सेंटर भेज दिया गया. यह सब सरकारी प्रक्रिया और सरकारी अफसरों की देखरेख में हुआ. लेकिन इसके बावजूद उस पर ट्रैवल हिस्ट्री छुपाने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कर दिया गया,हत्या के प्रयास जैसी संगीन धारा में !
29 मई को मंत्रिमंडल की बैठक में
अब सतपाल महाराज के मामले पर आते हैं. सतपाल महाराज उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. वे, उनके परिजन और स्टाफ समेत 22 लोग कोरोना पॉज़िटिव पाये गए हैं. उनके आवास पर 26 मई को होम क्वारंटीन का नोटिस चस्पा किया गया. हालांकि प्रश्न यह भी उठ रहे हैं कि 20 मई को जारी नोटिस को चस्पा होने में चार दिन क्यूँ लगे ! लेकिन 26 मई को होम क्वारंटीन का नोटिस चस्पा होने के बावजूद सतपाल महाराज 29 मई को मंत्रिमंडल की बैठक में शरीक हुए.
कोरोना पॉज़िटिव पाये गए
न केवल उनकी पत्नी, बहुएँ बल्कि जब स्वयं सतपाल महाराज भी कोरोना पॉज़िटिव पाये गए हैं तो क्या उनके विरुद्ध जान बूझ कर मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों और अफसरों का जीवन खतरे में डालने के लिए मुकदमा नहीं दर्ज किया जाना चाहिए ? अगर ऐसा करने के लिए राज्य की पुलिस अन्य लोगों पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कर रही है तो आईपीसी की दफा 307 का मुकदमा तो सतपाल महाराज के विरुद्ध भी दर्ज होना चाहिए.
सहानुभूति की जरूरत
निश्चित ही बीमारी के वक्त व्यक्ति को सहानुभूति की जरूरत होती है. सतपाल महाराज,उनके परिजनों और अन्य लोगों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हेतु शुभकामनाएँ हैं. परंतु सहानुभूति की जरूरत तो प्रवीण जयाड़ा को भी थी. गरीब पृष्ठभूमि का होने के चलते उसे तो अधिक सहानुभूति और संबल की जरूरत थी. महाराज को अगर मुकदमे से छूट मिलनी चाहिए तो प्रवीण जयाड़ा को भी यह छूट मिले. प्रवीण जयाड़ा पर मुकदमे को उत्तराखंड पुलिस और उसके आला अफसर जायज और वीरता पूर्ण कृत्य समझते हैं तो आगे बढ़ कर सतपाल महाराज के विरुद्ध भी 307 का मुकदमा दर्ज करके,ऐसे ही शौर्य का प्रदर्शन करें !