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उत्तराखंड : AIIMS में देहरदून से लूट का खेल, ऐसे उठाया जाता है मजबूरी का फ़ायदा!

देहरादून: AIIMS ऋषिकेश में लोग अपने मरीजों के बेहतर इलाज के लिए जाते हैं, लेकिन बेड नहीं मिलने के कारण लोगों को लूट का शिकार होना पड़ता है। ये ऐसी लूट है, जिसका उनको सीधेतौर पर पता ही चलता है। लेकिन, वो लूटे जा रहे होते हैं। अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार AIIMS में रेफरल रैकेट एक्टिव है। ये मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाकर तीमारदारों को लूट रहा है।

बताया जा रहा है कि कुछ एंबुलेंस संचालक और चालक AIIMS की इमरजेंसी से रेफर और उपचार के लिए आए मरीजों को फंसाकर देहरादून के निजी अस्पताल में भर्ती करवा रहे हैं। इसके लिए एंबुलेंस संचालकों और चालकों को प्रत्येक मरीज के लिए 10 से 15 हजार रुपये का कमीशन मिलता है।

एम्स ऋषिकेश के प्रशासनिक तंत्र की विफलता के चलते अस्पताल मरीजों और तीमारदारों से कमीशनखोरी और लूट खसोट का अड्डा बन गया। ताजा मामले में AIIMS रेफरल रैकेट के सक्रिय होने का मामला सामने आया है। रेफरल रैकेट में देहरादून के कई निजी अस्पताल, एंबुलेंस संचालक और चालक शामिल हैं। AIIMS ऋषिकेश में बेड उपलब्ध न होने के चलते इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को रेफर किया जाता है।

हालांकि 24 घंटे तक बेड के खाली होने का इंतजार किया जाता है। मरीज के रेफर होने के बाद तीमारदार को इमरजेंसी बेड खाली करने के लिए बोल दिया जाता है। ऐसे में मरीज के तीमारदार के सामने संकट पैदा हो जाता है। वहीं एम्स में उपचार के लिए आए मरीजों को लंबे इंतजार के बाद भी बेड नहीं मिल पाता है। मरीज और तीमारदार एम्स परिसर में पूरा दिन बैठे रहते थे।

अस्पताल परिसर में सक्रिय रेफरल रैकेट से जुड़े लोग परेशान तीमारदारों के हाव भाव को पहचान लेते हैं। ये लोग तीमारदारों को एंबुलेंस संचालकों या चालकों से संपर्क करने के लिए कहते हैं। कई बार तीमारदार सीधा भी एंबुलेंस संचालक या चालक के पास पहुंच जाता है। यहां लूटखसोट का खेल शुरू होता है। एंबुलेंस संचालक और चालक मरीज के तीमारदार को छूट का झांसा देकर देहरादून के निजी अस्पताल में भर्ती करने की बात कहकर फंसा लेते हैं। इसके बाद एंबुलेंस चालक मरीज को निजी अस्पताल ले जाता है।

मरीज के भर्ती होने के साथ एंबुलेंस चालक या संचालक को 10 से 14 हजार रुपये कमीशन का भुगतान कर दिया जाता है। वहीं उपचार के बाद मरीज के तीमारदार को भारी भरकम बिल पकड़ा दिया जाता है। रोजाना दर्जनों मरीजों के तीमारदार रेफरल रैकेट का शिकार बनते हैं। कई बार एंबुलेंस संचालक और चालकों में मरीजों को निजी अस्पताल भर्ती कराने को लेकर विवाद, गाली गलौज और मारपीट होती है, लेकिन इस घटनाओं को आपसी विवाद का नाम देकर अंदरखाने ही निपटा दिया जाता है।

इसका खुलासा तब हुआ था, जब कुछ एंबुलेंस चालकों और रैकेट से जुड़े अन्य लोगों ने के एक महिला तिमारदार के साथ मारपीट की थी। महिला ने पुलिस से शिकायत की, जिसके बाद जांच में ये बड़ा खुलासा हुआ है। देहरादून के प्राइवेट अस्पताल प्रत्येक मरीज को लाने के लिए एंबुलेंस संचालक या चालक को 10 से 15 हजार रुपये की कमीशन देते हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अस्पताल संचालक मरीज से कितना पैसा लूटते होंगे।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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