चमोली : तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए मैखुरा में कृषि कानूनों के प्रतियां जलाई गई. किसान आंदोलन द्वारा देशव्यापी चक्का जाम का आह्वान किया गया था तथा उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश को इस चक्का जाम से मुक्त रखा गया था.
भाकपा माले के गढ़वाल सचिव इन्द्रेश मैखुरी ने कहा कि तीन कृषि कानून देश के किसानों की बर्बादी के परवाने हैं.70 दिन से अधिक किसान आंदोलन को हो गए हैं,100 से अधिक किसानों की शहादत हो चुकी है. परंतु केंद्र सरकार पूरी तरह संवेदनहीन बनी हुई है. किसानों की मौत से ज्यादा विदेशी ट्वीटों की चिंता सरकार को ज्यादा हो रही है.साजिश करके अपने लोगों के जरिये सरकारकिसान आंदोलन के नाम पर उपद्रव करवाना चाहती है.
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की कृषि पूरी तरह उपेक्षा का शिकार है.जो लोग खेती कर रहे हैं, वे सुअर,बन्दर बाघ,भालू का आतंक झेलने को विवश हैं. न स्थानीय उत्पादों के खरीद और विपणन की कोई नीति है, न स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहित करने की कोई दृष्टि.सरकार का पूरा ध्यान जमीनें बेचने और शराब व खनन को प्रोत्साहित करने पर है. उत्तराखंड की खुशहाली के लिए पर्वतीय कृषि को लाभकारी बनाया जाना जरूरी है जिसके लिए चकबंदी, भूमि सुधार और भूमिहीनों को भूमि वितरण किया जाना चाहिए और कृषि भूमि की बिक्री पर रोक लगनी चाहिए.
विरोध प्रदर्शन में दिनेश डिमरी, प्रेम सिंह कंडवाल, सतीश मैखुरी, कुलदीप मैखुरी, मथुरा प्रसाद मैखुरी, मनसा राम मैखुरी,अनिल टम्टा, सुखदेव टम्टा, शिव लाल,तोता राम मैखुरी,सचिन मैखुरी आदि शामिल थे