Friday , 25 July 2025
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उत्तराखंड : खतरे में जोशीमठ, रहने लायक नहीं 500 घर, क्या आने वाली है प्रलय!

चमोली: भू-धंसाव के कारण पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व के जोशीमठ शहर पर खतरा मंडरा रहा है। यहां कई दुकानों और घरों में दरारें पड़ गई हैं। एक रिपोर्ट में 500 घरों को रहने लायक नहीं बताया गया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जोशीमठ पर कितना बड़ा संकट मंडरा रहा है। यह वही शहर है, जहां आदिगुरु शंकराचार्य ने ज्योतिर्मठ की स्थापना की थी।

जानकारी भले ही जोशीमठ के मंडरा रहे खतरे को लेकर अब जाग रहे हों, लेकिन, कॉमरेड अतुल सती, इंद्रेश मैखुरी और अन्य समाजिक संगठन लंबे समय से इसको लेकर सरकार चेता रहे हैं। लेकिन, उनकी बातों को बार-बार इग्नोर किया जाता रहा। ऐसा क्यों किया गया, सभी जानते हैं। इन लोगों को विकास विरोधी बताया गया। समय गुजरने के साथ उनके दावे और शंकाए सही साबित हो रही हैं।

इस बीच SDC फाउंडेशन ने उत्तराखंड में आने वाली प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं और दुर्घटनाओं पर अपनी तीसरी रिपोर्ट जारी की है। उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट सिनोप्सिस (उदास) की रिपोर्ट के अनुसार, जोशीमठ में 500 घर रहने के लायक नहीं हैं। रिपोर्ट में जोशीमठ में लगातार हो रहे भूधंसाव को लेकर चिंता जताई गई है। इसके साथ ही सड़क दुर्घटना में क्रिकेटर ऋषभ पंत के घायल होने की घटना को भी एक चेतावनी के रूप में देखा गया है।

रिपोर्ट का प्रमुख हिस्सा इस बार जोशीमठ के भूधंसाव को लेकर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शहर के 500 से ज्यादा घर रहने लायक नहीं हैं। लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने स्थिति से निपटने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है, जिसके कारण उन्हें 24 दिसंबर को सड़कों पर उतरना पड़ा। इस दिन शहर की करीब आठ सौ दुकानें विरोध स्वरूप बंद रहीं। जोशीमठ धंसाव के कारणों का भी रिपोर्ट में जिक्र किया गया है। इसके अलावा राज्य में दिसंबर 2022 में कोई बड़ी आपदा या दुर्घटना नहीं हुई है।

सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज (SDC) फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल के अनुसार ‘उदास’ मंथली रिपोर्ट राजनीतिज्ञों, नीति निर्माताओं, अधिकारियों, शोधार्थियों, शैक्षिक संस्थाओं, सिविल सोसायटी आर्गेनाइजेशन और मीडिया के लोगों के लिए सहायक होगी। इसके साथ ही दुर्घटना और आपदाओं से होने वाले नुकसान के न्यूनीकरण के लिए नीतियां बनाते समय भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा। उत्तराखंड आपदाओं की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। अपने अध्ययन के आधार पर वैज्ञानिक यहां भूस्खलन, भूकंप आने की आशंका लगातार जताते रहे हैं। ऐसे में उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में विशेष तौर पर आपदा तंत्र को मजबूत करने की सख्त जरूरत है।

जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव से स्थिति लगातार बिगड़ रही है। भू-धंसाव ने अब सभी वार्डों को चपेट में ले लिया है। बुधवार को जोशीमठ से 66 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया। अब तक 77 परिवारों को शिफ्ट किया जा चुका है। राज्य सरकार पूरे मामले पर नजर बनाए हुए है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर बृहस्पतिवार को विशेषज्ञों का एक दल जोशीमठ रवाना होगा।

जोशीमठ जाने वाले विशेषज्ञ दल में उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) से डॉ. पीयूष रौतेला, उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र (ULMMC) से डॉ. शांतनु सरकार, IIT रुड़की से प्रो. बीके महेश्वरी, GSI से मनोज कास्था, डब्ल्यूआईएचजी से डॉ. स्वपना मित्रा चौधरी और एनआईएच रुड़की से डॉ. गोपाल कृष्णा को शामिल किया गया है। इससे पहले विशेषज्ञों का यह दल 16 से 20 अगस्त 2022 के बीच जोशीमठ को दौरा कर पहली रिपोर्ट सरकार को सौंप चुका है। यह टीम अगले कुछ दिन जोशीमठ में ही रहकर सर्वेक्षण का कार्य करेगी। इस दौरान दीर्घकालिक और तात्कालिक उपायों के संबंध में टीम सरकार को रिपोर्ट देगी।

विशेषज्ञों के अनुसार जोशीमठ में भू-धंसाव का कारण बेतरतीब निर्माण, पानी का रिसाव, ऊपरी मिट्टी का कटाव और मानव जनित कारणों से जल धाराओं के प्राकृतिक प्रवाह में रुकावट है। शहर भूगर्भीय रूप से संवेदनशील है, जो पूर्व-पश्चिम में चलने वाली रिज पर स्थित है। शहर के ठीक नीचे विष्णुप्रयाग के दक्षिण-पश्चिम में, धौलीगंगा और अलकनंदा नदियों का संगम है। नदी से होने वाला कटाव भी इस भू-धंसाव के लिए जिम्मेदार है।

जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव को रोकने के लिए अस्थाई सुरक्षा कार्य किए जाएंगे। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने बताया कि इन कार्यों को करने के लिए सिंचाई विभाग के प्रस्ताव पर छह फर्मों ने रुचि दिखाई थी। इनमें से चार फार्मों का चयन किया गया है। अब इन फर्मों के तकनीकी प्रस्तावों पर 20 जनवरी को निर्णय लेते हुए फर्म का चयन किया जाएगा। इसके साथ ही असुरक्षित हो चुके भवनों में रह रहे लोगों को दूसरे स्थानों पर बसाए जाने का प्रस्ताव तैयार किया जाएगा।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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