Sunday , 4 May 2025
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श्रद्धालुओं के लिए खुले भगवान बदरीविशाल के कपाट

चारधाम में से एक बदरीनाथ धाम के कपाट वैदिक मंत्रोचारण और जय बदरीविशाल के उदघोष के साथ विधि-विधान से आज रविवार सुबह 6 बजे श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए हैं. इस अवसर पर हजारों से अधिक श्रद्धालु कपाट खुलने के साक्षी बने. यह उत्तराखंड के सबसे अधिक देखे जाने वाले मंदिरों में से एक है, जो मई से नवंबर तक तीर्थयात्रियों के लिए खुला रहता है.

शीतकाल में मंदिर बंद रहता है और उस समय भगवान की पूजा जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में की जाती है. बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारों धाम गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट खुल गए हैं और भक्त दर्शन का लाभ ले रहे हैं.

चतुर्भुज स्वरूप भगवान देते हैं दर्शन

बदरीनाथ धाम को भगवान विष्णु का निवास स्थान माना गया है और यह अलकनंदा नदी के बाएं तट पर नर और नारायण नामक दो पर्वतों के बीच में स्थित है. केदारनाथ धाम को भगवान शिव का आराम करने का स्थल माना गया है, उसी तरह बद्रीनाथ धाम को पृथ्वी का बैकुंठ धाम भी कहा जाता है. यहां भगवान नारायण 6 माह निद्रा में रहते हैं और 6 माह जागते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. यहां भगवान विष्णु की शालीग्राम से बनी चतुर्भुज स्वरूप की पूजा की जाती है.

मंदिर के दीपक का रहस्य

चारधाम में से एक बद्रीनाथ के बारे में एक कहावत बेहद प्रसिद्ध है, जो है ‘जो जाए बदरी, वो ना आए ओदरी’ अर्थात एक बार जो व्यक्ति बद्रीनाथ धाम में आकर पूजा अर्चना कर लेता है, उसको दोबारा गर्भ में नहीं आना पड़ता. मंदिर के कपाट बंद करने से पहले दीपक जलाया जाता है और इस समय मंदिर के आसपास कोई नहीं रहता लेकिन आश्चर्य की बात है कि 6 माह तक दीपक जलता रहता है और भगवान बद्रीनाथ की पूजा होती रहती है. कपाट खुलने के बाद भी दीपक जला रहता है और मंदिर की साफ सफाई वैसे ही मिलती है, जैसी छोड़कर गए थे.

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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