चमोली: धामों में रील्स और वीडियो बनाने पर सरकार ने पाबंदी लगा रखी है। जिसका नजीता यह है कि लोगों के चालान किए जा रहे हैं। लोग अपनी वीडियो बनाने तक में कतरा रहे हैं। बदरीनाथ धाम मंदिर परिसर में बुधवार को रील और वीडियो बनाना 15 लोगों को भारी पड़ गया।
पुलिस ने सभी का चालान कर दिया और आठ घंटे तक उनके मोबाइल भी जब्त रखे। लेकिन, सवाल यह है कि चमोली पुलिस लोगों के फोटो सोशल मीडिया में डालकर उपलब्धि के तौर पर पेश किया जा रहा। चालान करने की कार्रवाई भी ठीक है, लेकिन किसी तीर्थ यात्री को आठ घंटे तक रोके रखना कितना सही है?
सवाल केवल इतना भर नहीं है कि मोबाइल जब्त कर पुलिस क्या साबित करना चाहती है? क्या चालान की कार्रवाई पर्याप्त नहीं थी? ऐसी क्या जरूरत पड़ी मोबाइल जब्त कर लिए गए? सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि जितनी देर तीर्थयात्रियों को मोबाइल जब्त कर रोका गया, उतनी देर में वो या दूसरे धाम का आधा रास्ता तय लेते या फिर अपने गंतव्य मार्ग की काफी फासला तय कर सकते थे।
बदरीनाथ मंदिर परिसर में मोबाइल से रील और वीडियो बनाने हुए पुलिस ने 15 यात्रियों को पकड़ा। पुलिस ने सभी के मोबाइल जब्त कर लिए। करीब आठ घंटे बाद सबका 500-500 रुपये का चालान कर मोबाइल लौटा दिए।
मंदिर परिसर में रील बनाने वालों में बंगाल, आंध्र प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के साथ ही अन्य क्षेत्रों के यात्री शामिल थे। पुलिस कहा कहना है कि अगर लोग नहीं मानते हैं, तो रील और वीडियो बनाने वालों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया जाएगा।