- चन्द्रशेखर पैन्यूली
टिहरी: कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो। इसी कहावत को हकीकत कर दिखाया हमारे प्रतापनगर क्षेत्र के रैका पट्टी मोटणा गॉव निवासी त्रिलोक सिंह रावत ने जिन्होंने देश के बड़े बांधों में एक टिहरी बांध की झील भी है। कोटी कालोनी से भल्डीयाना तक लहरों के विपरीत तैरकर अपने दोनों बेटों के साथ एक रिकॉर्ड बनाया है।
ये पहला मौका है जब किसी भी व्यक्ति ने टिहरी झील में बिना लाइफ जैकेट पहनकर, प्रशासन की अनुमति लेकर इतनी लंबी दूरी की तैराकी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। त्रिलोक रावत और उनके दोनों पुत्रों ने जो साहसिक कार्य किया, उसके बारे में कल्पना करना भी कठिन है। उनकी इस सफलता पर क्षेत्र के लोगों में खुशी की लहर है और लोग खासे उत्साहित हैं।
त्रिलोक रावत ने एक ने लोगों को प्रेरित करने का काम किया है। त्रिलोक रावत और उनके दोनों बेटों ने करीब 4 घंटे में लगभग 12 किमी की तैराकर झील को पार कर दिया। उनकी सलाफजाई के लिए पूर्व राज्यमंत्री और बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष अतर सिंह तोमर समेत अन्य लोग मौजूद रहे।
त्रिलोक रावत और उनके बेटों ने टिहरी झील में साहसिक खेल तैराकी में जो मुकाम हासिल किया है। वह, अपने आप में एक रिकॉर्ड तो है ही। साथ ही लोगों के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है। जिस झील में लोग नाव से जाने में भी घबराते हैं। उन्होंने उस झील को बगैर लाइफ जैकेट के तैरकर पार करने का कारनामा कर दिखया।
आजकल टिहरी झील लबालब है और 830 आरएल यानि जहाँ तक झील में पानी भर सकता है वहाँ तक फुल है ऐसे में हवाओ के साथ लहरे उठती रहती है तब कोटि कलोनी से भागीरथी की तरफ तैरना बेहद कठिन था जिसे तीनो बाप बेटो ने तैरकर एक इतिहास लिखा है।
(नोट: लेखक पत्रकार और लिखवार गांव टिहरी के ग्राम प्रधान हैं।)