पौड़ी: विधानसभा चुनाव की हलचल नजर आने लगी है। विधानसभा क्षेत्रों में भी टिकट के संभावित दावेदार अपनी-अपनी रणनीति के हिसाब से तैयारियों में जुटे हैं। टिकट कैसे हासिल किया जाए, उसके लिए जुगत भिड़ाने में लगे हैं। पौड़ी जिले की चौबट्टाखाल विधानसभा सीट सतपाल महाराज के कारण हॉट सीटों में शामिल है।
इस सीट पर महाराज को कौन कड़ी टक्कर दे सकता है, इसकी चर्चा इन दिनों सोशल मीडिया में जमकर हो रही है। महाराज लोगों के निशाने पर भी हैं। चुनावी समर नजदीक आते ही लोग भी आंकलन करने लगे हैं कि किस विधानसभा सीट में कौन नेता किसको चुनौती दे सकता है।
चौबट्टाखाल विधानसभा सीट पर भाजपा-कांग्रेस के बीच ही मुकाबला है। कांग्रेस को महाराज को टक्कर देने के लिए यहां मजबूत जनाधार वाले नेता की जरूरत है। पिछले चुनाव राजपाल बिष्ट कांग्रेस के उम्मीदवार थे, लेकिन वो चुनाव हार गए। इन दिनों सोशल मीडिया में कांग्रेस प्रदेश सचिव युवा नेता कविंद्र इष्टवाल की खूब चर्चा हो रही है।
कविंद्र इष्टवाल लगातार क्षेत्र में ही जमे रहते हैं। लोगों के हर सुख-दुःख में साथ रहते हैं। लोगों के रोजगार से लेकर हर तरह की मदद के लिए लगातार काम करते रहते हैं। कोरोना काल में भी इष्टवाल ने प्रवासियों की काफी मदद की। युवाओं को स्वरोजगार में मदद की। जब भी किसी को कोई दिक्कत होती है, तो वो मदद के लिए पहुंच जाते हैं।
इष्टवाल निर्दलीय चुनाव भी लड़ चुके हैं और कद्दावरों के बीच तीसरे स्थान पर रहे थे। इससे एक बात तो साफ है कि लोगों के बीच उनकी मजबूत पैठ है। यही पैठ कांग्रेस के लिए जीत की गारंटी बन सकती है, अगर कांग्रेस उनको मैदान में उतारती है। कांग्रेस के क्षेत्रीय कार्यकर्ता भी इस बात की मांग कर रहे हैं। इसके लिए लोग लगातार सोशल मीडिया में अभियान चला रहे हैं।
उनके पक्ष में सबसे मजबूत बात है, वह यह है कि वो क्षेत्र में लगातार बने रहते हैं। बार-त्योहार से लेकर लोगों के सुख और दुख के समय उनके साथ रहते हैं। क्षेत्र की समस्याओं को भी लगातार उठाते रहते हैं। हर छोटी-बड़ी दिक्कतों को लेकर मुखर रहते हैं। कार्यकार्ताओं से मिलना और उनका हाल जानना उनकी खाशियत है। एक और खास बात यह है वो युवाओं और बुजुर्गों दोनों की ही पसंद हैं। एक प्लस प्वाइंट यह है कि इष्टवाल वहां के स्थानीय निवासी हैं। लोगों का कहना है कि अन्य नेता कभी ना तो क्षेत्र में रहे और ना वहां आते हैं। कविं्रद हमेशा उनके साथ ही रहते हैं।
लोगों का कहना है कि महाराज के सामने कविंद्र इष्टवाल ही मजबूत दावेदारी पेश कर सकते हैं। क्षेत्र में इस बात की भी चर्चा है कि सतपाल महाराज चुनाव लड़ेंग या नहीं। कहा जा रहा है कि वो अपने बेटे, पत्नी या बहू में किसीको मैदान में उतार सकते हैं। हालांकि फिलहाल ये सभी बातें केवल चर्चाएं हैं।