Thursday , 21 August 2025
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कोराना योद्धा को सलाम: वर्दी का फर्ज…मां अस्पताल में, बेटा कारोना से जंग का “सेनापति”

देहरादून: जब आप वर्दी में होते हैं। तब आपके सामने वर्दी का फर्ज और अपनों का ख्याल रखने की भी जिम्मेदारी होती है। लेकिन, जब फर्ज अदा करने की बारी आती है, तो सच्चा सिपाही हमेशा ही वर्दी के फर्ज को चुनता है। इन दिनों कोरोपा महामारी के दौर में कुछ ऐसा ही उदाहरण उत्तराखंड के डीजी लाॅ एंड आॅर्डर अशोक कुमार ने भी पेश किया है।वर्दी हमेशा फर्ज की मांग करती है और सच्चा देशभक्त हमेशा ही वर्दी के फर्ज को चुनते हैं।

हार्ट अटैक आया

डीजी अशोक कुमार की मां को एक अप्रैल को हार्ट अटैक आया। उन्होंने अपनी मां को मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया। डाॅक्टरों ने तत्काल आॅप्रेशन की सलाह दी। डीजी अशोक कुमार चाहते तो वो अपनी मां का इलाज कराने के लिए अस्पताल में वही रह सकते थे। वो जिस मुकाम पर हैं, उनको छुट्टी भी मिल जाती। लेकिन, उन्होंने छुट्टी लेने के बजाय अपना फर्ज चुना और ड्यूटी पर डट गए।

कानून व्यवस्था की कमान संभाले हुए हैं

पुलिस महानिदेशक अपराध और कानून अशोक कुमार हर दिन कानून व्यवस्था की कमान संभाले हुए हैं। वो सुबह से शाम तक कंट्रोल रूम से हर अपडेट ले रहे हैं।

लोगों से जागरूक और सकतर्क रहने की अपील

फेसबुक, मीडिया के जरिए लोगों से जागरूक और सकतर्क रहने की अपील कर रहे हैं। लोगों को घरों से बाहर नहीं आने के लिए कह रहे हैं। राज्य में कानून से जुड़ी हर गतिविधि पर उनकी पैनी नजर है। ये वक्त ऐसा है कि जरा सी चूक बहुत भारी पड़ सकती है। इस बात को वो बखूबी जानते हैं। यही कारण है कि मां को अस्पताल में छोड़कर वो वर्दी का फर्ज अदा कर रहे हैं। उनकी मां का आॅप्रेशन हो चुका है और अब वे भी स्वस्थ हैं।

मां का हाल जानने पहुंच जाते हैं

डीजी अशोक कुमार इसलिए भी मिसाल हैं कि वो लोगों की मदद के लिए हर वक्त तैयार रहते हैं। उनकी संवेदनशीलता ऐसी कि वो सोशल मीडिया के जरिए भी कई बार लोगों तक मदद पहुंचा चुके हैं। जवानों पर कभी दबाव नहीं बनाते। उनको बेहतर करने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। ऐसा भी नहीं है कि उन्होंने बिल्कुल ही मां को छोड़ दिया हो। उनको जब भी थोड़ा वक्त मिलता है, मां का हाल जानने पहुंच जाते हैं। कोरोना जैसे महामारी के बीच जाहिर है पुलिस को सख्त भी होना पड़ता है, लेकिन जिस तरह से उनके नेतृत्व में उत्तराखंड पुलिस स्थितियों को संभाल रही है। लोगों की मददगार बन रही है। उसके लिए सैल्यूट तो बनता ही है…जय हिन्द।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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