पौड़ी: कोरोना से बचने के लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकारें तक अपने-अपने स्तर पर काम कर रही हैं। उत्तराखंड सरकार ने मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है, लेकिन संकट इस बात का है कि मास्क आएंगे कहां से…? पीएम मोदी की बात को मानने के लिए लोग तैयार हैं और अपने प्रयासों से घर पर ही मास्क बना रहे हैं। लेकिन, इसमें एक बड़ा संकट ये खड़ा हो गया है कि गांव में मास्क बनाने के लिए पकड़े तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। ऐसे में कोरोना वारियर्स बने सामाजिक कार्यकर्ता कविंद्र इष्टवाल अपने प्रयासों से ग्रामीण क्षेत्रों में बांटने के लिए कपड़े के मास्क बना रहे हैं।
कविंद्र इष्टवाल अपने खर्च से कपड़े खरीदकर ला रहे हैं। गांव की महिलाओं से मास्क बनाने का काम कर रहे हैं। इससे महिलाओं को तो रोजगार मिल ही रहा है। साथ ही लोगों को कोरोना से सुरक्षा के लिए मास्क बनावा रहे हैं। पिछले कई दिनों से लगातार गांव-गांव जाकर लोगों को सैनिटाइजर का छिड़काव कर रहे हैं। मास्क बांट रहे हैं।
उनका कहना है कि सरकार को लोगों को मास्क देने चाहिए। ऐसी व्यवस्था की जाए, जिससे कम से कम गांव तक कपड़ा पहुंच जाए। लोग कपड़ा मिलने पर कम से कुछ खुद ही मास्क बना लेंगे। सरकार शहरों पर तो फोकस कर रही है, लेकिन गांवों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। आलम यह है कि अब तक ग्राम प्रधानों को चार्ज तक नहीं दिया गया, जिससे कोरोना महामारी से निपटने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ग्राम प्रधान अपने संसाधनों से गांव में मास्क और सैनिटाइजर का छिड़काव कर रहे हैं।