देहरादून: सात साल पहले दीपावली की रात जब पूरा शहर रंग-बिरंगी रोशनियों से जगमगा रहा था। लोग खुशियां बना रहा था। ठीक उसी वक्त एक दरिंदा अपने परिवार के लोगों के साथ खूनी खेल, खेल रहा था। उसने एक के बाद एक अपने ही परिवार के 4 लोगों का बेरहमी से कत्ल कर दिया था। उस दरिंदे आज फांसी की सजा सुनाई गई है। कत्ल करने वाले हरमीत को कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई है। अपर जिला जज पंचम आशुतोष मिश्रा की अदालत में सजा पर आज मंगलवार को सुनवाई हुई । कोर्ट ने अलग-अलग धाराओं में एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
ये था पूरा मामला
हत्याकांड 23-24 अक्तूबर 2014 को कैंट थाना क्षेत्र के आदर्शनगर में हुआ था। यहां होर्डिंग कारोबारी जय सिंह का मकान है। इस मकान में जय सिंह, उनकी पत्नी कुलवंत कौर, बेटी हरजीत कौर, नातिन सुखमणि (तीन साल), नाती कंवलजीत सिंह (पांच साल) और बेटा हरमीत (जय सिंह की पहली पत्नी का बेटा) रहते थे। दीवाली से अगले दिन घर के अंदर से कोई बाहर नहीं निकला था। कुछ देर बाद वहां नौकरानी राजी पहुंची तो उसने देखा कि घर में खून फैला हुआ था। वह अंदर गई तो वहां हरजीत कौर, सुखमणि, जय सिंह और कुलवंत कौर के लहुलूहान शव पड़े थे। दरवाजे की ओट में हाथ में चाकू लिए हरमीत खड़ा था। पास में ही पांच साल का कंवलजीत भी डरा सहमा खड़ा था।
मुकदमे में कुल 21 गवाह पेश हुए
उसके हाथों में भी घाव थे। यह सब नजारा देखकर वह चिल्लाती हुई बाहर आई। आसपास के लोग भी वहां इकट्ठा हो गए। पास में रहने वाले जय सिंह के भाई अजीत सिंह आए और उन्होंने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने तत्काल मौके से हरमीत को मय आला कत्ल (चाकू) के गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने तीन माह बाद हरजीत के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। कुछ समय बाद मुकदमे का ट्रायल सेशन कोर्ट में शुरू हुआ। इस मुकदमे में वादी की ओर से अधिवक्ता बीडी झा भी शामिल रहे।
मुकदमे में कुल 21 गवाह पेश हुए
मुकदमे में कुल 21 गवाह पेश हुए। इन्हीं के आधार पर हरमीत सिंह को आईपीसी की धारा 302 (हत्या), धारा 307 (हत्या का प्रयास) और 316 (गर्भस्थ शिशु की हत्या करना) में दोषी ठहराया गया।
संपत्ति के लिए किया था कत्ल हरमीत ने इस जघन्य हत्याकांड को संपत्ति के लिए अंजाम दिया था। यह बात अभियोजन कोर्ट में साबित करने में सफल रहा। हरमीत ने पकड़े जाने के बाद खुद को दिमागी रूप से बीमार भी बताया था, लेकिन चिकित्सकों की जांच में उसका यह दावा गलत साबित हुआ।
संपत्ति काबिज करना चाहता था
दरअसल, कारोबारी जय सिंह की पहली पत्नी से दो बेटे थे। इनमें एक हरमीत और दूसरा पारस था। पारस अपनी मां के साथ रहता था। जय सिंह और उनकी पहली पत्नी ने तलाक ले लिया था। जय सिंह के भाई अजीत सिंह ने अपनी बेटी हरजीत को बचपन में ही उन्हें गोद दे दिया था। अजीत ने बताया था कि हरमीत ने पहले भी उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी। ताकि, जय सिंह की सारी संपत्ति पर वह काबिज हो सके। कोर्ट में अजीत सिंह की यह गवाही से भी साबित हुआ कि हत्या के बाद हरमीत जय सिंह की संपत्ति काबिज करना चाहता था।
हरमीत ने खुद को दिमागी रूप से बीमार बताया था
इन सबसे बचने के लिए हरमीत ने खुद को दिमागी रूप से बीमार बताया था। वह पहले कुछ बयान नहीं दे रहा था, लेकिन मनो चिकित्सकों से उसकी जांच कराई गई। अधिवक्ता राजीव गुप्ता ने बताया कि चिकित्सकों ने उसके इस दावे को झूठा साबित कर दिया। उसका कभी कहीं किसी मनो चिकित्सक या मनो वैज्ञानिक से इलाज नहीं चलाया गया था।