अमेरिका ने शुक्रवार को बाजार बंद होने के बाद जॉब से जुड़े आंकड़े जारी किए। इसके मुताबिक देश में जुलाई में लोगों को उम्मीद के मुताबिक नौकरियां नहीं मिली और बेरोजगारी दर तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। इससे अमेरिका में एक बार फिर मंदी की आशंका तेज हो गई है। इसे वैश्विक मंदी के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। आज दुनियाभर के शेयर बाजारों में इसका असर दिख रहा है।
भारत में बीएसई सेंसेक्स में कारोबार के दौरान करीब 2,600 अंक की गिरावट आई और निवेशकों के 17 लाख करोड़ रुपये एक झटके में स्वाहा हो गए। जापान के शेयर मार्केट में इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली है। बेंचमार्क निक्केई 225 इंडेक्स 4,451 अंक की गिरावट के साथ बंद हुआ। यह अंक के हिसाब से इसकी अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है।
निक्केई 225 इंडेक्स 12 फीसदी से अधिक गिरावट के साथ बंद हुआ। जुलाई की शुरुआत से यह 24 फीसदी गिर चुका है। जापान और साउथ कोरिया में भारी गिरावट के बीच कुछ समय के लिए ट्रेडिंग रोकनी पड़ी। एशिया-पैसिफिक के दूसरे बाजारों में भी भारी गिरावट देखने को मिली।
कोरिया एक्सचेंज के बेंचमार्क Kospi में आठ फीसदी से ज्यादा गिरावट के बाद कुछ देर के लिए ट्रेडिंग रोकनी पड़ी। ताइवान का Taiex भी 8.4% गिरकर बंद हुआ जो इसकी अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है। ऑस्ट्रेलिया के S&P/ASX 200 इंडेक्स में 3.6% गिरावट आई। हॉन्ग कॉन्ग के Hang Seng इंडेक्स में 2.6% और चीन के Shanghai Composite में 1.2% गिरावट आई है।
अमेरिकी बाजार
शुक्रवार को अमेरिकी शेयर बाजार में भी भारी गिरावट देखने को मिली। जॉब्स के निराशाजनक आंकड़ों से अमेरिकी इकॉनमी के कमजोर पड़ने की आशंका बन रही है। पिछले सत्र में Dow 1.5%, S&P 500 इंडेक्स 1.8% और Nasdaq Composite इंडेक्स 2.4% गिरावट के साथ बंद हुए। Nasdaq अपने 10 जुलाई के उच्चतम स्तर से 10 फीसदी से ज्यादा नीचे आ चुका है। इसका असर दूसरे मार्केट्स में भी दिख रहा है। शुक्रवार को कच्चा तेल जनवरी के बाद सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ। ब्रेंट क्रूड और डब्ल्यूटीआई क्रूड में तीन फीसदी से ज्यादा गिरावट रही।