Tuesday , 14 October 2025
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जमीन घोटाले में जिला पंचायत अध्यक्ष, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के पुत्र समेत सात के खिलाफ मुकदमा

हल्द्वानी: भूमि विनियमितीकरण में धोखाधड़ी और लाखों रुपये के राजस्व नुकसान के नौ साल पुराने मामले में जिला पंचायत अध्यक्ष दीपा दरम्वाल, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के पुत्र हरेंद्र कुंजवाल समेत सात लोगों के खिलाफ काठगोदाम थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। आईजी कुमाऊं के निर्देश पर दर्ज इस मामले में बसंतपुर किशनपुर निवासी रविशंकर जोशी ने शिकायत की है।

 

शिकायत के अनुसार, गौलापार के ग्राम देवला तल्ला पजाया में 53 बीघा जमीन को 2016 में बलवंत सिंह के नाम वर्ग-एक ख से वर्ग-एक क में परिवर्तित किया गया। इस प्रक्रिया में राजनैतिक रसूख वाले भूमाफियाओं और राजस्व अधिकारियों ने मिलकर फर्जी शपथ-पत्र प्रस्तुत किए और तथ्यों को छिपाया। बलवंत सिंह ने नजराना राशि जमा करने का झूठा शपथ-पत्र दिया, जिसे अधिकारियों ने स्वीकार कर लिया। बाद में डीएम कार्यालय के निर्देश पर जमा राशि के साक्ष्य मांगे गए, लेकिन कोई सबूत नहीं दिया गया।

 

आरोप है कि बलवंत सिंह के पास गौलापार के जगतपुर में कई हेक्टेयर वर्ग-एक क कृषि भूमि पहले से दर्ज थी, फिर भी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सीलिंग सीमा (12.5 एकड़) से अधिक जमीन का विनियमितीकरण कर लिया गया। 10 मार्च 2016 को बलवंत ने 3.107 हेक्टेयर जमीन कमलुवागांजा गौड़ निवासी रविकांत फुलारा को दान कर दी, जबकि उनके दो पुत्र जीवित थे। रविकांत ने इस दाननामे के लिए 19 लाख रुपये स्टांप शुल्क जमा किया।

 

इसके बाद 9 मई 2016 को यह जमीन दीपा दरम्वाल, हरेंद्र कुंजवाल, उद्योगपति की पत्नी मीनाक्षी अग्रवाल, अरविंद सिंह मेहरा, अजय कुमार गुप्ता, चेतन गुप्ता और अनीता गुप्ता को बेच दी गई। आरोप है कि इन लोगों ने राजस्व अधिकारियों के साथ मिलकर बेशकीमती सरकारी जमीन को गलत तरीके से बलवंत के नाम दर्ज करवाया।

 

चार साल पहले उजागर हुआ था मामला

 

रविशंकर जोशी ने 2021 में इस घोटाले को उजागर किया था। मामला लैंड फ्रॉड कमेटी के समक्ष भी उठा, जिसके बाद मुकदमा दर्ज हुआ। शिकायतकर्ता का दावा है कि इस खरीद-फरोख्त में करोड़ों रुपये का काला धन खपाया गया। रविकांत फुलारा को धमकाकर बैनामा करवाया गया और 3.25 करोड़ रुपये वापस ले लिए गए, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई।

2024 में तत्कालीन जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल ने 7.68 एकड़ विवादित जमीन को सरकारी स्वामित्व में लेने और कब्जा लेने के निर्देश दिए थे, लेकिन एसडीएम ने इन आदेशों का पालन नहीं किया। कार्रवाई में देरी से भूमाफियाओं और प्रभावशाली नेताओं की प्रशासन पर पकड़ का अंदाजा लगता है। पुलिस जांच की निष्पक्षता और प्रभावशीलता सरकार की मंशा पर निर्भर करेगी।

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