Wednesday , 17 December 2025
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अग्निवीर के शहीद परिवार को पेंशन से वंचित करने पर हाईकोर्ट सख्त, केंद्र से मांगा जवाब

मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट ने अग्निपथ योजना के तहत भर्ती अग्निवीरों और नियमित सैनिकों के बीच लाभों को लेकर होने वाले कथित भेदभाव पर केंद्र सरकार को कड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान शहीद हुए अग्निवीर मुरली धोंडिबा नाइक की मां ज्योतिबाई नाइक की याचिका पर रक्षा मंत्रालय को नोटिस जारी करते हुए चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी 2026 को होगी।

न्यायमूर्ति रविंद्र वी. घुगे और न्यायमूर्ति वाय. जी. खोब्रागड़े की खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा, “अग्निवीर भी सीमा पर नियमित सैनिकों की तरह ही गोली खाते हैं, वही जोखिम उठाते हैं। फिर उनके परिवार को पेंशन और अन्य दीर्घकालिक लाभ क्यों नहीं मिलते?”

याचिका में क्या है दावा? याचिका में कहा गया है कि 9 मई 2025 को पुंछ सेक्टर में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी गोलीबारी में शहीद हुए अग्निवीर मुरली नाइक (महाराष्ट्र के सातारा जिले के निवासी) के परिवार को केवल एक करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि और कुछ अन्य सीमित लाभ दिए गए, जबकि समान परिस्थिति में शहीद होने वाले नियमित सैनिक के परिवार को आजीवन फैमिली पेंशन, एक्स-ग्रेशिया, कैंटीन सुविधा, मेडिकल लाभ और अन्य कल्याणकारी योजनाएं मिलती हैं।

याचिकाकर्ता का कहना है कि अग्निवीर और नियमित सैनिक के बीच यह भेदभाव “मनमाना, तर्कहीन और असंवैधानिक” है तथा संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन करता है।

ऑपरेशन सिंदूर का बैकग्राउंड याचिका में उल्लेख है कि अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत के बाद भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई के तहत ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था। इसी अभियान के दौरान 9 मई को पुंछ में पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी में अग्निवीर मुरली नाइक शहीद हो गए थे। वे जून 2023 में अग्निपथ योजना के तहत सेना में भर्ती हुए थे।

शहीद होने के बाद उनकी मां ने कई बार रक्षा मंत्रालय, सेना मुख्यालय और संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखकर नियमित सैनिकों के समान लाभ देने की मांग की, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।

याचिका की प्रमुख मांगें

  • शहीद अग्निवीरों के परिवारों को भी नियमित सैनिकों की तरह आजीवन फैमिली पेंशन और अन्य सभी कल्याणकारी लाभ दिए जाएं।
  • अग्निपथ योजना के उन प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित किया जाए जो अग्निवीरों और नियमित सैनिकों में भेदभाव करते हैं।

हालांकि याचिका में पूरी अग्निपथ योजना की वैधता को चुनौती नहीं दी गई है, सिर्फ भेदभावपूर्ण प्रावधानों पर सवाल उठाया गया है। गौरतलब है कि अग्निपथ योजना 2022 में शुरू की गई थी और इसके तहत भर्ती सैनिकों को चार साल की सेवा के बाद बिना पेंशन के रिटायरमेंट दिया जाता है। योजना शुरू होने के बाद से ही इसे लेकर देशभर में विरोध और कानूनी चुनौतियां चल रही हैं।

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