तेलंगाना की रेवंत रेड्डी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सर्वोच्च न्यायालय ने उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें राज्य सरकार ने ओबीसी समुदायों के लिए बढ़ाए गए आरक्षण पर हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई अंतरिम रोक को चुनौती दी थी।
दरअसल, रेवंत रेड्डी सरकार ने हाल ही में ओबीसी समुदाय के लिए आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का फैसला लिया था। इस निर्णय को तेलंगाना विधानसभा से भी मंजूरी मिल चुकी थी। हालांकि, इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, जिसके बाद उच्च न्यायालय ने सरकार के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
राज्य सरकार ने इस रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, लेकिन शीर्ष अदालत ने भी राहत देने से इनकार कर दिया। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि जाति आधारित आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती, और इस संवैधानिक मर्यादा का पालन किया जाना आवश्यक है।
यह भी उल्लेखनीय है कि 1992 के इंदिरा साहनी बनाम भारत सरकार (मंडल आयोग) केस में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि आरक्षण सीमा बढ़ाने का उद्देश्य स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी समुदाय को 42 प्रतिशत प्रतिनिधित्व देना है। उन्होंने कहा कि विधानसभा में यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ है, इसलिए बिना विस्तृत सुनवाई के इस पर रोक लगाना उचित नहीं है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की इन दलीलों को स्वीकार नहीं किया और कहा कि हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश में हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। अब हाईकोर्ट में इस मामले पर आगे की सुनवाई जारी रहेगी। उच्च न्यायालय ने 9 अक्टूबर को इस मुद्दे पर सुनवाई की थी और राज्य सरकार से चार हफ्तों के भीतर विस्तृत जवाब मांगा था।