Thursday , 19 June 2025
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बेटे ने उठाया बड़ा कदम, विधवा मां का कराया पुनर्विवाह

महाराष्ट्र के कोल्हापुर को कई समाजसुधारकों की जन्मभूमि है। यहां एक 23 वर्षीय युवक ने अपनी 45 वर्षीय विधवा मां की दूसरी शादी करवा दी है। इस युवा की पहचान युवराज शेले के तौर पर की गई है। युवराज का कहना है कि उसकी मां के अकेलेपन के लिए यह फैसला लेना बहुत जरूरी थी। लगभग पांच साल पहले युवराज ने अपने पिता को एक एक्सीडेंट में खो दिया था इस समय युवराज 18 साल के थे। उनके पिता के चले जाने से उनकी मां रत्ना बिल्कुल अकेली पड़ गई थी, इस अकेलेपन ने उनक मां को झकझोर कर रख दिया था।

युवराज ने बताया, “जब मैं सिर्फ 18 साल का था तब अपने पिता को खोना मेरे लिए एक बड़ा सदमा था, लेकिन उनकी मृत्यु ने मेरी मां को काफी प्रभावित किया। उन्हें अकेलेपन से जूझना पड़ा और सामाजिक रूप से अलग महसूस करना पड़ रहा था।” जब शेले अपने परिवार के लिए कमाने लगे तब उन्हें एहसास हुआ कि उनकी मां को किसी साथी की जरूरत है। क्योंकि उनकी मां घर के बाहर भी अपने पड़ोसियों से खास बातचीत नहीं करती थी और घर में अकेले रहती थी।

उन्होंने कहा, “मेरे माता-पिता की शादी को 25 साल हो गए थे। ऐसे में अगर किसी आदमी की पत्नी मर जाती है तो समाज को लगता है आदमी के लिए दोबारा शादी करना स्वभाविक है। लेकिन मैं हैरान हूं कि ऐसा महिलाओं के बारे में ऐसा क्यों नहीं सोचा जाता है। इसके बाद मैंने अपनी मां को दोबारा शादी करने के लिए मनाना शुरू कर दिया।” साथ ही उन्होंने कहा, “कोल्हापुर एक छोटा शहर है जहां लोगों के बीच पारंपरिक मूल्यों को काफी अहमियत दी जाती है। ऐसे में पड़ोसियों और रिश्तेदारों को समझाना काफी मुश्किल था।”

लेकिन, कुछ दोस्तों और रिश्तेदारों की मदद से युवराज शेले ने अपनी मां के लिए दूल्हा ढूंढ़ना शुरू कर दिया। युवराज ने बताया, “कुछ समय के बाद हमें मारुति घनवत के बार में पता लगा फिर हमने कुछ दोस्तों और रिश्तेदारों से उनके बारे में पता किया। इसके बाद हमने शादी को लेकर बातचीत की और शुरुआत में ही शादी के लिए सहमति बन गई। यह अभी भी मेरे लिए एक खास दिन है क्योंकि मैं अपनी मां को सही साथी ढूंढने में सक्षम हूं।
मारुति घनवत ने कहा, ‘मैं कुछ सालों से अकेले ही जीवन जी रहा था। रत्ना से मिलने और उससे बात करने के बाद मुझे लगा कि मैं इस परिवार के साथ रह सकता हूं और वे सच्चे लोग हैं। रत्ना के लिए पुनर्विवाह एक कठिन निर्णय था, क्योंकि वह अपने मृत पति को भूलने के लिए तैयार नहीं थी। रत्नी ने कहा, “मैंने शुरू में इस बात का काफी विरोध किया, मैं अपने पति को भूलने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी। लेकिन इस मुद्दे पर बात करने के बाद मुझे यकीन हो गया। मैंने खुद से यह भी पूछा कि क्या मैं सच में अपना आगे का जीवन अकेले बिताना चाहती हूं।” आपको बता दें, लगभग दो हफ्ते पहले रत्ना और मारुति की शादी की गई थी।
पिछले साल, कोल्हापुर के हेरवाड़ गांव ने भी काफी सुर्खियां बटोरीं थी। दरअसल, वहां विधवापन से संबंधित प्रथाओं को दूर करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया था। वहां पर किसी सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अपने पति को खो चुकी महिलाओं को बहिष्कृत कर दिया जाता था। इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने एक आधिकारिक आदेश जारी कर सभी निकायों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि उनके अधिकार क्षेत्र में इस तरह की प्रथाओं का पालन न किया जाएं।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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