Saturday , 2 August 2025
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नैनीताल हाईकोर्ट: नगर पालिका में बाहरी लोगों के नाम जोड़ने वाले अधिकारीयों पर गिरेगी गाज?

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल जिले के बुधलाकोट ग्रामसभा, उधम सिंह नगर की कई ग्राम सभाओं में बाहरी वोटरों और उत्तरकाशी के बड़कोट नगर पालिका क्षेत्र में जोड़े गए बाहरी वोटरों के मामले में सुनवाई की। पंचायत चुनावों की वोटर लिस्ट में बाहरी लोगों के नाम शामिल किए जाने के खिलाफ दायर तीन जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने सभी याचिकाओं को यह कहते हुए निस्तारित कर दिया कि अब जबकि चुनाव संपन्न हो चुके हैं, यदि किसी प्रत्याशी या मतदाता को आपत्ति है तो वह चुनाव याचिका दायर कर सकता है।

दोषी अधिकारी निलंबित

बुधलाकोट के मामले में राज्य निर्वाचन आयोग ने अदालत में पक्ष रखते हुए बताया कि याचिकाकर्ताओं की शिकायत के बाद विवादित वोटर लिस्टों का परीक्षण किया गया है। जिन लोगों के नाम संदेहास्पद या गलत पाए गए, उन्हें सूची से हटा दिया गया है। साथ ही ग्राम विकास अधिकारी (वीडीओ), जिन्होंने बिना उचित सत्यापन के नाम जोड़े थे, उन्हें निलंबित कर दिया गया है।

इतना ही नहीं कोर्ट में आयोग ने यह भी कहा है कि बड़कोट नगर पालिका मामले में जांच कर इसी तरह की कार्रवाई की जा रही है। इससे के एक बात तो साफ है कि नगर पालिका क्षेत्र में वोटर लिस्ट की जिम्मेदारी संभालने वाले अधिकारी के खिलाफ गाज गिरे वाली है। लेकिन, सवाल यह है कि क्या यह किसी एक ही अधिकारी की जिम्मेदारी थी? क्या इसमें वीएलओ के खिलाफ भी एक्शन लिया जाएगा? क्या उन लोगों पर कोई कार्रवाई की जाएगी, जिन्होंने लोगों के दस्तावेज लेकर या फर्जी ढंग से वोटर लिस्ट में नाम लिखवा दिए। ऐसे कई लोग चुनावों में भी बतौर प्रत्याशी शामिल नहीं हो पाए।

याचिका में गंभीर आरोप

नैनीताल जिले के बुधलाकोट निवासी आकाश बोरा द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि उनके गांव की वोटर लिस्ट में 82 बाहरी लोगों के नाम जोड़े गए, जिनमें अधिकांश उड़ीसा और अन्य राज्यों से हैं। शिकायत पर एसडीएम ने जांच कमेटी गठित की थी, जिसने जांच में 18 नाम बाहरी व्यक्तियों के पाए। बावजूद इसके, अंतिम सूची से इन्हें नहीं हटाया गया। कोर्ट में अतिरिक्त 30 संदिग्ध नामों की सूची भी पेश की और आरोप लगाया कि बार-बार शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।

हाईकोर्ट ने उठाए अहम सवाल

सुनवाई के दौरान अदालत ने आयोग से स्पष्ट पूछा कि वोटर लिस्ट तैयार करते समय आधार कार्ड, वोटर आईडी, राशन कार्ड या स्थायी निवास से संबंधित दस्तावेजों का सत्यापन किया गया या नहीं। कोर्ट ने निर्देश दिया कि यदि ऐसा किया गया है तो उसका रिकॉर्ड प्रस्तुत किया जाए। कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि क्या केवल मौखिक सूचना के आधार पर ही नाम जोड़े गए।

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