Wednesday , 24 September 2025
Breaking News

उत्तराखण्ड: वरिष्ठ शिक्षा अधिकारी ने दिया त्यागपत्र, पदोन्नति में देरी से थे नाराज

देहरादून: उत्तराखण्ड के शिक्षा विभाग में लंबे समय तक समर्पित सेवा देने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने पदोन्नति में देरी और प्रशासनिक उदासीनता के चलते त्यागपत्र दे दिया है। अपने अर्द्धशासकीय पत्र में अधिकारी ने 27 मार्च 1999 से शुरू हुई अपनी सेवा के दौरान शिक्षा विभाग, राज्य और हितधारकों के लिए पूर्ण निष्ठा के साथ कार्य करने का उल्लेख किया। उन्होंने शिक्षा योजनाओं और नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन के साथ-साथ नवाचारों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

महत्वपूर्ण योगदान अधिकारी ने अपने पत्र में तीन प्रमुख उपलब्धियों का जिक्र किया। पहला, वर्ष 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा प्रस्तावित राजीव गांधी नवोदय विद्यालय की स्थापना में उनकी अहम भूमिका रही। ननूरखेड़ा में भूमि चयन और समतलीकरण के बाद 9 नवंबर 2002 को प्रथम विद्यालय का शिलान्यास हुआ। आज इस परिसर में राजीव गांधी नवोदय विद्यालय के साथ-साथ इग्नू कार्यालय, एससीईआरटी (दस वर्षों तक) और राज्य का वर्चुअल स्टूडियो संचालित हो रहा है। इस दौरान उन्हें स्थानीय विरोध और तत्कालीन मंत्री हीरा सिंह बिष्ट के गुस्से का सामना करना पड़ा।

दूसरा, वर्ष 2004 में निदेशक विद्यालयी शिक्षा एस.के. माहेश्वरी द्वारा उन्हें उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा अधिनियम और विभिन्न संवर्गों के सेवा नियमों का ड्राफ्ट तैयार करने का दायित्व सौंपा गया। उत्तर प्रदेश के इंटरमीडिएट एक्ट-1921 और बेसिक शिक्षा अधिनियम-1972 को एकीकृत कर नया अधिनियम बनाया गया। साथ ही, 300 से अधिक न्यायालयी मामलों का अध्ययन कर शिक्षकों, मिनिस्टीरियल स्टाफ, प्रारम्भिक शिक्षा, प्रशिक्षित स्नातक, प्रवक्ता, निरीक्षक और प्रधानाचार्यों से लेकर निदेशक तक के लिए सेवा नियम तैयार किए गए। इस आधार पर प्रारम्भिक शिक्षा का राजकीयकरण भी संभव हुआ।

पदोन्नति में देरी से हताशा पत्र में अधिकारी ने बताया कि फरवरी 2025 में घोषित रिक्तियों के बावजूद, अपर निदेशक के पद पर उनकी पदोन्नति आठ माह से लंबित है। इस देरी का कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया, जिससे उनकी हताशा बढ़ी। उन्होंने कहा कि विभाग अधीनस्थ कर्मचारियों से समयबद्ध कार्य की अपेक्षा करता है, लेकिन उनकी स्वयं की आकांक्षाओं की अनदेखी की जा रही है।

विभागीय चुप्पी पदोन्नति में देरी और समुचित कारण न बताए जाने को अधिकारी ने ‘यंत्रणा’ करार दिया। शिक्षा विभाग में इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। यह घटना विभागीय कार्यप्रणाली और वरिष्ठ अधिकारियों के मनोबल पर सवाल उठाती है।

About AdminIndia

Check Also

वसंतकुंज आश्रम संचालक स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती पर 15 छात्राओं से छेड़छाड़ का गंभीर आरोप, आरोपी फरार

नई दिल्ली: दिल्ली के वसंतकुंज क्षेत्र में स्थित एक प्रसिद्ध आश्रम के संचालक स्वामी चैतन्यानंद …

error: Content is protected !!