देहरादून: मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को 10 सितम्बर से पहले विधायक का चुनाव जीतकर आना जरूरी है। विधानसभा की सदस्ता नहीं लेने के कारण वो सीएम पद पर नहीं रह पाएंगे। ऐसे में सीएम तीरथ सिंह रावत के सीट छोड़ने की पहले ही 6 विधायक सीट छोड़ने की लिखित सहमति दे चुके हैं। अब देखना यह होगा कि सीएम किस सीट से चुनाव लड़ते। इनमें निर्दलीय विधायक भी हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक का कहना है कि अब तक 6 विधायकों ने उन्हें लिखित में मुख्यमंत्री के लिए सीट छोड़न के लिए पत्र दिया है। नियमानुसार बगैर विधानसभा की सदस्ता के कोई भी व्यक्ति 6 महीने तक मुख्यमंत्री के पद पर रह सकता है। 6 महीने के भीतर विधानसभा की सदस्ता लेना अनिवार्य है।
मुख्यमंत्री के लिए सीट छोड़ने वालों की बात करें तो सबसे पहला और बड़ा नाम कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत का है, जिन्होंने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के लिए मुख्यमंत्री की शपथ लेने के दिन ही बीजेपी हाईकमान को कोटद्वार विधानसभा सीट छोड़ने के लिए अवगत करा दिया था। साथ ही मीडिया में भी बयान देकर हरक ने सीएम तीरथ के लिए सीट छोड़ने के लिए कह दिया है। हरक सिंह अगर विधायकी छोड़ते हैं तो वह पौड़ी लोकसभा सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ने का भी मन बना रहें हैं।
पौड़ी लोकसभा सीट से ही लैंसडान से भाजपा विधायक दिलिप रावत, यमकेश्वर से ही भाजपा विधायक रितू खंडूरी और बद्रीनाथ से भाजपा विधायक महेंद्र भट्ट भी सीट छोड़ने के लिए तैयार हैं। अगर गढ़वाल लोकसभा सीट से मुख्यमंत्री के लिए सीट छोड़ने वाले विधायकों की बात की जाए तो धर्मपुर विधायक विनोद चमोली भी सीट छोड़ने के लिए तैयार हैं। भीमताल से निर्दलीय विधायक राम सिंह कैंडा भी सीट छोड़ने के लिए तैयार हैं।
सीएम के पास एक विकल्प गंगोत्री विधानसभा सीट का भी है, जो भाजपा विधायक गोपाल रावत के निधन के बाद खाली हुई है। ऐसे में देखना यही होगा कि आखिर मुख्यमंत्री इन 7 विधान सभा सीट में से किसी एक सीट पर चुनाव लड़ते हैं या फिर मुख्यमंत्री के किसी और सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। यह भी कहा जा रहा है कि सीएम तीरथ सिंह रावत गंगोत्री को प्राथमिकता दे सकते हैं। पिछले दिनों उत्तरकाशी दौरे के दौरान उन्होंने इस बात के संकेत भी दिए थे।