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UTTARAKHAND : घर बैठा देता है ‘गठिया’, जानें इससे बचने के उपाय, यहां मिलेगा बेहतर इलाज

ऋषिकेश : हड्डी से संबंधित रोगों में गठिया का दर्द सबसे ज्यादा कष्टकारी होता है, विशेषज्ञों की मानें तो गठिया कोई एक बीमारी नहीं बल्कि यह 100 से अधिक बीमारियों का समूह है। आम भाषा में इसे जोड़ों का दर्द भी कहते हैं। जोड़ शरीर के ऐसे भाग में होते हैं, जहां हड्डियां हमारे घुटनों की तरह होती हैं। इससे अक्सर जोड़ों में आकार और संरेखण में बदलाव होता है। चिकित्सकीय भाषा में गठिया को ऑस्टियो आर्थराइटिस कहा जाता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में इस बीमारी के निदान के लिए सभी आधुनिकतम तकनीक से उपचार उपलब्ध हैं।

गठिया कर दर्द उम्र बढ़ने के साथ

लंबे समय से चले आ रहे हड्डियों के दर्द के बाद उनमें कठोरता, उंगलियों के बीच जोड़ों में हड्डी का बढ़ जाना और सूजन आ जाना गठिया के सामान्य लक्षण हैं। गठिया कर दर्द उम्र बढ़ने के साथ-साथ 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है। इस प्रकार की दिक्कतें ज्यादातर घरों में काम करने वाली गृहणियों में देखने को मिलती हैं।

गृहणियों में कंधे, कलाई और कूल्हे के दर्द

समय के साथ-साथ गृहणियों में कंधे, कलाई और कूल्हे के दर्द के अलावा मांसपेशियों में ऐंठन के व पीठ में दर्द होने की शिकायत ज्यादा होती है। यह इसलिए भी होता है, क्योंकि अमूमन महिलाएं व्यायाम करने की आदी नहीं होती हैं। जिसके चलते मांसपेशियों में दर्द होना शुरू होता है और जोड़ों के दर्द को बढ़ावा मिलने लगता है।

विटामिन डी की कमी से

इसके अलावा, घरों के भीतर सीमित रहकर काम करने वाली गृहिणियों को सूरज की रोशनी नहीं मिल पाती है, इससे विटामिन डी की कमी से उनकी मांशपेशियां कमजोर हो जाती हैं। ऐसी महिलाओं में पीठ दर्द की समस्या उत्पन्न होने लगती है। सर्दियों में कमरों के भीतर के तापमान की कमी से मांशेपेशियां सख्त होने का खतरा भी रहता है। ऐसे में यह जरूरी है कि नियमिततौर से व्यायाम कर मांशपेशियों को मजबूत रखा जाए। इसके अलावा कंप्यूटर के सामने लगातार काम करने वाले लोगों को भी जोड़ों के दर्द की शिकायत रहती है। खासतौर से गर्दन और पीठ का दर्द उन्हें ज्यादा परेशान करता है।लिहाजा ऐसे लोगों को अपनी गर्दन और पीठ की मांसपेशियों की मजबूती पर ध्यान देने के साथ ही समय -समय पर फिजियोथैरेपी भी कररनी चाहिए। विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार इस श्रेणी के लोगों को अल्ट्रासाउंड थैरेपी, गर्म सिकाई और दर्द से राहत के लिए दवाएं लेना उचित रहता है।

आधुनिकतम मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध

एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी ने कहा कि यदि हमारी जीवनशैली स्वस्थ होगी तो हमारा जीवन भी स्वस्थ रहेगा। उन्होंने बताया कि एम्स संस्थान में इस तरह के रोगों से ग्रसित मरीजों के समुचित उपचार की सभी आधुनिकतम मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। इसके लिए संस्थान के आॉर्थोेपैडिक विभाग में आधुनिक प्रणाली की उन्नत गैट लैब के अलावा अल्ट्रासाउंड थैरेपी, दर्द प्रबंधन क्लीनिक, पूरी तरह से सुसज्जित भौतिक चिकित्सा व भर्ती करने की सुविधाएं शामिल हैं। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी ने बताया कि घुटने के प्रत्यारोपण समेत ऑर्थो की कई अन्य बीमारियों का इलाज आयुष्मान भारत योजना में शामिल है।

सर्दियों में ज्यादा कष्टकारी

ऑर्थोपेडिक विभागाध्यक्ष अपर आचार्य डाॅ. पंकज कंडवाल जी ने बताया कि गठिया रोग विशेषकर सर्दियों के मौसम में ज्यादा कष्टकारी होता है। सूर्य से मिलने वाली धूप कम मिलने से लोगों में विटामिन डी की कमी होने की संभावना बढ़ जाती है। विटामिन डी की कमी से ही हड्डियों में दर्द की शिकायत को बढ़ने लगती है। उन्होंने बताया कि नियमिततौर पर संतुलित आहार लेने से विटामिन डी की कमी को पूरा किया जा सकता है। इसके अलावा कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन भी इसमें लाभकारी होता है। उन्होंने बताया कि इसके बाद भी यदि जोड़ों का दर्द कम नहीं होता है, तो मरीज को चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए और गठिया की जांच करानी चाहिए। बताया कि आवश्यकता पउ़ने पर गठिया के उपचार के लिए फिजियोथैरेपी की सहायता भी ली जा सकती है।

ऑर्थोपेडिक्स विभाग गठिया के रोगियों के लिए

डा. कंडवाल ने बताया कि एम्स ऋषिकेश में ऑर्थोपेडिक्स विभाग गठिया के रोगियों के लिए उनके शरीर विज्ञान के आधार पर उपचार की कई सुविधाएं मौजूद हैं। साथ ही संस्थान में नियमिततौर से रीढ़ की सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है। घुटना रिप्लेसमेंट के तहत संयुक्त प्रतिस्थापन, हिप रिप्लेसमेंट और कंधे के प्रतिस्थापन आदि उपचार के लिए विभाग में अनुभवी चिकित्सकों की टीम तैनात की गई है। उत्तराखंड के मरीजों के लिए घुटने और हिप के प्रत्यारोपण को आयुष्मान भारत योजना में शामिल किया गया है, साथ ही इस योजना में हड्डी रोग से संबं​​धित विभिन्न शल्य चिकित्साएं भी शामिल हैं।

गठिया 2 प्रकार का होता है

इंसेट संस्थान के जनरल मेडिसिन विभाग में गठिया रोग के विशेषज्ञ चिकित्सक डाॅ. वेंकटेश एस. पाई ने बताया कि गठिया 2 प्रकार का होता है। पहला जिसे दवाइयों से ठीक किया जा सकता है, जबकि दूसरा जिसके उपचार के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि कम उम्र में होने वाले गठिया में जोड़ों में सूजन और दर्द बने रहने की शिकायत रहती है। इसके अलावा गठिया रोगी सुबह जब सोकर उठता है तो उसके हाथ-पैरों में दर्द की शिकायत बनी रहती है। जबकि बढ़ती उम्र में होने वाले गठिया में जोड़ों के काॅटलेज घिस जाते हैं। ऐसी स्थिति में इसका समस्या का एकमात्र समाधान सर्जरी से ही हो सकता है। लिहाजा इस दशा में घिस चुके काॅटलेज के रिप्लेसमेंट के लिए सर्जरी करनी पड़ती है। डाॅ. वेंकटेश एस. पाई ने बताया कि छोटे बच्चों में गठिया रोग के उपचार के लिए एम्स ऋषिकेश में आधुनिक तकनीक पर आधारित बेहतर इलाज की सुविधा उपलब्ध है।

रोगियों के लिए आहार 

● विटामिन, खनिज, एंटीअक्सिडेंट और अन्य पोषक तत्वों को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त संतुलित आहार का सेवन करें।

● विभिन्न प्रकार के फल और सब्जियां, प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ, डेयरी, नट्स, दालें और अनाज को भोजन में शामिल करें। यह अच्छे स्वास्थ्य और वजन को संतुलित बनाए रखने में मदद करेगा।

● भरपूर मात्रा में पानी का सेवन करें।

● अपने वजन को बढ़ने न दें। शरीर का अतिरिक्त वजन जोड़ों पर तनाव बढ़ाता है। विशेषरूप से घुटनों और कूल्हों जैसे वजन वाले जोड़ों पर इसका ज्यादा असर होता है।

● यदि आपको चिकित्सकीय मदद की आवश्यकता महसूस होती है, तो अपने पारिवारिक चिकित्सक अथवा आहार विशेषज्ञ से सलाह लें।

व्यायाम-
जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों की मजबूती व हड्डियों की ताकत बनाए रखने में व्यायाम खासतौर से मदद करता है। यह अधिक ऊर्जा देने के साथ ही वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है।

एरोबिक व्यायाम-
एरोबिक व्यायाम संपूर्ण फिटनेस में मदद करने के साथ साथ हृदय स्वास्थ्य में सुधार करता है। यह वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है और अधिक सहनशक्ति व ऊर्जा प्रदान करता है।

कम प्रभाव वाले एरोबिक व्यायाम-

इसमें पैदल चलना, साइकिल चलाना, तैरना और एक अंडाकार मशीन का उपयोग करना शामिल है। इसके अलावा जोड़ों के दर्द में योगाभ्यास भी लाभकारी परिणाम देता है।

जोड़ों का दर्द बढ़ने की शिकायत पर उपाय करें-

– चिकित्सीय परामर्श से दर्द की दवा लें।

– शरीर में गर्माहट रखें, गर्म कपड़े पहनें, अपने घर को गर्म रखें। गर्म भोजन का ही सेवन करें। गर्म तौलिए व गर्म शॉवर का उपयोग करें।

 सूजन रोकें
जोड़ों को सूजन से बचाने के लिए अच्छी तरह से फीटिंग वाले दस्तानों का उपयोग करें। घुटने के बैंड या ब्रेसिज का उपयोग सूजन को कम करने और घुटने की स्थिरता में सुधार लाने के लिए किया जा सकता है।

सक्रिय रहें
स्वयं को किसी न किसी कार्य में व्यस्त रखें। ऐसा करने से शरीर के जोड़ वाले अंग मजबूत रहेंगे। धीमी और आसान चाल के साथ व्यायाम करें। दर्द महसूस करने पर विराम लें। तेज दर्द होने पर रुक जाएं, जोड़ों में सूजन या लालिमा नजर आने पर इसे रोक दें।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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