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उत्तराखंड: क्या हाकम सच में बन गया था IAS, IPS और PCS अधिकारियों के मर्जों का हकीम, पढ़ें ये रिपोर्ट 

देहरादून: उत्तराखंड में पिछले कुछ दिनों से UKSSSC पेपर लीक मामला बड़ा मुद्दा और बड़ी चर्चाओं का विषय है। प्रदेश का शायद ही ऐसा कोई कोना हो, जहां इस पेपर लीक कांड की बात ना हो रही हो। सबसे ज्यादा चर्चा है, पेपर लीक कांड के सरगना माने जा रहे हाकम सिंह रावत की, जो भाजपा के जिला पंचायत सदस्य था और फिलहाल सलाखों के पीछे हैं।

मीडिया रिपोर्टों में तमाम तरह की बातें सामने आ रही हैं। उन बातों का की समीक्षा की जाए तो बहुत सारी बातें निकल कर सामने आ रही हैं। हाकम के साथ जहां कई IAS, IPS और PCS अधिकारियों के नाम जुड़ रहे हैं। वहीं, कई नेताओं और उनके करीबियों के नाम भी निकल कर सामने आ रहे हैं। लोग यहां तक कह रहे हैं कि हाकम सिंह इन अधिकारियों और नेताओं के हर मर्ज का हकीम बन गया था।

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मिडिया रिपोर्ट की मानें तो हाकम ने हरकी दून, मोरी, सांकरी और पुरोला जैसे इलाकों में बड़े स्तर पर जमीनें बेची हैं। यह भी कहा जा रहा है कि कइयों को उसने सेब के बगीचे बेचे हैं। कई अन्य तरह की चर्चाएं भी सोशल मीडिया में चल रही हैं।

इन अधिकारियों ने कुछ नाली सरकारी जमीन खरीदने के बाद बाकी सिविल सोयम और वन विभाग की जमीनों पर बड़े स्तर पर कब्जा किया हुआ है। सोशल मीडिया पर भी लोगों का कहना है कि अगर जांच की जाए तो कई बड़े अधिकारी बेनकाब हो जाएंगे।

2002 में उत्तरकाशी के एक चर्चित जिलाधिकारी के घर से कुक का काम करने वाला हाकम सिंह 22 साल पहले ही नेता और अधिकारियों के लिए हकीम बनने लगा था। हाकम ने खाना तो बनिया ही उसने बर्तन भी मांजे और टैक्सी भी चलाया करता था।

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फिर प्रधान बनने से लेकर जिला पंचायत सदस्य और उत्तराखंड उत्तर प्रदेश में नकल माफिया बनने तक के बीच में उसने करोड़ों की संपत्ति खड़ी कर दी, जिसे देखकर अधिकारी भी चौंक गए।

तत्कालीन जिलाधिकारी के हरिद्वार ट्रांसफर होने पर वह हाकम सिंह को भी हरिद्वार दे गया। हरिद्वार में हाकम सिंह ने कई सियासी रसूखदार लोगों से अपने संपर्क बनाने शुरू कर दिए।

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इसके बाद ग्राम प्रधान और सिर्फ जिला पंचायत सदस्य बनने के बाद सियासत में हाकम सिंह का अपना कद बढ़ता चला गया और उसने एक रिजार्ट बनाकर उसमें सचिवालय और अन्य सरकारी विभागों के अफसरों को बुलाना शुरू कर दिया।

एक रिपोर्ट के अनुसार मंत्री–विधायकों को रिजार्ट मे खातिरदारी कराने के बाद वह उनको अपने प्रभाव मे शामिल करता गया और नकल माफिया बन बैठा, जिसे बेरोजगार मजाक मे रोजगार पुरुष भी कहने लगे।

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कई अधिकारियों ने अपने भाई, भतीजों और सालों की नौकरियों मे इसकी सेवाएं ली हैं। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अलावा राज्य में पंतनगर विश्वविद्यालय तकनीकी विश्वविद्यालय और दूसरी परीक्षा एजेंसियों में धांधली की शिकायतों के तार भी हाकम सिंह की ही सर्किट से होकर गुजरते हैं।

2020-21 में हुई एक भर्ती में तो लगभग 80% अधिकारियों के ही रिश्तेदारों और बच्चों का ही सिलेक्शन हो पाया था। जितनी भी अधिकारी कर्मचारी इस भर्ती घोटाले में अब तक गिरफ्तार हुए हैं यह देखने में आया है कि उनकी अपनी भर्ती भी संदिग्ध रही है ऐसे में पिछली भर्तियों में भी धांधली होने के आरोप पुख्ता हो जाते हैं।

इस पूरी भर्ती में लगभग 80% धांधली हुई है लेकिन यह कहीं भी चर्चा का विषय नहीं बना। इसके अलावा वर्ष 2021 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के करीबी होने के चलते हाकम फॉरेस्ट गार्ड भर्ती घोटाले भी से भी साफ बच निकला था।

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तब भी विजिलेंस ने फॉरेस्ट गार्ड भर्ती घोटाले में हाकम सिंह को अपने लपेटे में ले लिया था लेकिन तब पूर्व मुख्यमंत्री से अपने संबंधों के चलते वह बच निकला था।

यदि इसकी ठीक से जांच की जाए तो पंतनगर विश्वविद्यालय सहित दूसरी परीक्षा एजेंसियों द्वारा कराई गई भर्तियों में भी बड़े व्यापक स्तर पर घोटाला सामने आ सकता है। साथ ही तत्कालीन मुख्यमंत्री कार्यालय की भूमिका भी साफ हो जाएगी।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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