देहरादून: उत्तराखंड के प्रसिद्ध हास्य कलाकार घनानंद उर्फ घन्ना भाई अब हमारे बीच नहीं रहे। गंभीर हालत में उन्हें देहरादून स्थित श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां वे पिछले चार दिनों से वेंटिलेटर पर थे। डॉक्टरों की पूरी कोशिश के बावजूद, उन्होंने 11 फरवरी 2025 को अंतिम सांस ली। उनके निधन से पूरे राज्य में शोक की लहर है।
लंबे समय से चल रहा था इलाज
लोक कला मंच से जुड़े “आवाज सुनो पहाड़ों की” कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक बलबीर सिंह पंवार और संयोजक नरेंद्र रौथाण ने बताया कि घन्ना भाई को पहले पेसमेकर लगाया गया था। वे नियमित रूप से हृदय संबंधी जांच कराते थे। कुछ दिन पहले उन्हें यूरिन में ब्लड आने की समस्या हुई थी, जिसके बाद वे अस्पताल पहुंचे। सामान्य जांच के दौरान रक्त चढ़ाने के बाद उनकी हालत और बिगड़ गई।
लोक मंच, रेडियो और सिनेमा में छोड़ी अमिट छाप
घन्ना भाई उत्तराखंड के रंगमंच, रेडियो और फिल्म जगत का बड़ा नाम थे। 1970 में रामलीला और लोक नाटकों से अपने करियर की शुरुआत करने वाले घन्ना भाई ने 1974 में रेडियो पर भी कई हास्य कार्यक्रम किए। इसके बाद वे दूरदर्शन तक पहुंचे और अपनी अनोखी संवाद शैली व हास्य प्रस्तुति से दर्शकों को खूब हंसाया। उन्होंने कई गढ़वाली फिल्मों और म्यूजिक एल्बमों में भी काम किया।
राजनीति में भी आजमाया था हाथ
लोकप्रियता के चलते घन्ना भाई ने 2012 में भाजपा के टिकट पर पौड़ी से विधानसभा चुनाव लड़ा था, हालांकि वे चुनाव हार गए थे। 2022 के विधानसभा चुनावों में भी उन्होंने टिकट के लिए दावेदारी की थी।
उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को अपूरणीय क्षति
घन्ना भाई के निधन से उत्तराखंड की लोक संस्कृति और हास्य मंच को बड़ी क्षति हुई है। उन्हें याद करते हुए कलाकारों और प्रशंसकों ने कहा कि उन्होंने पहाड़ी समाज की भावनाओं को अपने हास्य के माध्यम से जीवंत किया और अपनी कला के जरिए समाज को संदेश भी दिए।
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और परिवार को इस कठिन समय में संबल दे। उत्तराखंड कला जगत हमेशा उन्हें याद रखेगा।