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IIT रुड़की की वैश्विक उपलब्धि: नए अतिभारी तत्व सीबोर्गियम-257 की खोज में अहम योगदान

रुड़की: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की ने परमाणु भौतिकी की दुनिया में इतिहास रच दिया है। जर्मनी के डार्मस्टाट स्थित जीएसआई हेल्महोल्ट्ज़ सेंटर फॉर हैवी आयन रिसर्च में हुए एक अभूतपूर्व प्रयोग में शोधकर्ताओं ने नए अतिभारी समस्थानिक सीबोर्गियम-257 (Sg-257) की खोज की है, जिसमें आईआईटी रुड़की के भौतिकी विभाग के प्रो. एम. मैती ने अहम भूमिका निभाई। यह खोज विश्व प्रसिद्ध जर्नल फिजिकल रिव्यू लेटर्स (जून 2025) में प्रकाशित हुई है, जो परमाणु विज्ञान की सीमाओं को नई ऊंचाइयों तक ले जा रही है।

अत्याधुनिक त्वरक और अति-संवेदनशील संसूचन तकनीकों की मदद से वैज्ञानिकों ने प्रकृति में नहीं पाए जाने वाले इस दुर्लभ अतिभारी तत्व का संश्लेषण किया। यह खोज उस रहस्यमयी “स्थिरता के द्वीप” की खोज में मील का पत्थर साबित होगी, जहां अतिभारी तत्व अपेक्षाकृत लंबे समय तक स्थिर रह सकते हैं। यह न केवल परमाणु संरचना को समझने में मदद करेगी, बल्कि भविष्य में तकनीकी और औद्योगिक नवाचारों के द्वार भी खोलेगी।

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प्रो. एम. मैती ने उत्साह के साथ कहा, “यह खोज परमाणु विज्ञान में एक क्रांतिकारी कदम है। Sg-257 जैसे तत्वों की अर्धायु भले ही मिलीसेकंड की हो, लेकिन इनसे मिली जानकारी हमें ब्रह्मांड की गहराइयों को समझने में मदद करती है।”

आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. कमल किशोर पंत ने इस उपलब्धि को भारत के लिए गौरवपूर्ण क्षण बताते हुए कहा, “यह खोज वैश्विक मंच पर भारत की वैज्ञानिक ताकत का परचम लहराती है। आईआईटी रुड़की का यह योगदान नई पीढ़ी को विज्ञान और नवाचार के लिए प्रेरित करेगा।”

इस ऐतिहासिक शोध में जर्मनी, जापान, फिनलैंड और अन्य देशों के शीर्ष वैज्ञानिकों की अंतरराष्ट्रीय टीम शामिल थी। यह खोज न केवल परमाणु भौतिकी में एक नया अध्याय जोड़ती है, बल्कि तकनीकी प्रगति और मानव भविष्य को आकार देने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।

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