- प्रदीप रावत ‘रवांल्टा’
होली पर गांव गया था। अपनी स्कूटी लेकर निकला था। उसके दो कारण थे। पहला यह कि अपनी मर्जी से कहीं पर भी रुक जाओ। लोकसभा चुनाव में भी वोटर ऐसे ही करने वाले हैं। सभी अपने पसंद के प्रत्याशी को अपनी मर्जी से वोट करेंगे। दूसरा कारण यह जानने का प्रयास था कि चुनाव का माहौल क्या है? बॉबी पंवार के नामांकन में नजर जैसे नजर आया था, क्या धरातल पर भी वैसा ही है?
देहरादून से अपने गांव नौगांव ब्लॉक के बिगराड़ी तक के सफर के बीच मसूरी, कैंप्टीफॉल, जमुनापुल, सुमन क्यारी, खरसून क्यारी, नैनबाग, बर्नीगाड़, सारीगाड़ से लेकर डामटा, नौगांव और बड़कोट तक जहां भी रुका लोगों की जुबां पर बॉबी पंवार की ही चर्चा थी। नैनबाग में जरूर कांग्रेस का एक छोटा सा जुलूस निकल रहा था, लेकिन उसमें ज्यादा लोग नजर नहीं आए।
गांव पहुंचा तो होली के उल्लास के बीच भी बॉबी पंवार की चर्चा जारी रही। इस दौरान कुछ असहज स्थिति भी बनी। लेकिन, कुछ लोगों को छोड़कर ज्यादातर लोगों में बॉबी पंवार के लिए खूब क्रेज नजर आया। भाजपा के कैडर वोटर हमेशा की तरह अडिग हैं।
कुछ जगहों पर ऐसी स्थिति भी है कि परिवार के कुछ लोग भाजपा को वोट देना चाहते हैं, तो कुछ बॉबी पंवार के पक्ष में हैं। बॉबी के समर्थक युवा हैं। नकल माफिया गैंग का खुलासा करने के बाद आंदोलन और पुलिस की लाठी खाने से जेल जाने तक के बॉबी पंवार के सफर को लोगों ने नजदीक से देखा है। युवाओं के लिए बॉबी की लड़ाई ही लोगों को बॉबी के करीब ला रही है।
लोगों को कांग्रेस से भले ही उम्मीद ना हो, लेकिन बॉबी से बहुत उम्मीदें हैं। लोगों का कहना है कि वो केवल आज का नेता नहीं। बल्कि, भविष्य की राजनीति का भी विकल्प है। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो पहले से ही यह मानकर चल रहे हैं कि अगर बॉबी जीत भी जाते हैं, तो संसद में वो कुछ खास नहीं कर पाएंगे।
लेकिन, लोगों से चर्चा के दौरान जो बात निकलकर सामने आई है, उससे एक बात तो साफ है कि बॉबी पंवार को भाजपा और कांग्रेस के वोटर भी साइलेंट वोटर की तरह वोट कर सकते हैं। अगर बॉबी पंवार ने थोड़ा और जोर लगा लिया और जिस तरह का माहौल बना हुआ है, उससे एक बात तो साफ है कि भाजपा, कांग्रेस की राह आसान कतई नहीं है।
बॉबी के लिए युवा खुद ही प्रचार कर रहे हैं। अपने दोस्तों को मोटिवेट कर रहे हैं। बजुर्गों और महिलाओं को समझा रहे हैं। बॉबी के लिए जो सबसे सकारात्मक बिंदु है। वह यह है कि राजपरिवार के सांसदों की उपलब्धियां ना तो खुद माला राज्य लक्ष्मी शाह बता पा रही हैं और ना भाजपा नेता। जबकि, बॉबी पंवार के पास कुछ ना होते हुए भी बताने के लिए बहुत कुछ है। साथ ही भविष्य की योजनाएं भी हैं।
हालांकि, अब तक बॉबी पंवार का प्रचार उतनी रफ्तार नहीं पकड़ पाया है, जितनी होनी चाहिए थी। उनकी टीम को अभी और मेहनत करनी होगी। लोगों के मन में उनके लिए जो अंकुर फूट रहे हैं, उनको वोट में कैसे बदल पाते हैं, यह देखने वाली बात होगी। बहरहाल, भाजपा और कांग्रेस बॉबी पंवार को नाम लेने से भी कतरा रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर बॉबी लगातार भाजपा और कांग्रेस पर हमलावर हैं।