Thursday , 6 February 2025
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उत्तराखंड: CM धामी से मिले मैठाणी, 8वीं तक अवकाश घोषित करने की मांग, भेंट की फूलों की टोकरी

  • मुख्यमंत्री को भेंट की फूल टोकरी।

देहरादून: समाज सेवी एवं फूलदेई संरक्षण अभियान के संस्थापक शशि भूषण मैठाणी की लगातार 21 वर्षो की लम्बी मुहीम के बाद उत्तराखंड का खूबसूरत बालपर्व फूलदेई अब प्रदेश के अलावा देश विदेश तक प्रवासियों के बीच चर्चित व लोकप्रिय हो गया है। सीमांत जनपद चमोली के जिलामुख्यालय गोपेश्वर सहित वहां आसपास के दर्जनभर गांवों से फूलदेई त्यौहार को पुर्नजीवित करने का जो अभियान उन्होंने वर्ष 2004 से शुरू किया उसका असर यह हुआ, कि विगत वर्ष मुख्यमंत्री पुष्कर धामी नें इस पर्व को हर वर्ष बाल पर्व के रूप में मनाने का एलान कर दिया था।

 आज उसी क्रम में फूलदेई संरक्षण मुहीम के संस्थापक शशि भूषण मैठाणी नें आज मुख्यमंत्री आवास में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाक़ात कर उनका विशेष आभार भी व्यक्त किया। मैठाणी नें कहा कि वर्ष 2004 में उन्होने गोपेश्वर से खूबसूरत पर्व फूलदेई फूल फूल माई को पुर्नजीवित करने का जो अभियान आरम्भ किया था, उसे अब युवा मुख्यमंत्री श्री धामी नें परवान चढ़ाया है ।

मैठाणी ने कहा कि 1990 के दशक में टेलीविजन और फोन की क्रांति से पहाड़ों के कई रीती रिवाज समाप्त हुए या कुछ का स्वरुप बदलता चला गया। इसी क्रम में खूबसूरत पर्व रुद्रप्रयाग की केदारघाटी के अलावा कमोवेश पूरे पर्वतांचाल से समाप्त ही हो गया था। उत्तराखंड बनने के बाद पहाड़ों से पलायन की रफ़्तार भी तेज हुई तो लोक परम्पराओं को भी लोग भूलने लगे थे, बिसराने लगे थे। तब उन्होने वर्ष 2004 से इसे फैलाने का काम शुरू किया।

अब यह पर्व पहाड़ हो या मैदान आम से लेकर ख़ास तक, सबकी जुबान पर चढ़ गया है। बताते चलें कि करीब एक दशक तक मैठाणी नें पहाड़ों में स्कूलों में जा – जाकर फूलदेई का खूब प्रचार प्रसार किया और नई पीढ़ी को इस पर्व को उत्साह व उमंग के साथ मनाने के लिए तैयार किया।

फिर 2012 से उन्होने राजधानी देहरादून के प्रमुख अधिकारियों की देहरियों के अलावा कुछ मौहल्लों में फूलदेई फूल फूलमाई पर्व को मनाने का अभियान शुरू किया, वर्ष 2013 से उत्तराखंड राज्य के प्रमुख द्वारा राजभवन एवं मुख्यमंत्री आवास की देहरियों पर विभिन्न स्कूलों के बच्चों को लेजाकर पुष्प वर्षा करना शुरू किया।

देखते ही देखते उन्होंने इसे एक परम्परा का रूप दे दिया है। तब से अब तक मैठाणी निरंतर हर साल कई स्कूलों से बच्चों को एकत्रित करके राजभवन एवं मुख्यमंत्री आवास ले जाते रहे हैं। नतीजतन मुख्यमंत्री धामी ने विगत वर्ष गैरसैण विधानसभा में एलान कर दिया कि फूलदेई पर्व अब राज्य का बालपर्व के रूप में मनाया जाएगा।

शशि भूषण मैठाणी ने कहा कि सबसे पहले मुख्यमंत्री धामी का इसलिए बहुत-बहुत आभार कि वह अकेले ऐसे मुख्यमंत्री रहे जिनको, उन्होंने पूर्व के मुख्यमंत्रियों की तरह उन्हें व उनके कार्यालय को मांगपत्र सौंपा, जिसमें मांग थी कि कक्षा 8वीँ तक के छात्र छात्राओं को पूरे राज्य में अवकाश के अलावा फूलदेई पर्व को बालपर्व घोषित किया जाए ।

लेकिन पूर्व में किसी भी सरकार नें कोई तबज्जो नहीं दी, जबकि मुख्यमंत्री धामी नें फूलदेई पर्व को बालपर्व के रूप में मनाने की घोषणा कर दी और उसका क्रियान्वयन भी शुरू कर दिया गया है।

शशि भूषण नें कहा कि आज एक बार फिर माननीय मुख्यमंत्री जी से भेंट कर उनका ध्यान बच्चों को फूलदेई पर्व के दिवस पर सभी सरकारी गैर सरकारी स्कूलों में अवकाश की मांग की गई है, जिस पर मुख्यमंत्री धामी ने उन्हें आश्वासन दिया कि अवश्य इस पर विचार किया जाएगा।मै

मैठाणी ने कहा कि जब तक बच्चों को इस पर्व पर अवकाश नहीं मिलेगा तब तक फूलदेई फूल फूलमाई पर्व की विशिष्टता पूर्ण नहीं हो सकती है। क्योंकि फूलदेई पर्व पर बच्चे सुबह से टोली बनाकर भिन्न-भिन्न घरों में जाकर पुष्प वर्षा करते हैं, और उन्हें उपहार मिलता है।

मान्यता है कि इस पर्व पर बच्चों को बाल भगवान के रूप में देखा जाता है जो घर-घर जाकर दर्शन देते हैं। बच्चों द्वारा घरों की देहारियों पर की जाने वाली पुष्प वर्षा को धन धान्य एवं सुख समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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