Friday , 22 November 2024
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गजब: कबाड़ बसों की नीलामी में 1.32 करोड़ का घपला, बस के सड़क पर चले बिना कर दिया गया फास्टटैग का भुगतान

देहरादून: उत्तराखंड परिवहन निगम की आडिट रिपोर्ट में कबाड़ बसों की नीलामी में भी 1.32 करोड़ रुपये का घपला सामने आया है। महालेखाकार कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 से 2023 के दौरान देहरादून, नैनीताल व टनकपुर मंडल में बसों की नीलामी की धनराशि में भारी अंतर पकड़ में आया है। निगम ने बसों की नीलामी 7.09 करोड़ रुपये दर्शायी, जबकि टीसीएस रिटर्न में यह कीमत 8.42 करोड़ रुपये बताई गई। बताया गया कि परिवहन निगम इसका कोई ठोस जवाब नहीं दे सका।

आडिट रिपोर्ट में निजी बैंक में परिवहन निगम की ओर से रखी गई 29.54 करोड़ रुपये पर राशि भी आपत्ति जताई है। महालेखाकार कार्यालय के अनुसार, उत्तराखंड शासन के वित्त अनुभाग के आदेश के क्रम में राज्य सरकार के सभी उपक्रमों व निगमों को अपनी धनराशि सार्वजनिक व राष्ट्रीयकृत बैंकों में जमा करनी है, लेकिन निगम के 34 खातों में से आठ खाते निजी बैंकों में संचालित किए जा रहे हैं। जांच में यह भी पाया गया कि निगम अपनी धनराशि वसूलने के लिए भी कोई कदम नहीं बढ़ाता।

लोकसभा चुनाव-2019, विधानसभा चुनाव-2022 व सरकार की ओर से चलाई जा रही जन-कल्याणकारी योजनाओं में बसों के भुगतान का 25.76 करोड़ रुपये लंबित है, मगर परिवहन निगम ने इसके लिए कोई प्रयास ही नहीं किए। जांच में विभागीय मिलीभगत से अनुबंधित बसों का संचालन करने के आरोप भी लगाए गए हैं। बताया गया कि जो वाल्वो बस परिवहन निगम में संचालित नहीं हुई, उस बस के फास्टटैग का 2.43 लाख रुपये का भुगतान परिवहन निगम ने किया। आडिट जांच रिपोर्ट में ऐसी कई वित्तीय अनियमितताएं पकड़ में आई हैं।

आडिट रिपोर्ट के अनुसार मार्च-2023 तक परिवहन निगम में कुल 1243 बसें (919 परिवहन निगम की अपनी और 324 अनुबंधित) संचालित हो रही थीं। यात्रियों की सुरक्षा व बसों की निगरानी के लिए सभी बसों में कैमरे व जीपीएस लगाए जाने थे, जिसके टेंडर एक ठेकेदार को दिए गए। जांच में पाया गया कि बसों की निगरानी के लिए परिवहन निगम ने कोई व्यवस्था ही नहीं बनाई। वाल्वो बसों के अतिरिक्त अन्य सभी बसों में कैमरे टूटे हुए थे और जीपीएस भी बंद थे।

आडिट रिपोर्ट के अनुसार परिवहन निगम की ई-टेंडर प्रक्रिया में भी ठेकेदारों से साठगांठ की पोल खुली है। इस दौरान 12 ई-टेंडर की जांच की गई तो पाया गया कि इनमें से छह ई-टेंडर एक ही कंप्यूटर से फाइल किए गए। आडिट टीम ने यह राजफाश कंप्यूटर के आइपी एड्रेस की जांच के आधार पर किया।

आडिट रिपोर्ट में परिवहन निगम की ओर से बसों के ठहराव के लिए अनुबंधित ढाबों के अनुबंध पर सवाल उठाए गए हैं। आरोप है कि टेंडर किसी और व्यक्ति ने डाला जबकि ठेका किसी और को दिया गया। निगम को वर्ष 2022-23 में 4.11 करोड़ रुपये की आय अनुबंधित ढाबों से हुई, लेकिन निगम अनुबंधित फर्म से जुड़ी अन्य सुविधाओं की जानकारी नहीं दे सका। बता दें कि, इस मामले में निगम अधिकारियों के विरुद्ध विजिलेंस जांच भी चल रही है।

परिवहन निगम की कार्यशालाओं में बसों के लिए खरीदे जाने वाले उपकरणों के सैंपल को लेकर भी वित्तीय अनियमितता एवं गड़बड़ी सामने आई है। आडिट रिपोर्ट के अनुसार बसों में लगने वाले उपकरणों के सैंपल जांच एजेंसी में फेल होने के बावजूद उनका उपयोग कर लिया गया। नवंबर 2021 से मार्च 2023 के दरमियान 43 सैंपल सीआइआरटी पुणे में जांच के लिए भेजे गए, जिनमें चार सैंपल फेल हो गए। जांच रिपोर्ट आने से पूर्व ही 8.55 लाख रुपये के यह उपकरण खरीद लिए गए और बाद में कटौती कर फर्म को 7.80 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया।

परिवहन निगम की अनुबंधित बसें बिना परमिट के दौड़ रही हैं। जांच में ऐसे सात मामले सामने आए, जिनमें दुर्घटना के कारण न्यायालय में मुकदमा चला और परिवहन निगम को 37.99 लाख रुपये जुर्माना चुकाना पड़ा। यह सभी दुर्घटनाएं उन बसों की हुई थी, जिनमें परमिट ही नहीं था। यही नहीं, अनुबंधित बसों में बीमा की समुचित व्यवस्था पर भी सवाल उठाए गए हैं।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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