Tuesday , 17 June 2025
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उत्तराखंड: भीमल के सामने फेल हैं बड़ी कंपनियों का शैंपू, सुनें आकांक्षा की जुबानी…VIDEO

देहरादून: अगर आप भी बड़ी-बड़ी कंपनियों के शैंपू यूज करते हैं, तो इस लड़की से सुन लीजिए और तय कीजिए कि क्या आप सही कर रहे हैं। इनका नाम आकांक्षा है और दिल्ली में फार्मा सेक्टर में नौकरी करती हैं। इनको इनकी दादी और मां की कहानियों ने अपने पहाड़ी शैंपू भीमल के बारे में बताया। भीमल का शैंपू आज बाजार में अलग-अलग कंपनियों का मौजूद है। लेकिन, इनको दिशा धियाणी में मिलने वाला शैंपू पसंद है।

आकांक्षा के अनुसार दिल्ली में अन्य तरह के शैंपू की झाग भी नहीं बनती है। केमिकल के कारण बाल खराब हो रहे थे। उनको पता चला कि भीमल का शैंपू देहरादून में बालावाला स्थित दिशा धियाणी में मिलता है। वो यहां छुट्टियों में अपने भाई के पास आई थी। पहली बार शैंपू यूज किया तो उनको काफी लाभ मिला।

उनका कहना है कि दिल्ली में उनकी दोस्तों ने उनसे उसके बालों के बारे में पूछा, तो उन्होंने भीमल के शैंपू के बारे में बताया। उनकी दोस्तों को इसकी जानकारी नहीं थी। आंकाक्षा ने अपने दोस्तों के लिए शैंपू खरीदा है, जिसे वो उनको गिफ्ट करेंगी। उनका कहना है कि उन्होंने बहुत तरह के शैंपू यूज कर लिए, लेकिन इसके जैसा रिजल्ट कहीं नहीं मिला।

पहाड़ी प्रोडक्ट हमेशा से ही औषधीय गुणों से भरपूर रहे हैं। यही कारण है कि भीमल को शैंपू के रूप में हमारे पुरखे प्रयोग करते थे। वो इसका उपयोग सदियों से कर रहे हैं। अब इसे बाजार मिला है। यह लोगों के रोजगार का जरिया भी बन रहा है। अगर आप भी भीमल का शैंपू खरीदते हैं, तो इससे जहां आपके बालों की केयर होगी। वहीं, आप पहाड़ के लोगों के हाथों को भी मजबूत करते हैं।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.
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