Friday , 22 November 2024
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हिमालय संरक्षण के लिए गठित होगी विशेष कमेटी – सीएम पुष्कर सिंह धामी

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को हिमालय दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय के सरोकारों से जुड़े विषयों के लिए महानिदेशक यूकॉस्ट दुर्गेश पंत के संयोजन में एक कमेटी बनाई जायेगी।

इस अवसर पर उन्होंने यूकॉस्ट द्वारा आयोजित की जाने वाली राज्य स्तरीय पांचवें देहरादून, अन्तरराष्ट्रीय साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी फैस्टिवल के पोस्टर का विमोचन किया। यह महोत्सव 06 जनपदों देहरादून, चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी, बागेश्वर और पिथौरागढ स्थित इंजिनियरिंग कॉलेजों में किया जायेगा।  

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान सभी को हिमालय दिवस की शुभकामनाएं दी और हिमालय के संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्य कर रहे लोगों का आभार भी व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राज्य में हर वर्ष 02 सितम्बर को बुग्याल संरक्षण दिवस मनाया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन तेजी से हो रहा है। देहरादून में भी इस वर्ष तापमान में काफी वृद्धि हुई। अगर तापमान इसी गति से बढ़ता रहा तो आने वाले समय के लिए चिंताजनक है। हमें हिमालय, जल और जंगल के संरक्षण की दिशा में मिलकर प्रयास करने हैं, सोचना होगा कि अपनी आने वाली पीढ़ी को विरासत में क्या देकर जा रहे हैं। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में हमने तमाम आपदाएं देश-दुनिया मे देखी हैं। इस बार भी हमारे प्रदेश में कई जगह आपदा आई। पिछले साल हमने आपदाओं पर वर्ल्ड कांग्रेस का आयोजन भी किया। 29 नवंबर 2023 को यह आयोजन हुआ था और उसी दिन सिलक्यारा टनल में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाला गया था।

उन्होंने कहा कि जब 17 दिन तक रेस्क्यू चल रहा था तो बहुत बार लगता था कि आज ब्रेक थ्रू होगा लेकिन कुछ न कुछ अड़चन आती रही। दुनिया भर की तकनीक उस समय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सहयोग से हमें मिली और आखिरकार हम सभी को सकुशल बाहर निकालने में सफल रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय दिवस का यह आयोजन केवल एक सप्ताह का कार्य नहीं होना चाहिए बल्कि प्रत्येक दिन हमें प्रकृति को बचाने का कार्य करना है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय के महत्व को हमें नई तरह से समझने की जरूरत है। जल स्रोतों और नदियों के पुनर्जीवीकरण की दिशा में सरकार द्वारा निरंतर कार्य किये जा रहे हैं। इसके लिए स्प्रिंग एण्ड रिवर रिज्यूवनेशन अथॉरिटी का गठन किया गया है। हिमालय के संरक्षण के लिए अनेक कार्य किये जा सकते हैं। हिमालय हमारी अमूल्य धरोहर है, जिसे बचाने की आवश्यकता है।

उत्तराखंड पहला राज्य है जहाँ जी.ई.पी की शुरूआत की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में इकोलॉजी व इकॉनमी में संतुलन बनाकर विकास के कार्य किये जा रहे हैं। सरकार पौधरोपण, जल संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में निरंतर कार्य कर रही है, लेकिन इन सब में जनसहभागिता की जरूरत है, तभी हम इन प्रयासों में सफल हो पाएंगे। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि नीति आयोग की बैठक में भी उन्होंने हिमालय के लिए अलग से योजना बनाये जाने की बात उठायी है। उत्तराखंड की जनसंख्या सवा करोड़ है और व्यवस्था हर साल लगभग 10 करोड़ लोगों के लिए करनी पड़ती है। उत्तराखण्ड के लिए योजना बनाते समय राज्य में आने वाली फ्लोटिंग पोपुलेशन को ध्यान में रखकर योजना बनाने के लिए नीति आयोग की बैठक में अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने कहा हमने सस्टेनेबल टूरिज्म की बात की है, जिसे लेकर योजनाएं बनाई जा रही हैं। 

हेस्को के संस्थापक और पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूरी गंभीरता से हिमालय एवं इसके संरक्षण के लिए कई नई पहल की हैं। नीति आयोग की बैठक में भी मुख्यमंत्री ने संपूर्ण हिमालय की समस्या को गंभीरता से उठाया। हिमालय से जुड़े मुद्दों को राजनीतिक क्षेत्र में भी ले जाना होगा।

देश के कई बड़े संस्थान हिमालय के संरक्षण एवं इस क्षेत्र में अध्ययन का कार्य कर रहे हैं। इन सभी संस्थाओं को एक मंच पर लाकर हिमालय विकास पत्र पर कार्य होना चाहिए। हिमालय की भूमिका संपूर्ण देश के लिए महत्त्वपूर्ण है। हिमालय के संरक्षण के लिए विकास वैज्ञानिकों के अनुसंधान के अनुरूप होना चाहिए।

विधायक किशोर उपाध्याय ने कहा कि मध्य हिमालय के लिए विकास का मॉडल बनना जरूरी है। आज जिस तेजी से ग्लेशियर पिघल रहे हैं, यह चिंता का विषय है। हिमालय के संरक्षण के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पूर्व में हमने हिमालयन यूनिटी नाम से एक संस्था बनाई। तब यह तय हुआ कि 9 सितंबर को हिमालय दिवस मनायेंगे। 

महानिदेशक यूकॉस्ट प्रो दुर्गेश पंत ने कहा कि 02 सितम्बर से 09 सितम्बर तक हिमालय सप्ताह के रूप प्रदेशभर में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें राष्ट्रीय संस्थानों और प्रदेश के अनेक संस्थानों में कार्यक्रमों के आयोजन कर हिमालय के संरक्षण और संवर्द्धन संबंधी अनेक विषयों पर विचार विमर्श किया गया। 

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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