Sunday , 23 February 2025
Breaking News

उत्तराखंड की ट्विंकल डोगरा का सफल डबल हैंड ट्रांसप्लांट

फरीदाबाद के अमृता अस्पताल के डॉक्टरों ने चिकित्सा के क्षेत्र में एक नया इतिहास रच दिया है। उत्तराखंड की रहने वाली ट्विंकल डोगरा का सफल डबल हैंड ट्रांसप्लांट कर डॉक्टरों ने उत्तर भारत की पहली इस तरह की सर्जरी को अंजाम दिया। लगभग 12 घंटे चली इस जटिल सर्जरी के बाद ट्विंकल को नया जीवन मिला है।

हादसे ने बदली जिंदगी

उत्तराखंड की ट्विंकल डोगरा कपड़े सुखाने के दौरान हाई टेंशन तार की चपेट में आ गई थीं, जिससे उनके हाथ और पैर बुरी तरह झुलस गए। डॉक्टरों ने उनके पैर तो ठीक कर दिए, लेकिन गंभीर जलन के कारण दोनों हाथ काटने पड़े। इस दर्दनाक हादसे के बाद ट्विंकल करीब ढाई साल तक बिस्तर पर रहने को मजबूर हो गईं।

चार साल का इंतजार, फिर मिली जिंदगी 

ट्विंकल ने अपने प्रोफेसर से हाथों के ट्रांसप्लांट की संभावना पर चर्चा की और उन्हें पता चला कि फरीदाबाद के अमृता अस्पताल में हैंड ट्रांसप्लांट संभव है। इसके बाद उन्होंने अस्पताल में खुद को डोनर की प्रतीक्षा सूची में रजिस्टर कराया।चार साल के लंबे इंतजार के बाद दिसंबर 2024 में डॉक्टरों को एक 76 वर्षीय बुजुर्ग महिला के अंगदान की जानकारी मिली। यह महिला ब्रेन हेमरेज के चलते ब्रेन डेड हो चुकी थीं, और उनके परिवार ने अंगदान करने का फैसला लिया।

12 घंटे की जटिल सर्जरी, डॉक्टरों ने किया कमाल

डॉक्टरों ने पहले महिला का ब्लड ग्रुप ट्विंकल से मिलाया, जो पूरी तरह से मेल खा गया। इसके बाद ट्विंकल को अस्पताल बुलाया गया और 12 घंटे की जटिल सर्जरी के बाद सफल ट्रांसप्लांट किया गया। डॉ. मोहित शर्मा, प्लास्टिक और रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी विभाग के प्रमुख, ने बताया, “यह ऑपरेशन बेहद चुनौतीपूर्ण था। नसों, धमनियों और ऊतकों को जोड़ना आसान नहीं होता। लेकिन हमारी टीम ने जबरदस्त तालमेल से यह काम कर दिखाया। ट्विंकल के हाथ अब मूवमेंट करने लगे हैं, और पूरी तरह से ठीक होने में करीब एक से डेढ़ साल लग सकता है।”

चुनौतीपूर्ण था ट्रांसप्लांट, डॉक्टरों ने दी जानकारी

डॉ. अनिल मुरारका ने बताया कि, “इस सर्जरी में सबसे बड़ी चुनौती थी कि डोनर और रिसीवर की रक्त नलियों में 50% का अंतर था, जो आमतौर पर इतना अधिक नहीं होता। लेकिन हमने इस चुनौती को स्वीकार किया और सफलता प्राप्त की।” डॉ. शिखा, जो प्लास्टिक सर्जरी की कंसल्टेंट हैं, ने ऑपरेशन प्रक्रिया के बारे में बताया, “यह एक टाइम-सेंसिटिव सर्जरी थी। चार अलग-अलग टीमों ने समन्वय से कार्य किया। एक टीम डोनर से हाथ निकालने का काम कर रही थी, दूसरी रिसीवर की तैयारी में लगी थी, तीसरी नसों को जोड़ने में जुटी थी, और चौथी पूरी प्रक्रिया पर नजर बनाए हुए थी।”

ट्विंकल की जिंदगी में लौटी रोशनी

सर्जरी के बाद ट्विंकल धीरे-धीरे रिकवरी कर रही हैं और उन्होंने चीजों को महसूस करना भी शुरू कर दिया है। ट्विंकल ने कहा, “मैं अपने डोनर और डॉक्टरों की आभारी हूं। जिन हाथों को खोने के बाद मैंने कभी उम्मीद छोड़ दी थी, आज वे फिर से मेरे साथ हैं। यह किसी चमत्कार से कम नहीं।” उन्होंने अंगदान को लेकर जागरूकता बढ़ाने की अपील की और बताया कि एक व्यक्ति का अंगदान 13 लोगों की जान बचा सकता है।

निष्कर्ष: चिकित्सा विज्ञान में एक नई उपलब्धि

ट्विंकल डोगरा का डबल हैंड ट्रांसप्लांट न केवल एक मेडिकल सफलता है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए उम्मीद की किरण है, जो अपने अंग खो चुके हैं। यह सर्जरी साबित करती है कि सही तकनीक, टीमवर्क और दान की भावना से जीवन में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। फरीदाबाद के अमृता अस्पताल के डॉक्टरों ने ट्विंकल को नया जीवन देने के साथ-साथ चिकित्सा जगत में एक नया इतिहास भी रच दिया है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

Check Also

पंचायत चुनावों से पहले प्रेमचंद अग्रवाल के बयान पर बढ़ता विवाद, क्या करेगी BJP

प्रदीप रावत ‘रवांल्टा’ उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की तैयारियां चल रही हैं, लेकिन इससे …

error: Content is protected !!