देहरादून: आप सत्ता में हैं, तो कुछ भी कर सकते हैं। आम शिक्षकों पर कई तरह के नियम और कायदे थोपे जाते हैं। लेकिन माननीयों के लिए सब नियम और कायदे धरे के धरे रह जाते हैं। शिक्षा विभाग में आम शिक्षकों के लिए ट्रांसफर सत्र शून्य है, लेकिन मंत्रियों और अधिकारियों के चहेतों, उनके अपनों के लिए कोई नियम नहीं हैं। ऐसा ही एक और मामला सामने आया है।
उत्तराखंड शिक्षा विभाग में एक बार फिर बड़ा खेल हुआ है। बता दें कि जिस काम के लिए शिक्षिका को भारी सभा में बेइज्जत किया गया, जो अपने बच्चों को बिन पति के पाल रही थी और सीएम से गुहार लगाई थी। सीएम दरबार में बईज्जत कर भगाया गया और वो पहाड़ में पानी ढो रही है। उस काम को चुटकी में कर दिया गया क्योंकि मामला सांसद की पत्नी का जो था।
अल्मोड़ा से सांसद अजय टम्टा की पत्नी सोनल टम्टा का मनचाही पोस्टिंग शिक्षा विभाग में हुई है। राजकीय इंटर कॉलेज जुम्मा पिथौरागढ़ में अंग्रेजी की प्रवक्ता के पद पर सोनल टम्टा तैनाती है जिनका ट्रांसफर एससीईआरटी देहरादून में प्रवक्ता के रिक्त पद पर हुआ है। 20 दिसंबर को अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा एसपी खाली के आदेश पर यह प्रतिनियुक्ति / सेवा ट्रांसफर हुआ है। जिसको लेकर शिक्षकों के बीच चर्चा का विषय बन गया। ये आदेश सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है और सरकार के दोगले रवैया को फटकार लगाई जा रही है.
लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या सस्ता में बैठे किसी भी व्यक्ति के काम इतनी आसानी से हो सकते हैं। उत्तराखंड में जिनकी नेता मंत्री विधायकों से अच्छी पहचान है उनका काम चुटकियों में कर दिया जाता है। इशे सत्ता का फायदा ही तो कहेंगे।। उत्तराखंड में जहां एक तरफ तबादला सत्र शून्य है और शिक्षकों के ट्रांसफर नहीं हो पा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ सांसद की पत्नी का ट्रांसफर चर्चाओं का विषय बन गया। हालांकि शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शासन के निर्देश पर है आदेश हुआ है।
सीएम और शिक्षा मंत्री से सवाल है कि क्या सत्ता में बैठे किसी भी नेता मंत्री विधायक औऱ सांसदों के लिए और उनके परिवार वालों के लिए कोई नियम कानून नहीं है? क्या इनको सत्ता का लाभ पहुंचाया जाना जरुरी है? क्या आम जनका और आम लोग जो राज्य के विकास में अहम भूमिका निभा रहे हैं क्या वो इसके हकदार नहीं।