Sunday , 15 June 2025
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पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि : आज भी यकीन नहीं होता, डॉ. मनोज सुंद्रियाल नहीं रहे

  • प्रदीप रावत (रवांल्टा)

पिछले साल हुए एक हादसे पर आज भी भरोसा नहीं हो पा रहा है कि एक साल पहले जो हुआ, वह सच था। बस ऐसा लगता है कि गुरूजी ने कई दिनों से फोन नहीं किया। लगता ही नहीं कि वो सच में हमें छोड़कर चले गए होंगे। आज से ठीक एक साल पहले आज ही कि दिन युवा प्रोफेसर आधुनिक पत्रकारिता के द्रोण कहे जाने वाले डॉ. मनोज सुंद्रियाल का सड़क हादसे में निधन हो गया था।

उनके निधन के साथ कई युवाओं, खासकर उनके विद्यार्थियों की आस टूट गई थी। वो एक शिक्षक तो थे ही, अपने विद्यार्थियों के बेस्ट फ्रैंड भी थे। विद्यार्थी उनसे अपने मन की बात आसानी से कह देते थे। एक और खास बात यह है कि वो हमेशा पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ी नौकरियों की तलाश में रहते थे। उनका हमेशा प्रयास रहता था कि वो अपने स्टूडेंट्स को अच्छी नौकरी दिला सकें। उन्होंने कइयों को नौकरियां दिलाई भी। कइयों को नौकरी तक पहुंचाने की राह दिखाई थी। लेकिन, एक साल पहले काल ने उनको हमसे हमेशा के लिए छीन लिया था।

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मनोज सुंद्रियाल वो नाम था, जिन्होंने संविदा पर गढ़वाल विश्वविद्यालय में लंबे वक्त का पढ़ाया और देश के लिए बेहतरीन पत्रकार तैयार किए। उनके पढ़ाए स्टूडेंट आज देश के बड़े मीडिया संस्थानों में सेवाएं दे रहे हैं। श्रीनगर पत्रकारिता विभाग में जिसने भी पढ़ाई की होगी वो हर स्टूडेंट उनको किसी ना किसी रूप में आज भी याद कर रहा होगा। पत्रकारिता जगत में डॉ. मनोज सुंद्रियाल एक पहचान थे।

नरेंद्र नगर डिग्री कॉजे में असिस्टेंट प्रोफेसर मनोज सुंद्रियाल के कई सपने थे, जो उनके निधन के साथ ही विदा हो गए। वक्त सही रहा और समय ने साथ दिया तो उनके मन में उपचे एक विचार को धरातल पर उतारने का प्रयास रहेगा। उनका ये विचार भी अपने विद्यार्थियों की भलाई के लिए ही था। उस पर कुछ काम तो शुरू हुआ था, लेकिन पूरा नहीं हो सका। इसके अलावा पत्रकार विभाग के एलुमनार्इ्र छात्रों का एक सम्मेलन कराने का भी सपना था।

अब तक गढ़वाल विश्वविद्यालय पत्रकारिता विभाग से पढ़े सभी पूर्व छात्रों से एक किताब लिखवाने का सपना भी अधूरा रह गया। योजना थी कि सभी पूर्व छात्र कुछ ना कुछ लिखेंगे और एक किताब के रूप में उन दस्तावेजों को लाएंगे, जो भविष्य में पत्रकारिता और अन्य छात्रों के काम आए। वो हमेशा कुछ ना कुछ बेहतर करने का प्लान बनाते रहते थे। हम ये सब कर भी पाते, लेकिन पहले कोरोना ने राह रोकी और फिर काल ने हमसे हमेशा के लिए हमारे प्लानर को छीन लिया।

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डॉ.मनोज सुंद्रियाल ऐसे इंसान थे, जो हर वक्त कुछ ना कुछ नया सोचते रहते थे। आइडिया की भरमार थी उनके पास। मदद का भंडार था उनके पास। जब भी कहीं कोई जॉब की संभावनाएं होती थीं। तुरंत अपने स्टूडेंट्स को फोन करते थे। उनका लक्ष्य होता था कि उनके स्टूडेंट्स को नौकरी मिले और वो बेहतर भविष्य बना सकेें। उनकी बदौलात कई युवाओं को नौकरी मिली और आज पत्रकारिता में अपना नाम कमा रहे हैं।

मेरा नाता उनसे शिक्षक और स्टूडेंट का तो था ही। उसके इतर भी उनसे मेरा एक नाता था। वह नाथा था बड़े भाई और छोटे भाई का। एक दोस्त की तरह हमेशा बात करते थे। वो थे तो मेरे शिक्षक, लेकिन मुझे हमेशा अपना दोस्त समझते थे। हमारा नाता केवल कॉलेज तक ही नहीं रहा। लगातार बना रहा। पिछले साल 21 जुलाई को जब उनका निधन हुआ था। उससे ठीक तीन दिन पहले ही उनसे बात हुई थी।

श्रद्धांजलि

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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