देहरादून: हरक सिंह रावत एक बार फिर निशाने पर आ गए हैं। इस बार निशाना विपक्ष ने नहीं, बल्कि उन्हीं की पार्टी के विधायक ने साधा है। लैंसडाउन विधायक महंत दिलीप रावत ने सीएम धामी को एक चिट्ठी लिखी है।
जिसमें उन्होंने उनकी विधानसभा क्षेत्र में वन विभाग की ओर से कराए गए कामों की जांच कराने की मांग है। नाम भले ही वन मंत्री हरक सिंह का नहीं है, लेकिन यह बात तो जगजाहिर है कि वन मंत्री हरक सिंह रावत हैं। साफ है कि निशाना भी सीधा उन्हीं पर साधा गया है।
भाजपा में घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसका केंद्र कोई और नहीं, बल्कि हरक सिंह रावत हैं। हरक सिंह रावत की धमकी के बाद भले ही सरकार झुक गई हो, लेकिन उनके एक बयान ने लैंसडौन विधायक दिलीप रावत को गुस्सा दिला दिया। हरक सिंह रावत ने बयान दिया था कि वो लैंसडौन समेत चार विधानसभाओं से चुनाव लड़़ने की इच्छा रखते हैं।
उनके उस बयान पर पहले तो विधायक महंत दिलीप रावत ने कहा कि उनकी विधानसभा सीट पर कुछ नेताओं की गिद्ध दृष्टि है। अब उनका लेटर सामने आया है, जो उन्होंने सीएम धामी को लिखा है। सीएम धामी को लिखे लेकर में लिखा है कि मेरी विधानसभा के अन्तर्गत कालागढ़़ वन प्रभाग व लैंसडौन वन प्रभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूँ कि उक्त प्रभागों में टाइगर सफारी, दीवार निर्माण, भवन निर्माण के नाम पर करोड़ों रुपये के कार्य निमयों को ताक पर रखकर करवाये जा रहे हैं।
एक तरफ वन अधिनियम की आड़़ में कोटद्वार में कोटद्वार-कालागढ़ मार्ग पर यातायात प्रतिबंधित कर दिया गया है। वहीं, दूसरी ओर वन अधिनियम की अनदेखी कर अवैध पातन कर वन भूमि पर निर्माण कार्य करवाये जा रहे हैं। इसी प्रकार कोटद्वार में विगत 4 वर्षों से अवैध खनन एवं हाथी सुरक्षा दीवार का कार्य कर करोड़ों रुपये का कार्य बिना निविदा के किया जा रहा है।
दिलीप रावत ने इस चिट्ठी में कहा है कि मेरे द्वारा बार-बार शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। दूसरी ओर ईमानदार मुख्य वन संरक्षक को पद से हटा दिया गया है। ताकि उक्त अवैध कार्यों पर परदा डाला जा सके।
वन प्रभाग अधिकारी लैंसडौन दीपक सिंह के द्वारा राजनैतिक हस्तक्षेप और भ्रष्टाचार के जो आरोप लगाये गये हैं। उसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। उन्होंने समस्त प्रकरणों की उच्च स्तरीय जांच की जाये तो इसमें व्याप्त भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकता है।
इससे पहले हरक सिंह रावत पर लैंसडौन वन प्रभाग से अवैध खनन का आरोप लगाकर हटाए गए डीएफओ दीपक सिंह भी शासन को चिट्ठी लिखकर सवाल उठा चुके हैं। हरक सिंह रावत लगातार निशाने पर हैं। वन विभाग में निर्माण कार्यों में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के मामलों घिरते जा रहे हैं। ऐसे में सरकार पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।