Tuesday , 24 June 2025
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उत्तराखंड : दून लाइब्रेरी में हिमांतर प्रकाशन का पुस्तक लोकार्पण और सम्मान समारोह

देहरादून : दून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर में हिमांतर प्रकाशन की ओर से एक भव्य पुस्तक लोकार्पण समारोह और हिमांतर सहयात्री सम्मान-2025 का आयोजन किया गया। इस अवसर पर साहित्यकार मंजू काला की पुस्तकों बैलैड्स ऑफ इंडियाना भाग-1 और भाग-2 का लोकार्पण किया गया। साथ ही, हिमांतर प्रकाशन से जुड़े रचनाकारों और सहयोगियों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने प्रकाशन के कार्यों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से योगदान दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. सुधा रानी पांडे ने की। विशिष्ट अतिथियों में उत्तराखंड के पूर्व पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी (आईपीएस), पूर्व मुख्य सचिव राधा रतूड़ी (आईएएस), और ख्यातिलब्ध साहित्यकार महावीर रवांल्टा शामिल रहे। दिल्ली विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रकाश उप्रेती ने कार्यक्रम का संचालन किया।

संस्कृति और सभ्यता अक्सर एक जैसे समझे जाते हैं

बैलैड्स ऑफ इंडियाना भाग-1 और भाग-2 की लेखिका मंजू काला ने कहा कि संस्कृति और सभ्यता अक्सर एक जैसे समझे जाते हैं, लेकिन इनमें बुनियादी फर्क है। संस्कृति का संबंध व्यक्ति और समाज के आंतरिक संस्कारों, विचारों और मूल्यों से होता है। यह मन, चेतना और परंपराओं में बसी होती है। वहीं सभ्यता व्यक्ति और समाज के बाहरी व्यवहार, आचरण और जीवन-शैली से जुड़ी होती है। ‘सभ्य’ वह है जो सभा में बैठने योग्य हो, अर्थात् सामाजिक रूप से स्वीकृत और सुसंस्कृत। अंग्रेज़ी में ‘संस्कृति’ को Culture और ‘सभ्यता’ को Civilization कहा जाता है, और दोनों का फर्क वहीं भी बना रहता है। संक्षेप में, संस्कृति आत्मा की पहचान है, जबकि सभ्यता उसका बाह्य रूप।

बैलैड्स ऑफ इंडियाना: भारतीय संस्कृति का जीवंत चित्रण

मंजू काला की बैलैड्स ऑफ इंडियाना भाग-1 और भाग-2 भारतीय संस्कृति की समृद्धि और विविधता को दर्शाने वाली महत्वपूर्ण कृतियां हैं। पूर्व पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी ने पुस्तकों की चर्चा करते हुए कहा कि ये पाठकों को एक अनूठा और रोचक अनुभव प्रदान करती हैं। उन्होंने पुस्तकों के शीर्षक को आकर्षक बताते हुए कहा कि ये भारत की वृहद सांस्कृतिक विरासत को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती हैं। पुस्तकों में खान-पान, पहनावे और सांस्कृतिक पहचान को जीवंत ढंग से चित्रित किया गया है। पूर्व मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने पुस्तकों को एक इनसाइक्लोपीडिया की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि मंजू काला ने उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक की भारतीय संस्कृतियों को बखूबी समेटा है, जो इसे एक अनुकरणीय कृति बनाता है।

हिमांतर प्रकाशन की उपलब्धियां

वरिष्ठ साहित्यकार महावीर रवांल्टा ने हिमांतर प्रकाशन के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि हिमांतर ने नवोदित लेखकों को मंच प्रदान करने के साथ-साथ हिंदी और स्थानीय भाषाओं में साहित्य को बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। अब तक हिमांतर प्रकाशन 12 पुस्तकों का प्रकाशन कर चुका है, जो इसकी विविधता और समर्पण को दर्शाता है। रवांल्टा ने यह भी उल्लेख किया कि लेखकों के सामने हमेशा चुनौतियां रही हैं, और हिमांतर ने इन चुनौतियों के बावजूद साहित्य के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है।

रचनात्मक अनुभवों को जीवंत करती हैं

प्रो. सुधा रानी पांडे ने मंजू काला की पुस्तकों की प्रशंसा करते हुए कहा कि ये कृतियां भारतीय संस्कृति और जीवन के रचनात्मक अनुभवों को जीवंत करती हैं। उन्होंने कहा कि मंजू काला ने उत्तराखंड, हिमाचल और केरल जैसे विविध क्षेत्रों की संस्कृतियों को एक सूत्र में पिरोया है, जो पाठकों को सांस्कृतिक समृद्धि और रसानंद का अनुभव कराता है।

हिमांतर सहयात्री सम्मान-2025

कार्यक्रम में हिमांतर प्रकाशन से जुड़े रचनाकारों और सहयोगियों को हिमांतर सहयात्री सम्मान-2025 से नवाजा गया। यह सम्मान उन व्यक्तियों को समर्पित था, जिन्होंने प्रकाशन के कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उपस्थित अतिथियों ने सम्मानित व्यक्तियों की साहित्यिक और सांस्कृतिक योगदान की सराहना की।

नवोदित लेखकों को प्रोत्साहन

यह आयोजन मंजू काला की पुस्तकों के लोकार्पण के साथ-साथ हिमांतर प्रकाशन के साहित्यिक योगदान को रेखांकित करने का एक महत्वपूर्ण मंच था। भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्धि को सहेजने और नवोदित लेखकों को प्रोत्साहित करने में हिमांतर प्रकाशन की भूमिका सराहनीय है। यह कार्यक्रम साहित्य, संस्कृति और सामाजिक योगदान के प्रति एक सकारात्मक संदेश देने में सफल रहा।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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