देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र 2025 की शुरुआत मंगलवार को हो चुकी है। राज्यपाल के अभिभाषण और विधानसभा अध्यक्ष के पारण के बाद पहले दिन सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी। आज, बुधवार को धामी कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है, जिसमें कई अहम प्रस्तावों पर मुहर लग सकती है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस सत्र में भू-कानून संशोधन विधेयक पेश किया जाएगा?
भू-कानून पर सरकार का बड़ा फैसला संभव
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार उत्तराखंड में भू-कानून को और सख्त बनाने की दिशा में लगातार काम कर रही है। इसके लिए सरकार इस बजट सत्र में भू-कानून संशोधन विधेयक लाने की तैयारी कर रही है। राज्य के विभिन्न संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से मूल निवास और सशक्त भू-कानून को लेकर लंबे समय से आंदोलन चल रहा है।
भू-कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन
विधानसभा सत्र शुरू होने के साथ ही विधानसभा के बाहर भू-कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। इस दौरान घनसाली के पूर्व विधायक भीमलाल आर्या ने विधानसभा गेट पर जोरदार प्रदर्शन किया, जिसके चलते पुलिस को उन्हें हिरासत में लेना पड़ा। वहीं, भू-कानून संघर्ष समिति के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने मुख्यमंत्री से मिलने की कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए।
धामी कैबिनेट बैठक में इन प्रस्तावों पर मुहर!
आज होने वाली कैबिनेट बैठक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर भी निर्णय लिया जा सकता है:
- संशोधित भू-कानून विधेयक को सदन से पारित कराने का प्रस्ताव।
- उत्तराखंड ऑनलाइन दस्तावेज रजिस्ट्रीकरण नियमावली-2025 को लागू करने का प्रस्ताव।
- परिवहन विभाग की रोड सेफ्टी पॉलिसी को मंजूरी।
- शिक्षा विभाग में 4100 पदों पर भर्ती (बीआरपी-सीआरपी और चतुर्थ श्रेणी पद)।
- प्रदेश के सभी नगर निकायों में एक समान टैक्स प्रणाली लागू करने का प्रस्ताव।
- पुराने बाजारों के री-डेवलपमेंट के लिए नई नीति पर विचार।
- उत्तराखंड के मेडिकल कॉलेजों में पीजी कर रहे डॉक्टरों के लिए बांड सिस्टम (पीजी के बाद दो साल तक राज्य में सेवा देना अनिवार्य)।
- मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना को मंजूरी देने की संभावना।
क्या सशक्त भू-कानून को मिलेगा हरी झंडी?
भू-कानून को लेकर पिछले कुछ वर्षों में राजनीतिक और सामाजिक बहस तेज हुई है। इस मुद्दे को लेकर भू-कानून संघर्ष समिति, सामाजिक कार्यकर्ताओं और विभिन्न संगठनों ने कई बार आंदोलन किया है। मंगलवार को पूर्व विधायक भीमलाल आर्या ने विधानसभा गेट पर प्रदर्शन किया, जिसके चलते पुलिस को उन्हें हिरासत में लेना पड़ा। वहीं, भू-कानून संघर्ष समिति के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने मुख्यमंत्री से मिलने की कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हो सके।
भू-कानून क्यों जरूरी है?
- पहाड़ी क्षेत्रों में जमीन की अंधाधुंध खरीद – बाहरी निवेशकों और बड़े कारोबारियों द्वारा पहाड़ी जिलों में जमीन खरीदी जा रही है, जिससे स्थानीय लोगों के लिए जमीन महंगी होती जा रही है।
- पर्यावरण पर प्रभाव – अराजक भूमि खरीदारी से जंगल कट रहे हैं, पहाड़ों पर अनियंत्रित निर्माण हो रहा है, जिससे पर्यावरणीय असंतुलन बढ़ रहा है।
- स्थानीय संस्कृति और परंपराओं पर खतरा – बाहरी लोगों के बढ़ते प्रभाव से स्थानीय संस्कृति, परंपराओं और रहन-सहन पर असर पड़ रहा है।
- स्थानीय लोगों को विस्थापन का खतरा – जमीनों की बढ़ती कीमतों के कारण उत्तराखंड के मूल निवासी अपनी ही जमीन से बेदखल होने की कगार पर हैं।
- भूमाफिया और अवैध कब्जों पर रोक – कमजोर भू-कानून के कारण उत्तराखंड में भूमाफिया सक्रिय हैं, जो फर्जी दस्तावेजों के सहारे जमीन खरीदने और कब्जा करने में लगे हैं।