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उत्तराखंड: मुख्यमंत्री अवास में CM धामी का गृह प्रवेश, बेटे को मां ने बिठाया कुर्सी पर

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित शिव मंदिर में पूजा अर्चना कर प्रदेश की सुख समृद्धि की कामना की। मुख्यमंत्री आवास स्थित गौशाला में मुख्यमंत्री ने गौ माता से आशीर्वाद लिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को न्यू कैंट रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश किया। विधि विधान से पूजा अर्चना कर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश किया।

उत्तराखंड की राजनीति से जुड़ा बड़ा मिथकउत्तराखंड की राजनीति से जुड़ा बड़ा मिथक. जी हां कहा जाता है कि गढ़ी कैंट स्थित मुख्यमंत्री आवास में अपशकुन है। यहां जो भी मुख्यमंत्री रहता है वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाता है। उत्तराखंड की राजनीति में इस समय इसी तरह की चर्चाएं चल रही हैं, जिन्होंने सबका ध्यान एक बार फिर मुख्यमंत्री आवास की तरफ खींचा है। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए और चार साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद उनकी कुर्सी चली गई।

मिथक एक बार फिर से सही साबित हुआये मिथक एक बार फिर से सही साबित हुआ था। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए थे। कार्यकाल को चार साल पूरा होने से पहले उनकी सीएम की कुर्सी चली गई। बता दें कि 18 मार्च को चार साल का कार्यकाल सीएम का पूरा हो रहा था। इसके बाद ये मिथक एक बार फिर से चर्चाओं में आ गया। सीएम आवास देहरादून की खूबसूरत वादियों और पहाड़ों की वादियों के बीच बना है जिसकी लाागत करोड़ों की है।

लेकिन इस खूबसूरत हाऊस से जुड़ा एक मिथक जुड़ा है कि इस आवास में जो भी मुख्यमंत्री रहा है वो कभी अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है. कहा जाता है कि जो सीएम इस हाऊस में रहता है उसे कुर्सी से हाथ धोना पड़ता है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद हरीश रावत ने इस कोठी से दूरी बना ली थी। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान एक दिन भी बगले में पैर नहीं रखा. हरदा ने अपना ठिकाना बीजापुर गेस्ट हाउस को बनवाया था. हालांकि वो दोबारा सत्ता में नहीं आ पाए।

इस बंगले का निर्माण तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी की सरकार में हुआ था। हालांकि, जबतक मुख्यमंत्री आवास का निर्माण कार्य पूरा होता इससे पहले ही उनका 5 साल का कार्यकाल पूरा हो गया। इसके बाद 2007 में बीजेपी की सरकार बनी और प्रदेश की कमान मुख्यमंत्री के तौर पर बीसी खंडूड़ी को मिली, जिसके बाद खंडूड़ी ने अधूरे बंगले को बनाया और उद्धाटन किया।

मिथक एक बार फिर सही साबित हुआ वो भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. ढाई साल बाद ही उनकी कुर्सी चली गई।बंगले में रहने पर इनकी गई सीएम की कुर्सीवहीं इसके बाद भाजपा ने सीएम की कुर्सी डॉ. रमेश पोखियाल निशंक को सौंपी. वो भी इस बंगले में आए लेकिन 2012 के चुनाव से ठीक 6 महीने पहले ही हरिद्वार कुंभ घोटाले के आरोप में घिरे निशंक को सत्ता छोड़नी पड़ी। फिर बीजेपी की कमान बीसी खंडूड़ी के हाथ आ गए लेकिन निशंक भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए।

फिर बीसी खंडूड़ी के नेतृत्व में बीजेपी ने 2012 का चुनाव लड़ा और बीसी खंडूड़ी को कोटद्वार से हार का सामना करना पड़ा फिर इसके बाद कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई। वहीं कांग्रेस ने तत्कालीन टिहरी से लोकसभा सांसद विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाया. मुख्यमंत्री पद हासिल करने के बाद बहुगुणा आवास में रहने लगे लेकिन दो साल बाद फिर सत्ता पलटी और उनकी भी कुर्सी चल गई। ये मिथक फिर से सही साबित हुआ जब त्रिवेंद्र रावत को भी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा।लेकिन सीएम धामी ने मिथकों से किनारा कर सीएम आवास में पूजा अर्चना करविधि विधान से प्रवेश कर लिया है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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