देहरादून : जागर सम्राट पद्मश्री Pritam Bhartwan ने युवाओं को पारंपरिक वाद्य यंत्रों को बजाने का प्रशिक्षण देने के लिए ‘प्रीतम भरतवाण जागर ढोल सागर एकेडमी’ की शुरुआत की है। एकेडमी का शुभारंभ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि लोक संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन की यह सराहनीय पहल है।
इस मौके पर बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार एकेडमी के संचालन के लिए ₹10 लाख की आर्थिक सहायता प्रदान करेगी। जब सम्राट प्रीतम भरतवाण ने कहा कि उनकी कोशिश ढोल सागर को नई बुलंदियों पर पहुंचाने का है। विलुप्त होती है परंपरा और संस्कृति को बचाने के लिए यह एक छोटा सा प्रयास है।
उन्होंने बताया कि इस एकेडमी में निशुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके तहत 6 माह से लेकर 1 साल तक के डिप्लोमा कोर्स भी शुरू किए जाएंगे। नियमित कक्षाओं के साथ ही शौकिया तौर पर ढोल सागर सीखने वालों को भी इस कला का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
जानू सम्राट प्रीतम भरतवाण हमेशा से ही ढोल सागर और राज्य की पुरातन विधा उजागर को नई ऊंचाइयां देते आ रहे हैं। उन्होंने उत्तराखंड के साथ ही देश और दुनिया के कई विश्वविद्यालयों में ढोल सागर की प्रस्तुति दी है।
उन्होंने कई विदेशी नागरिकों को भी ढोल सागर का प्रशिक्षण दिया है। इस तरह से उन्होंने ढोल सागर को लोकल से ग्लोबल तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रीतम भरतवाण ने कहा कि ढोल सागर हमारी पुरातन संस्कृति और लोक कला का संवाहक रहा है।
ढोल सागर हमारे पुराणों जितना ही महत्वपूर्ण है। लेकिन, इसकी महत्ता को बहुत कम लोग जान और समझ पाए हैं। ढोल सागर पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होता आया है। इसके प्रशिक्षण के पहले कोई व्यवस्था और सुविधा नहीं रही है।
प्रतीम भरतवाण ने कहा कि यही कारण है कि उन्होंने एकेडमी शुरू करने का फैसला लिया है। जिससे विलुप्त होते ढोल सागर को फिर से नई पहचान दिलाई जा सके और इसके महत्व से पूरी दुनिया को अवगत कराया जा सके। साथ ही नई पीढ़ी को उनकी विरासत से भी परिचित कराया जा सके।