Wednesday , 12 March 2025
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उत्तराखंड: अलग-अलग कंपनियां, एक सिम, 700 गावों में बजेगी मोबाइल की घंटी…!

देहरादून : मोबाइल कनेक्टिविटी आज के दौर में सबसे अहम हो गई है। मोबाइल कनेक्टिविटी से दुनिया के किस भी कोने पर बैठे किसी भी व्यक्ति से सिर्फ एक बटन दबाने और कुछ सेकेंड बात कर सकते हैं। लेकिन, इस आधुनिकता के दौर में भी उत्तराखंड के कई इलाके ऐसे हैं, जहां आज भी मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं है। कनेक्टिविटी नहीं होने के कारण यहां रहने वाले लोग देश-दुनिया से कटे रहते हैं।

सरकार का बड़ा प्लान 

इन सबसे जो बड़ी बात है, यह है कि कोई आपदा आने की स्थिति में लोगों को बचाने में या तो बहुत देर हो जाती है या फिर बचाया ही नहीं जा सकता है। उत्तराखंड के सीमावर्ती कुछ जिलों पड़ोसी देशों से भी जुड़े हुए हैं। ऐसे में कनेक्टिविटी नहीं होने से देश की सुरक्षा का सवाल खड़ा होता है। हालांकि, कई जगहों पर मोबाइट टावर भी लगाए जा चुके हैं, लेकिन कुछ चुनिंदा कंपनियों के होने के कारण दिक्कतें अब भी बनी हुई हैं। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार ने बड़ा प्लान तैयार किया है।

मोबाइल इंटरऑपरेबिलिटी सिस्टम

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार आने वाले दिनों में उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों में मोबाइल कनेक्टिविटी की समस्या का समाधान हो सकेगा। इसके लिए सरकार मोबाइल इंटरऑपरेबिलिटी सिस्टम को लागू करने की दिशा में काम कर रही है। इसके तहत ग्राहक एक ही सिम से अलग-अलग दूरसंचार कंपनियों का नेटवर्क इस्तेमाल कर पाएंगे। इस काम को पूरा करने का जिम्मा उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) को सौंपा गया है। USDMA के अनुरोध पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NSDMA) की ओर से भारत सरकार के दूरसंचार मंत्रालय से अनुरोध किया गया था। इसके बाद इस बाबत USMA और दूर संचार मंत्रालय के अधिकारियों की एक दौर की बैठक भी हो चुकी है।

ऐसे करेगा काम 

इसमें USDMA के अधिकारियों ने बताया, उत्तराखंड आपदाओं की दृष्टि से बेहद संवेदनशील राज्य हैं, जहां खासकर सुदूर इलाकों में मोबाइल कनेक्टिविटी की समस्या गंभीर है। ऐसे में इन इलाकों में मोबाइल इंटरऑपरेबिलिटी सिस्टम लागू किया जा सकता है। इसके तहत यदि किसी ग्राहक के पास BSNL का सिम है, लेकिन क्षेत्र कंपनी के सिग्नल मौजूद नहीं है, जबकि Jio का नेटवर्क मौजूद है, ऐसी स्थिति में ग्राहक का सिम अपने आप Jio के नेटवर्क से काम करने लगेगा।

रिमोट एरिया के लिए 

USDMA के अधिकारियों के अनुसार, उत्तराखंड में ऐसा होने से खासकर आपदा के दौरान या किसी भी दुर्घटना की स्थिति में बड़ी मदद मिल सकती है। इस संबंध में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्चाधिकारी प्राप्त समिति (HPC) की हरी झंडी पहले ही मिल चुकी है। हालांकि, यह व्यवस्था केवल रिमोर्ट एरिया के लिए होगी।

मोबाइल से 700 गावं दूर 

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड में अभी करीब 700 गांव ऐसे हैं, जहां आज तक मोबाइल नेटवर्क सेवा नहीं पहुंच पाई है। इनमें चीन और नेपाल सीमा पर बसे कई गांव भी शामिल हैं, जबकि 1,600 से अधिक गांव ऐसे हैं, जो टूजी सेवाओं पर निर्भर हैं।

ये आपदा विभाग का पलान 

मीडिया को दिया बयान में आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव डॉ. रंजीत सिन्हा ने कहा कि हम तकनीक से आपदाओं को मात देने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसके लिए भारत सरकार के दूरसंचार मंत्रालय के अधिकारियों के साथ एक दौर की बैठक हो चुकी है। मोबाइल नेटवर्क प्रदाता कंपनियों से भी पत्राचार किया जा रहा है। शीघ्र ही इस दिशा में ठोस निर्णय लिया जाएगा। मुनके अनुसार प्रदेश के चारधामों में मोबाइल कनेक्टिविटी अच्छी है।

इन कंपनियों से चल रही बात 

बदरीनाथ में एयरटेल, BSNL और जीओ का सिम काम करता है। केदारनाथ में AirTel, BSNL और JIO काम कर रहा है। वहीं, गंगोत्री में AirTel, Jio और यमुनोत्री में Jio और BSNL सेवाएं दे रहा है। राज्य की बात करें तो यहां BSNL, वोडाफ़ोन, AirTel, Jio यही चार कंपनियां अपनी सेवाएं दे रही हैं। इन्हीं कंपनियों के नेटवर्क को इंटरऑपरेबिलिटी के माध्यम से ग्राहकों में बांटने तैयारी है। देखना यह है कि इस प्लान को धरातल पर उतारने में कटना वक्त लगता है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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