देहरादून : सरकार अपने दम पर बनाने और गिराने का दम रखने वाले हरक सिंह रावत अब पूरी तरह बेदम हो गए हैं। भाजपा से निकाले जाने के बाद हरक सिंह रावत मुश्किल में फंस गए हैं। कांग्रेस के दरवाजे पर याचक की तरह खड़े हरक की याचना सुनने वाला भी कोई नहीं है।
हरक को कांग्रेस से बड़ी उम्मीदें थीं, लेकिन अब तक उनकी उम्मीद परवान चढ़ती नजर नहीं आ रही है। खबर है कि हरक के लिए कांग्रेस के दरवाजे लगभग बंद हो गए हैं। हरक की एंट्री फिलहाल बैन हो गई है।
दोराहे पर खड़े हरक ना इधर के और ना ही उधर कोई ठौर मिल पा रहा है। सूत्रों की मानें तो हवाले से खबर मिली है कि हरक सिंह रावत की जॉइनिंग को लेकर सोनिया की ना है। AICC सूत्रों के मुताबिक डॉ. हरक सिंह रावत की कांग्रेस में घर वापसी नहीं होने वाली है। कांग्रेस के एक बड़े नेता सोनिया गांधी से डॉ. हरक सिंह रावत की मुलाकात कराने के लिए लगातार जी तोड़ मेहनत कर रहे थे।
लेकिन, कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने 2016 के प्रकरण के संबंध में पहले जानकारी जुटाई और उसके बाद हरक सिंह रावत से मिलने से इंकार कर दिया।इतना ही नहीं कांग्रेस प्रदेश नेतृत्व के 3 बड़े चेहरे भी राहुल गांधी से संपर्क स्थापित कर डॉ. हरक सिंह रावत की पैरवी कर रहे थे।
लेकिन, प्रियंका गांधी और हरक सिंह रावत के बीच हुई टेलिफोनिक वार्ता के बाद हरक सिंह रावत के कांग्रेस में जाने की सभी अटकलें खारिज हो गई है। यानी कांग्रेस आलाकमान ने हरीश रावत के आक्रोश को तवज्जो दी है और 2016 के प्रकरण को याद करते हुए डॉ.हरक सिंह रावत को घर वापस लाने से साफ इनकार कर दिया है।
सूत्रों के हवाले से खबर है कि कांग्रेस के नेताओं की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेजे गए पत्र के मुताबिक प्रदेश में पर्यवेक्षक ने भी विरोध के स्वर बढ़ने की रिपोर्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेज दी थी जिसके बाद सोनिया गांधी ने हरक सिंह रावत को कांग्रेस में लेने से साफ इनकार कर दिया। कांग्रेस के नेताओं के मुताबिक डॉ हरक सिंह रावत की पुत्रवधू का कोई भी अपना जनाधार लैंसडौन विधानसभा क्षेत्र में नहीं है।
केवल हरक सिंह रावत अपने राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए बहू को राजनीति में लाना चाहते हैं जबकि कांग्रेस के कार्यकर्ता सालों से झंडा और डंडा दोनों को ढोने का काम कर रहे हैं।लैंसडौन विधानसभा से प्रत्याशी की दावेदारी करने वाले सदस्यों ने विरोध किया है।
कहा कि यदि पार्टी लैंसडौन से डॉ.हरक सिंह रावत या उनकी पुत्रवधु को प्रत्याशी बनाती है तो वह सामुहिक इस्तीफा देकर किसी एक व्यक्ति को निर्दलीय चुनाव लड़वाएंगे। विधानसभा में मेहनत से कांग्रेस पार्टी को खड़ा करने वाले नेताओं की अनदेखी किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।