Sunday , 16 March 2025
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गढ़वाल इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज

उत्तराखंड: गढ़वाल इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज का शुभारंभ, मिलेगी सस्ती और क्वालिटी मेडिकल एजुकेशन

  • गढ़वाल इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज का शुभारंभ.

  • पौड़ी के ग्राम क्यार्क में श्री शत चंडी जन कल्याण समिति ने की स्थापना.

पौड़ी: मंडल मुख्यालय पौड़ी के ग्राम क्यार्क में श्री शत चंडी जन कल्याण समिति की ओर से गढ़वाल इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज का शुभारंभ हो गया है। कॉलेज का शुभारंभ अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रमेश कुंवर ने विधिवत पूजा-अर्चना के बाद किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि यह समिति की ओर से पैरामेडिकल क्षेत्र में उच्च शिक्षा प्रदान करने का एक सराहनीय कार्य है। जिस तरह से पहाड़ों से लगातार पलायन हो रहा है। उसको देखते हुए संस्था का यह प्रयास लोगों को भी रिवर्स माइग्रेशन के लिए प्रेरित करने का काम करेगा।

क्वालिटी और सस्ती मेडिकल शिक्षा

संस्थान के चेयरमैन कवींद्र इष्टवाल ने इसकी शुरूआत ऑप्टोमेट्री डिप्लोमा कोर्स के साथ ही गई थी, जो अब पैरामेडिकल सांइसेज कोर्सों तक पहुंच गया है। उनका कहना है कि यह कॉलेज उन स्टूडेंट्स को पहाड़ में ही क्वालिटी और सस्ती मेडिकल शिक्षा उपलबब्ध कराएगा, जो गरीबी के कारण बड़े शहरों में नहीं जा पाते हैं। अब उनके सपनांे को भी पंख मिलेंगे और वह भी ऊंची उड़ान भर पाएंगे। उनका यह भी कहना है कि जहां हर कोई एजुकेशन को बिजनस मानकर केवल देहरादून में ही कॉलेज खोलना चाहते हैं। वहीं, उन्होंने पौड़ी को चुना।

लोगों को पलायन करने से रोकने की सोच

इसके पीछे उनकी सोच लोगों को पलायन करने से रोकने की है। उनका लक्ष्य जहां स्टूडेंट्स को सस्ती और क्वालिटी एजुकेशन देने का है। वहीं, रिवर्स माइग्रेशन के लिए भी लोगों को प्रेरित करने का मिशन भी है। इस मौके पर संस्था के महासचिव नृपेश तिवारी, सुरेश बहुगुणा, सुनील थपलियाल, अजय रतूड़ी, संस्थान की समस्त फैकल्टी और स्टाफ उपस्थित रहे।

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स्टूडेंट्स मेडिकल फील्ड में कई अन्य कोर्स की मदद से जा सकते हैं

12वीं पास करने वाले बच्चे यहां से आगे करियर चुनने की दिशा में कदम बढ़ाते हैं। वो उन विषयों से प्रोफेशनल कोर्सों में एडमिशन लेते हैं, जहां से उनको अपना करियर भी नजर आता है। मेडिकल के क्षेत्र में जाने की चाहत बहुत से स्टूडेंट्स की होती है। डॉक्टर बनने का सपना तो कई संजोते हें, लेकिन हर कोई नहीं बन पाता है। ऐसे स्टूडेंट्स मेडिकल फील्ड में कई अन्य कोर्स की मदद से जा सकते हैं।

मेडिकल कोर्स के लिए बड़े शहरों का रुख

इन मेडिकल कोर्स को करने के लिए ज्यादातर बच्चे बड़े शहरों देहरादून, हल्द्वानी, ऋषिकेश या दिल्ली को रुख करते हैं। इसके लिए बहुत मंगी फीस भी भरते हैं। अधिकांश का सपना बड़ा शहर ही होता है। लेकिन, मंहगी फीस, कमरे का महंगा किराया हर कोई नहीं दे सकता। ऐसे स्टूडेंट्स पहाड़ में रहकर भी अपने सपने को पूरा कर सकते हैं।

 

ये कोर्स हो रहे संचालित

गढ़वाल इंस्टिट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंसेस (Garhwal Institute of Paramedical Sciences-GIPS) आपको बीएससी ऑप्टोमेट्री (B.OPTOM), बैचलर इन फीजियोथेरेपी (BPT), बैचलर इन ऑपरेशन थियेटर टेक्नोलॉजी (BOTT), बैचलर अन रेडियो इमेज टेक्नोलॉजी (BMRIT) और डिप्लोमा इन ऑप्टोमेट्री (DOPTOM) जैसे कोर्स हैं।

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सबसे काम फीस

संस्थान आपको पूरे उत्तराखंड में सबसे कम फीस में यह कोर्स करने की मौका देता है। इसके अलावा आप अपनी फीस आसान किस्तों में भी जमा करा सकते हैं। रहने के लिए भी कमरे कम दरों पर उपलब्ध हो जाते हैं। बड़े शहरों का मोह छोड़कर अपने पहाड़ में ही क्यालिटी एजुकेशन मिल रही है।

 

शुरू हो चुके एडमिशन

कॉलेज में इन दिनों एडमिशन चल रहे हैं। अगर आप भी अपने पसंद के कोर्स में एडमिशन लेना चाहते हैं, तो आप गढ़वाल इंस्टिट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंसेस की वेबसाइट http://www.garhwalinstitute.in पर ऑनलाइन फार्म भरकर एडमिशन ले सकते हैं। कॉलेज में जाकर भी आप एडमिशन ले सकते हैं। अगर आप भी पहाड़ में रहकर ही पढ़ाई करना चाहते हैं, तो यह आपके लिए अच्छा मौका है।

for online admission form

https://garhwalinstitute.in/admission/

website: http://www.garhwalinstitute.in 

call-8273968106

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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