Tuesday , 17 June 2025
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उत्तराखंड: पत्रकार को झूठे मुकदमे में फंसाकर भेजा जेल, SP के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग

देहरादून : विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने मुख्यमंत्री के नाम खुला पत्र लिखा है। पिथौरागढ़ के युवा पत्रकार किशोर ह्यूमन को पुलिस ने बेवजह के मनगढ़ंत आरोपों के चलते गिरफ्तार कर लिया 24 फरवरी से अब तक किशोर की गिरफ्तारी पर सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

कॉमरेड इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि यह बेहद अफसोसजनक है कि किशोर ह्यूमन की गिरफ्तारी को एक हफ्ता होने को है, लेकिन आप की तरफ से इस घटना पर किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं आई है। सवाल यह है कि आखिर पुलिस बिना किसी अपराध के किसी पत्रकार को कैसे गिरफ्तार कर सकती है।

राज्य के मुखिया होने के साथ ही गृह विभाग भी आपके पास होने के चलते, आपको स्पष्ट करना चाहिए कि इस अन्यायपूर्ण गिरफ्तारी में क्या आपकी सहमति भी शामिल है? यदि आपकी सहमति शामिल नहीं है, तो मनमाने तरीके से किशोर ह्यूमन को जेल भेजने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यूं नहीं हो रही है ?

किशोर ह्यूमन की गिरफ्तारी के पीछे पिथौरागढ़ पुलिस का तर्क है कि किशोर ने सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की। अनुसूचित जाति के व्यक्ति की हत्या होने और अनुसूचित जाति के पिता द्वारा अपनी पुत्री से बलात्कार के आरोप लगाने की रिपोर्टिंग करना यदि जातियों के बीच सौहार्द बिगाड़ने की श्रेणी में रख कर गिरफ्तारी होगी, तो ऐसे में तो अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम को ही सिर के बल खड़ा कर दिया जाएगा।

पिथौरागढ़ पुलिस ने सोशल मीडिया पर की गयी पोस्ट में लिखा है कि पुलिस ने पिथौरागढ़ के पुलिस अधीक्षक श्री लोकेश्वर सिंह के निर्देश पर किशोर ह्यूमन को गिरफ्तार करने की कार्यवाही की है. इसलिए यह स्पष्ट है कि किशोर ह्यूमन के उत्पीड़न के पीछे पिथौरागढ़ के एसपी लोकेश्वर सिंह हैं।

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 2 (ii) कहती है कि कोई भी व्यक्ति जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है। “मिथ्या साक्ष्य देगा और गढ़ेगा, जिससे उसका आशय अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को ऐसे अपराध के लिए जो मृत्यु दंड से दंडनीय नहीं है।

किंतु सात वर्ष या उससे अधिक की अवधि के कारावास से दंडनीय है। दोषसिद्ध कराना है या वह जानता है कि उससे उसका दोष सिद्ध होना संभाव्य है, वह कारावास से, जिसकी अवधि छह मास से कम की नहीं होगी, किंतु जो सात वर्ष या उससे अधिक की हो सकेगी और जुर्माने से, दंडनीय होगा।

साथ ही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 2(vi) में प्रावधान है कि “यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि इस अध्याय के अधीन कोई अपराध किया गया है।

वह अपराध किए जाने के किसी साक्ष्य को, अपराधी को विधिक दंड से बचाने के आशय से गायब करेगा या उस आशय से अपराध के बारे में जानकारी देगा जो वह जानता है या विश्वास करता है कि वह मिथ्या है, वह उस अपराध के लिए उपबंधित दंड से दंडनीय होगा।

चूंकि किशोर ह्यूमन पर जिन मामलों की रिपोर्टिंग के कारण सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने का झूठा मुकदमा दर्ज किया गया है, वे अनुसूचित जाति के व्यक्तियों से संबंधित हैं, स्वयं किशोर ह्यूमन भी अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखते हैं और यह स्पष्ट है कि पिथौरागढ़ के एसपी लोकेश्वर सिंह ने यह जानते हुए भी किशोर ह्यूमन को झूठे मुकदमें में फंसाया, जो कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की उपरोक्त वर्णित धाराओं के तहत गंभीर अपराध है।

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 2(vii) में यह प्रावधान है कि “लोक सेवक होते हुए इस धारा के अधीन कोई अपराध करेगा, वह कारावास से जिसकी अवधि एक वर्ष से कम नहीं होगी किंतु जो उस अपराध के लिए उपबंधित दंड तक हो सकेगी, दंडनीय होगा.”

चूंकि पिथौरागढ़ के एसपी लोकेश्वर सिंह ने किशोर ह्यूमन को झूठे मुकदमें में फंसा कर उक्त अधिनियम के तहत अपराध किया है, इसलिए उनके विरुद्ध कार्यवाही होनी चाहिए।

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 4(1) में प्रावधान है कि “कोई भी लोकसेवक, जो अनुसूचित जाति या जनजाति का सदस्य नहीं है, इस अधिनियम और उसके अधीन बनाए गए नियमों के अधीन उसके द्वारा पालन किए जाने के अपेक्षित अपने कर्तव्यों की जानबूझकर उपेक्षा करेगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि छह मास से कम की नहीं होगी, किंतु जो एक वर्ष तक की हो सकेगी, दंडनीय होगा।

यह स्पष्ट है कि पिथौरागढ़ के एसपी लोकेश्वर सिंह और पिथौरागढ़ पुलिस ने अनुसूचित जाति के व्यक्तियों के विरुद्ध हुए अपराधों में कार्यवाही के बजाय उक्त मामलों की रिपोर्टिंग करने वाले अनुसूचित जाति के पत्रकार किशोर ह्यूमन के विरुद्ध झूठा मुकदमा दर्ज कर जेल भेज कर, उत्पीड़ित किया।

सीएम से पिथौरागढ़ के एसपी लोकेश्वर सिंह और अन्य जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की ऊपर वर्णित धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर वैधानिक कार्यवाही अमल में लायी जाये।

 

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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