Wednesday , 25 June 2025
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उत्तराखंड : अजब-गजब! डॉक्टरों ने निकाला 35 किलो का बोन ट्यूमर, देश में अब तक का सबसे बड़ा! VIDEO

ऋषिकेश : एम्स ऋषिकेश ने असाध्य रोगों के इलाज में एक और ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। यहां के डॉक्टरों की टीम ने उत्तर प्रदेश के संभल जिले के रहने वाले 27 वर्षीय सलमान के बाएं पैर से 35 किलो वजनी बोन ट्यूमर को सफलतापूर्वक सर्जरी के जरिए हटाकर नया कीर्तिमान रच दिया।

यह ट्यूमर कैंसर ग्रसित था और पिछले छह वर्षों से सलमान के जीवन को धीरे-धीरे निगल रहा था। इलाज के तमाम प्रयासों के बाद जब जीवन की उम्मीदें धुंधली पड़ चुकी थीं, तब एम्स ऋषिकेश की विशेषज्ञ टीम ने यह जोखिम उठाया और इसे एक अभूतपूर्व चिकित्सा उपलब्धि में बदल दिया।

6 साल से झेल रहा था पीड़ा

सलमान को सबसे पहले 6 साल पहले अपनी जांघ के पास एक छोटी गांठ का आभास हुआ था। समय के साथ यह गांठ धीरे-धीरे बढ़ती गई और अंततः इतनी बड़ी हो गई कि वह चलने-फिरने, उठने-बैठने तक से लाचार हो गया। तमाम अस्पतालों में भटकने और इलाज कराने के बावजूद राहत नहीं मिली। बीमारी इतनी बढ़ गई कि मरीज शौचालय तक नहीं जा पा रहा था और एक बिस्तर तक सिमट गया था।

 

“कद्दू” से भी बड़ा ट्यूमर

सलमान के पैर में बना यह ट्यूमर आकार में कद्दू से भी बड़ा हो गया था। जब वह एम्स ऋषिकेश पहुंचा, तब ऑर्थोपेडिक्स विभाग के विशेषज्ञों ने विस्तृत जांचों के बाद तत्काल सर्जरी का निर्णय लिया। 9 जून को की गई इस जटिल सर्जरी में डॉक्टरों की मल्टीडिसिप्लिनरी टीम ने करीब 4 घंटे तक ऑपरेशन कर ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकाल दिया।

41 किलो का था पैर, अब रह गया 6 किलो का

ऑर्थोपेडिक्स विभाग के प्रमुख प्रो. पंकज कंडवाल के अनुसार, ऑपरेशन से पहले सलमान के बाएं पैर का कुल वजन 41 किलो था, जिसमें ट्यूमर का वजन 34 किलो 700 ग्राम था। ऑपरेशन के बाद अब पैर का वजन केवल 6.3 किलो रह गया है। एमआरआई जैसे परीक्षण भी ट्यूमर के आकार के कारण मुश्किल हो गए थे।

ट्यूमर का आकार और जटिलता

ऑपरेशन करने वाले मुख्य सर्जन डॉ. मोहित धींगरा के अनुसार, ट्यूमर का साइज 53×24×19 इंच था। कैंसर के कारण रक्त प्रवाह और नसों की संरचना बुरी तरह प्रभावित हो गई थी। यह एक अत्यंत जोखिमपूर्ण सर्जरी थी जिसमें एनेस्थेसिया, प्लास्टिक सर्जरी और सीटीवीएस विभाग के विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया।

जानलेवा सर्जरी, जान बचाने वाली टीम

इस ऑपरेशन में ऑर्थोपेडिक्स विभाग से डॉ. मोहित धींगरा, सीटीवीएस विभाग के प्रमुख डॉ. अंशुमान दरबारी, प्लास्टिक सर्जन डॉ. मधुबरी वाथुल्या, एनेस्थेसिया विभाग से डॉ. प्रवीण तलवार सहित रेडियोलॉजी और अन्य विभागों के विशेषज्ञों ने भी योगदान दिया।

एम्स निदेशक ने दी बधाई

संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह और चिकित्सा अधीक्षक प्रो. बी. सत्या श्री ने इस सफलता पर पूरी टीम को बधाई दी। प्रो. मीनू ने कहा कि यह सफलता एम्स ऋषिकेश की उस विशेषज्ञता को दर्शाती है, जो असाध्य रोगों के इलाज में भी राह बना सकती है।

रोगी को अब नया जीवन

आज सलमान के चेहरे पर मुस्कान है। बकौल सलमान, “मैंने तो उम्मीद छोड़ दी थी… एम्स ऋषिकेश ने मुझे दोबारा जीने का मौका दिया ह। अब मैं चल भी पा रहा हूं और मुस्कुरा भी रहा हूं।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.
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