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उत्तराखंड : तीन दिन तक चलेगा जनजातिय महोत्सव, जमकर थिरके CM धामी

देहरादून: केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को जनजाति कार्य मंत्रालय भारत सरकार एवं जनजाति शोध संस्थान एवं संग्रहालय उत्तराखण्ड की ओर से आयोजित तीन दिवसीय महोत्सव का शुभारंभ किया। इसका आयोजन डॉ. बीआर अम्बेडकर ओएनजीसी स्टेडियम में किया गया था। उन्होंने महोत्सव परिसर में प्रदर्शनी स्थल पर जनजाति क्षेत्रों के विभिन्न उत्पादों के स्टालों का अवलोकन भी किया। इस दौरान सीएम धामी ने जनजातिय महोत्सव में कलाकारों के साथ नृत्व भी किया।

इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि उत्तराखंड जनजाति महोत्सव के माध्यम से सभी जनजातियों को एक मंच मिला है। इस आयोजन में जनजातियों के लोक जीवन, सांस्कृतिक विरासत, लोक एवं परम्पराओं को भी जीवन्तता मिली है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के साथ ही झारखण्ड एवं छत्तीसगढ़ का निर्माण पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेई ने किया था। हमारे ये प्रदेश विकास की दिशा में निरन्तर आगे बढ़े इसकी जिम्मेदारी हमारी है। उन्होंने प्रदेश के विकास के साथ ही जनजाति कल्याण के लिये उत्तराखण्ड सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों के लिये मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने देश में जनजाति समाज को सम्मान देने का कार्य किया है। इसी क्रम में भगवान बिरसा मुण्डा की जयंती को गौरव दिवस के रूप में आयोजित किये जाने का निर्णय लिया गया गया है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में जनजाति क्षेत्रों के कल्याण एवं शिक्षा आदि व्यवस्थाओं के लिये योजनायें बनायी जायेगी, जिसके लिये उन्होंने मुख्यमंत्री से प्रस्ताव भेजने की अपेक्षा की। उन्होंने कहा कि देश में जनजाति क्षेत्रों में शिक्षा की प्रभावी व्यवस्था के लिये 450 स्कूल खोले जायेंगे जिसके लिये 30 हजार करोड़ की व्यवस्था की गई है। केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री ने कहा कि हमारा प्रयास राज्यों के सहयोग से जनजाति समुदाय को देश की मुख्य धारा से जोड़ना है।

उन्होंने राज्य के एकलव्य स्कूलों तथा जनजाति शोध संस्थान की व्यवस्थाओं की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि जनजाति क्षेत्रों के विकास से सम्बन्धित मुख्यमंत्री द्वारा जो भी प्रस्ताव भेजे जायेंगे उन पर शीघ्र निर्णय लिये जायेंगे। उन्होंने जनजाति के क्षेत्रों का माइक्रो प्लान बनाने तथा उन्हें आजीविका मिशन कार्यक्रमों से जोड़ने पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में जहां 5 जनजातियां हैं वहीं झारखण्ड में 32 जनजाति समुदाय हैं।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुण्डा से राज्य के सीमांत जनपदों पिथौरागढ़ और चमोली में जनजातीय छात्रों के लिए दो नए एकलव्य आवासीय विद्यालय खोले जाने, विभागीय विद्यालयों मे पढ़ रहे जनजाति के 5 हजार छात्र-छात्राओं को टेबलेट उपलब्ध कराए जाने, राज्य में स्वतन्त्रता संग्राम सेनानीयों के जीवन परिचय पर आधारित संग्रहालय की स्थापना करने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उनकी जन्मभूमि और कर्मभूमि दोंनों का संबध जनजाति संस्कृतियों से रहा है। जहां सुदूर पिथौरागढ़ में भोटिया संस्कृति से उनका लगाव रहा, वहीं कर्मभूमि खटीमा की थारु-बुक्सा जनजाति से भी गहरा रिश्ता रहा है।

आज देश दुनियां में ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण संरक्षण को लेकर चिंतन मनन हो रहा है, लेकिन हमारी जनजातियां प्रारंभ से ही पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान देती रही हैं। हमारी जनजातीय समूहों का शुरुआत से ही जड़ी-बूटियों को लेकर ज्ञान, उनकी विशेष पहचान रही है। रामायण काल में जब भगवान श्री राम अपने चौदह वर्ष के वनवास को काट रहे थे तब ये वनवासी ही थे जो आगे बढ़कर भगवान श्रीराम की सहायता करने आए थे। उन्ही के सहयोग से भगवान राम ने महाबली रावण की विशाल सेना को परास्त कर लंका पर विजय प्राप्त की थी। महाभारत काल में भी जनजातियों के बारे में विशेष उल्लेख मिलता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी 15 नवंबर को जनजातीय समाज के उत्थान के लिए कार्य करने वाले बिरसा मुंडा की जन्म जयंती भी है। उनके द्वारा किए गए कार्यों का ही परिणाम है कि वे झारखंड के जनजातीय समूह में विशेष महत्व रखते है। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जनजातियों के लिए कई कल्याणकारी कार्य किए गए हैं। ये प्रधानमंत्री की सोच का ही नतीजा है कि उन्होंने समाज के हर वर्ग को मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया है। देश में जनजातियों के लिए कार्य करने वाले दर्जनों लोगों को केंद्र सरकार ने सम्मानित किया है। अभी इसी 9 नंवबर को केंद्र सरकार द्वारा जनजातीय समूह की भूरी बाई और तुलसी गौडा को पद्म श्री से सम्मानित किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां लगे अलग-अगल स्टॉलों में एक से बढ़कर एक हस्तशिल्प उत्पाद हमारे जनजातीय भाईयों, स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किए गए हैं। जहां एक ओर ये उत्पाद इको फैंडली हैं वहीं इनकी गुणवत्ता भी विश्व स्तरीय है। ये सब प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व का ही कमाल है कि हम ‘‘वोकल फॉर लोकल‘‘ अभियान के तहत स्थानीय उत्पादों को आगे बढ़ा रहे हैं। अभी हमारी सरकार ने ‘‘एक जिला, दो उत्पाद‘‘ योजना की भी शुरुआत की है। इसके तहत हमने हर जिले के दो स्थानीय उत्पादों को सूचीबद्ध किया है।

उन्होंने कहा कि देश के सैनिक इतिहास में जनजातीय समूहों के शौर्य और पराक्रम से सभी भलीभांति परिचित हैं। देश की सेना में विभिन्न पदों पर जनजातीय समूह के लोगों ने अपनी कार्यकुशलता का अभूतपूर्व परिचय दिया है। वीर केसरी चंद का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केसरी चंद्र ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, नेता जी सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिंद फौज में शामिल होकर, भारत की आज़ादी में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया था। ऐसे ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के जीवन परिचय पर आधारित एक संग्रहालय की स्थापना की उन्होंने जरूरत बतायी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में तीन एकलव्य मॉडल स्कूल, तीन आईटीआई चार जनजाति हॉस्टल और सोलह आश्रम पद्धति विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है। जिससे दूरस्थ क्षेत्रों के अनुसूचित जनजाति के बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान की जा रही है। राज्य सरकार द्वारा जनजातीय क्षेत्रों के विकास हेतु अधिनियम बनाकर समस्त विभागों को अपने वार्षिक बजट का 3 प्रतिशत जनजातीय क्षेत्रों में व्यय करने का प्रावधान भी किया गया है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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