Sunday , 3 August 2025
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उत्तराखंड: अब विदेशों में भी राज्य की सांस्कृतिक छटा बिखेरेंगे लोक कलाकार, MOU पर साइन

देहरादून/नई दिल्ली। उत्तराखण्ड की गौरवमयी लोक पारम्परिक एवं पौराणिक आध्यात्मिक लोक सांस्कृतिक विरासत भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में अपना अलग स्थान रखती है। कैैैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने बुद्धवार को नई दिल्ली स्थित आजाद भवन में भारत और विदेशों के बीच सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) और राज्य सरकारों के बीच समझौता ज्ञापन के हस्ताक्षर समारोह में प्रतिभाग करते हुए अपने सम्बोधन में कही। उन्होंने कहा कि इस समझौते के बाद हमारे कलाकार विदेशों में अपनी प्रतिभा का हुनर दिखा पाएंगे और विदेशी कलाकारों की कला का हम साक्षात्कार कर पाएंगे।

आईसीसीआर विदेश मंत्रालय की सांस्कृतिक शाखा है, जो भारत और विदेशों के बीच सांस्कृतिक और शैक्षणिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने का कार्य करती है।राज्य सरकारों के बीच आज लगभग 23 राज्यों के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि आईसीसीआर विदेशों में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने और विदेशों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए राज्य सरकारों का सहयोग करना चाहती है जो कि एक ऐतिहासिक कदम है।

इसी बात को ध्यान में रखते हुए आज के इस आयोजन में सभी राज्यों को शामिल कर हस्ताक्षर समारोह का आयोजन किया गया है। श्महाराज ने कहा कि अनादिकाल से उत्तराखण्ड की भूमि भारतीय दर्शन, चिन्तन, मनन, अध्यात्म, साधना, धर्म एवं संस्कृति का केन्द्र रही है। धर्म और दर्शन के साथ-साथ यहां की साहित्य, कला एवं संस्कृति ने वर्षों से भारतीय संस्कृति को परिष्कृत किया है।

समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के रख-रखाव एवं उन्नयन हेतु संगीत, नृत्य, नाटक, लोक संगीत, लोक नृत्य, लोक कला आदि का विकास तथा इनका व्यापक प्रचार-प्रसार, प्राचीन पुरातात्विक स्थलों एवं स्मारकों का संरक्षण, सर्वेक्षण एवं प्राचीन अभिलेखों व दुर्लभ पाण्डुलिपियों को संग्रहीत कर उनका वैज्ञानिक तरीके से संरक्षण और प्राचीन सांस्कृतिक धरोहरों को सुरक्षित रखना अति आवश्यक है।

संस्कृति मंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड का संस्कृति विभाग राज्य के ऐतिहासिक, पुरातात्विक और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण-संवर्द्धन के लिये लगातार प्रयासरत् है। वर्तमान में संस्कृति विभाग के अन्तर्गत प्रदेश के विभिन्न स्थानों से कुल 257 सांस्कृतिक दल सूचीबद्ध हैं।

लोक संस्कृति के क्षेत्र में कार्यरत लोक कलाकारों को वृद्धवस्था के कारण जीवन यापन में आर्थिक रूप से समृद्ध करने के उद्देश्य से 60 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले लोक कलाकारों को 3000/- रूपरे प्रतिमाह की दर से मासिक पेंशन दिये जाने की योजना संचालित की जा रही है।

इस योजना के तहत् प्रदेश के 147 कलाकारों को मासिक पेंशन प्रदान की जा रही है। महाराज ने कहा कि प्रदेश में सांस्कृतिक विरासत जागर, लोक गाथा एवं लोक कलाओं आदि का वृहद स्तर पर संरक्षण हेतु कार्यशालाएं, ऑडियो विजुवल डाक्यूमेंटेशन का कार्य कराये जाने की भी योजना है।

प्रदेश की ऐतिहासिक लोक सांस्कृतिक विरासत के कला विधाओं, विविध शैलियों को संजोये रखने तथा उनके अभिलेखीकरण की योजना संचालित की जा रही है, जिससे हम अपनी लोक सांस्कृतिक परम्पराओं को भावी पीढ़ी के लिये संजोये रखने में सफल हो सके। प्रदेश के संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि आज जो ऐतिहासिक एमओयू साइन हो रहे हैं वह एक बड़ा कदम है। इससे हमारी लोक कला और विरासत विदेशों में भी देखने को मिलेगी।

उन्होंने कहा कि हमारे उत्तराखंड में जो देव संस्कृति है उसमें ढोल की थाप पर और नगाड़ों की आवाज पर हमारे देवी देवता नाचते हैं, देवताओं का प्रवेश होता है। यह झलक जब विदेशों में लोग देखेंगे तो निश्चित रूप से हमारी ओर आकर्षित होंगे। श्री महाराज ने बद्रीनाथ धाम का जिक्र करते हुए कहा कि जब बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलते हैं तो तिमुंडा नाम का देवता प्रकट होता है।

कहा जाता है कि आदिगुरु शंकराचार्य जब तपस्या करते थे तो हूण लोग उनके ऊपर पत्थर मारते थे पीड़ित होकर शंकराचार्य ने मां भगवती की आराधना की और उनसे अपनी रक्षा के लिए कहा तब भगवती ने तिमुंडा नाम की आत्मा को भेजा जो एक व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करती है। तिमुंडा बड़ा बलशाली होता है। प्रकट होने पर वह भोजन मांगता है, उसको लगभग 10-12 गुड़ की भेलियां दी जाती हैं।

चार घड़ पानी पीता है और चार पांच बोरी चावल खाने के साथ-साथ कच्चा बकरा लिखा जाता है। इस पूरे दृश्य को लगभग 5000 की जनता देखती है। निश्चित रूप से इस प्रकार के अकल्पनीय आयोजन विदेशों में रह रहे लोगों के लिए एक आश्चर्य हो सकते हैं इस समझौते के अंतर्गत हमें एक दूसरे की संस्कृति को समझने का अवसर मिलेगा।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह, सिक्किम के संस्कृति मंत्री सम्दुप लेपचा, छत्तीसगढ़ के संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत, मध्य प्रदेश की संस्कृति मंत्री श्रीमती उषा बाबू सिंह ठाकुर और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे आदि उपस्थित थे।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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