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उत्तराखंड: वाम दलों का घोषणा पत्र जारी, ये हैं जनता के असल मुद्दे

देहरादून: वाम पार्टियों ने अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है। वाम दलों ने अब तक राज्य में रही सरकारों पर निशाना साधा है। वाम दलों का कहना है कि उत्तराखंड राज्य बनने के बाद पिछले 21 सालों में उत्तराखण्ड से रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में बड़े पैमाने पर लोगों का पलायन हुआ है। इसकी वजह से पर्वतीय क्षेत्र के गांव तो लगा तार वीरान होने की तरफ अग्रसर हैं।

भाजपा-कांग्रेस की सरकारों ने राज्य बनने के बाद इन बुनियादी सवालों पर काम करने के बजाए लूट-खसोट की राजनीति को ही आगे बढ़ाया है। लेकिन रोजगार, कृषि, पशुपालन, ग्रामीण दस्तकारी, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे अहम सवा लों , पर कोई काम करने के बजाय करोड़ों रुपयों के विज्ञापनों की भेंट चढ़ा कर आम जन की आँखों में धूल झोंकी जा रही है। राज्य के सरकारी शिक्षा संस्थानों, सरकारी अस्पतालों के निजीकरण की मुहिम जारी है।

शिक्षा, स्वास्थ्य सहित सरकारी विभागों के रिक्त पदों की यह के सरकार भर्ती प्रक्रिया रोके हुए है। अब 9 माह से सेना के लिए शारीरिक व स्वास्थ्य परीक्षण में पास हुए नौजवानों की लिखित परीक्षा न कराकर उनकी भर्ती भी रोकी गई घो है। 2022 के विधान सभा चुनाव में उत्तराखण्ड की तीनों वामपंथी पार्टियों ने संयुक्त रूप से चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। संयुक्त वामपंथ का नारा है- श्भाजपा को हराओ, वाम विपक्ष का निर्माण करो। जबसे राज्य बना है एक कारगर जनपक्षीय विपक्ष की आवाज विधानसभा में हमेशा से नदारद है।

वाम दलों की संयुक्त राय है कि उत्तराखंड के समग्र विकास के लिए यहां की राजनीति को वाम पंथी दिशा देने के लिए राज्य विधानसभा के अंदर लाल झंडे की दस्तक हो, जिससे उत्तराखंड के शोषित, उत्पीड़ित को कुचलने वाली व तीन-तीन मुख्यमंत्री बदलने वाली भाजपा की राज्य सरकार ने तो यहां लूट-खसोट की राजनीति के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए, ऐसी सरकार को हटाया जा सके।

भूमि संकट के मुहाने पर खड़े उत्तराखण्ड में भाजपा की त्रिवेन्द्र सरकार ने 2018 में भू-कानून में संशोधन कर भू-माफिया को भूमि लूटने की खुली छूट दे दी थी। मोदी सरकार ने वन कानून 1927 में संशोधन का एक प्रस्ताव लम्बित रखा है, जिसके तहत वनों पर हमारे सभी परम्परागत अधिकार खत्म कर हमारी खेती व पशुपालन के रोजगार पर बड़ा हमला किया जा रहा है।

पहाड़ के किसानों को अपने खेत के पेड़ को काटने की इजाजत नहीं है। वनों को व्यवसाय के लिए बड़े पूंजीपतियों को सौंपने के प्रावधान किए गए हैं। यही नहीं, डीम्ड वन के नाम पर पेड़ पौधों से घिरे हमारे नाप खेतों और हमारी वन पंचायतों को भी सरकारी वन घोषित करने की साजिशें रची जा रही। गांवों के किसानों को भूमि का मालिकाना हक और ज्यादातर बुनियादी नागरिक सुविधाएं आज भी उपलब्ध नहीं हैं।

उत्तराखंड के दस विधानसभा क्षेत्रों से हमने लगातार जनसंघर्षाे के दम पर जनता के अधिकारों के लिए लड़ने वाले जुझारू काम रेडों को से उम्मीदवार घोषित किया है। वाम पंथी के पार्टियों के उम्मीदवारों को विजयी बना कर उत्तराखंड की राजनीति में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए निर्णायक पहल करेंगे।

घोषणा पत्र की थीम हम लड़ेंगे…
1. सांप्रदायिक उन्माद, जातिवादी घृणा के विरुद्ध और संविधान, लोकतंत्र व आजादी की रक्षा के लिए।

2. मोदी सरकार द्वारा देश के आर्थिक संसाधनों को अडानी-अंबानी जैसे कॉरपोरेट घरानों को लुटाने के विरुद्ध।

3. सबकी शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार के अधिकार के लिए तथा मंहगाई व भ्रष्टाचार के विरुद्ध।

4. उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद 21 साल से चली आ रही लूट-खसोट का हिसाब सार्वजनिक करवाने व दोषियों को कड़ी सजा दिलवाने के लिए।

5. राज्य की स्थाई राजधानी गैरसैंण बनाने के लिए व दो राजधानी व्यवस्था समाप्त करने के लिए।

6.जल विद्युत परियोजनाओं व ऑल वेदर रोड जैसी त्रासदी-जनक परियोजनाओं का विरोध तथा मध्य-हिमालय के इस संवेदनशील क्षेत्र के विकास हेतु वैज्ञानिक व जनमुखी विकास का ब्लू प्रिंप्रिंट बनवाने हेतु विधान सभा में दवाब बनाएंगे।

7. शराब, खनन व भूमाफिया के उत्तराखंड में वर्च वर्चस्व को समाप्त करने के लिए।

8. 2018 के भूमाफि या परस्त भू-संशोधन कानून को रद्द करने व जल, जंगल, जमीन पर जनता के अधिकार के लिए।

9. सालों से बदहाल राज्य, जिला व अन्य संपर्क के सड़कों का उच्च गुणवत्ता पूर्ण र्ण निर्मा र्माण के लिए।

10. शिक्षक कर्मचारियों की पुरानी पेंशन (ओपीएस) बहाली के लिए।

11. मोदी सरकार द्वारा मजदूरों के लोकतांत्रिक अधिकारों के खात्मे के लिए लाए गए चार श्रम कोडों के विरूद्ध देश के कामगारों के एकताबद्ध संघर्ष की मजबूती के लिए।

12. किसानों को एमएसपी पर फसल खरीद की गारंटी के लिए कानून बनवाने के लिए।

13. बेरोजगार युवक-युवतियों को रोजगार के लिए रिक्त पड़े ड़े सभी सरकारी पदों को तत्काल भरवाने, लंबित पड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं और भर्तियों को तत्काल करवाने तथा स्थानीय युवक-युवतियों को प्रदेश में निजी क्षेत्र के कारखानों, कम्पनियों में रोजगार की गारंटी के लिए।

14. आशा, आंगन बाड़ी व भोजनमाताओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा और पक्की नौकरी के लिए।

15. र्मचारियों को नियमित करने व विभिन्न विभागों में आउट सोर्संगि से कर्मर्मचारियों की भर्ती के बजाय सीधी विभागीय भर्ती के लिए विधान सभा में संघर्ष करेंगे।
16. आपदा पीड़ितों को समुचित मुआवजे और आपदा प्रभावति गाँवों के पूर्ण सुविधाओं के साथ पुनर्वा नर्वास की व्यवस्था के लिए!

17. ग्राम समाज, पड़ती भूमि बंजर, भूदान व अन्य भूमि पर मकान बना कर रह रहे निर्धन र्धनर्धन परिवारों को मालि काना हक दि लाने के लिए!

18. फारेस्ट क्षेत्र से गाँवों तक जाने वाले लिंक मार्गों को खुलवा कर पक्का करवाने के लिए।

19. खेतों में जंगली जानवरों व आवा पशुओं से फसलों की चौकीदारी के लिए मन रेगा से कि सान को मजदूरी देने की व्यव स्था के लिए।

20. स्थानीय शिक्षित प्रशिक्षित बेरोजगार युवकों को स्वरोजगार के लिए 10 लाख रुपये तक ब्याज मुक्त लोन के लिए विधान सभा में प्राथमिकता से संघर्ष करेंगे।

21. घरेलू पेयजल, घरेलू विद्युत व किसानों को सिंचाई मुफ्त कराने के लिए।

22. सिड कुल में कार्यरत मजदूरों, उपनल कर्मियों, आशा, आंगन बाड़ी, भोजनमाताओं व सभी कामगारों को 21000 रूपया न्यूनन्यूनन्यून तम मासिक वेतन गा रंटी से लागू कराने के लिए।

23. दुग्ध उत्पा दकों का शोषण बंद करवाने तथा दूध उत्पादकों के दूध का उचित मूल्य प्रदान करने के लिए।

24. वन खत्तों के निवासियों को राजस्व गांव का दर्जा व मूलभूत योजनाओं को लाभ दिलाने के लिए! 25. विधायक निधि से गरीब व जरूरतमंद लोगों को प्राथमिकता में लाभ दिलाने के लिए।

26. स्कूल स्तर से ही खेल प्रतिभा निखारने के लिए समुचित व्यवस्था हेतु संघर्ष।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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