पिथौरागढ़: पिछले दिनों एक खबर सामने आई थी। भारत-चीन सीमा से लगे गांवों में लोगों को गैस सिलेंडर लोगों को 2500 से 3000 रुपये में पड़ रहा था। 900 रुपये के सिलेंडर के लिए लोगों को 1200 रुपये तक वाहन में लेजाने का किराया देना पड़ता है। ऐसा ही मामले सामने आया है। भारत-चीन सीमा पर बसे गांवों में महंगाई ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।
बुर्फू, लास्पा और रालम गांवों में लोगों को नमक, चीनी और अन्य सामान आठ गुना ज्यादा दामों पर खरीदना पड़ रहा है। हिन्दुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार मिलम के प्रधान गोकर्ण सिंह पांगती ने बताया कि मुनस्यारी में 20 रुपये किलो मिल रहा नमक सीमा के गांवों में 130 रुपये किलो के हिसाब से बिक रहा है। यही हाल चीनी और दूसरे सामान का भी है।
भारत-चीन सीमा पर हर साल मार्च से नवंबर तक तीन ग्रामसभाओं के 13 से ज्यादा तोक लोग गांव छोड़ देते हैं। इस दौरान सेना की कई चौकियों से भी सैनिक नीचे आ जाते हैं। ऐसे में ये लोग सीमीओं की सुरक्षा की भी जिम्मेदारी संभालते हैं। सेना को अहम जानकारियां देते रहते हैं। ग्रामीण महंगाई से त्रस्त हैं। सड़क से 52 से 73 किमी तक दूरी बसे ग्रामीणों का कहना है अगर सरकार उनके लिए उचित इंतजाम नहीं कर सकती तो भविष्य में माइग्रेशन मुश्किल होगा।
पैदल रास्ते टूट चुके हैं। इस कारण सभी सामान घोड़े और खच्चर वालों से खरीदना पड़ता है। पहले लोग खुद पैदल भी सामान लाते थे। कोरोना के बाद मजदूरों ने ढुलाई भाड़ा दोगुना कर दिया है। साल 2019 में प्रति किलो 40 से 50 रुपये भाड़ा था। अब ये 80 से 120 रुपये तक है। कोरोना के कारण नेपाल से आने वाले मजदूरों की संख्या काफी कम हो गई।
इतनी बढ़ गई महंगाई
सामान | 2019 | 2020 | 2021 |
नमक | 60 | 70 | 130 |
दाल मलका | 80 | 90 | 200 |
मोटा चावल | 50 | 80 | 150 |
चीनी | 70 | 90 | 150 |
तेल सरसों | 90 | 110 | 275 |
आटा | 50 | 70 | 150 |
प्याज | 60 | 90 | 125 |
स्रोत : Hindustan | ये कीमतें स्थानीय लोगों और | ग्राम प्रधानों ने बताई हैं। |
सप्लायर कुंदन सिंह ने बताया कि 54 साल से आईटीबीपी और माइग्रेशन गांवों में सप्लाई करता हूं। ऐसी महंगाई पहली बार देखी है। रास्ते खराब होने के कारण घोड़े-खच्चरों का ढुलाई भाड़ा बढ़ गया है। नेपाल मजदूरी नहीं मिल पा रहे हैं। यह भी महंगाई बढ़ने का बढ़ा कारण है। जिला पूर्ति अधिकारी चित्रा रौतेला ने कहा कि माइग्रेशन वालें गांवों को जोड़ने वाले रास्ते बंद होने से परेशानी बढ़ी है। ढुलाई भाड़ा बढ़ने से जरूरी सामान की कीमत में उछाल आना स्वाभाविक है।