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2027 विधानसभा चुनाव: कांग्रेस का मास्टरस्ट्रोक : तीन दिग्गजों को तीन बड़ी जिम्मेदारियां

उत्तराखंड की राजनीति में कांग्रेस हाईकमान ने बड़ा दांव खेला है। राष्ट्रिय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और महासचिव केसी वेणुगोपाल ने गणेश गोदियाल को उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) का अध्यक्ष नियुक्त किया। साथ ही, प्रीतम सिंह को चुनाव प्रचार समिति (कैंपेन कमिटी) और हरक सिंह रावत को चुनाव प्रबंधन समिति (इलेक्शन मैनेजमेंट कमिटी) की कमान सौंपी गई। निवर्तमान अध्यक्ष करण माहरा को कांग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC) में स्पेशल इनवाइट बनाकर सम्मानजनक विदाई दी गई। इसके अलावा, 27 नए जिला अध्यक्षों की नियुक्ति कर संगठन को जमीनी स्तर तक मजबूत करने का संदेश दिया गया।

यह फेरबदल कोई साधारण बदलाव नहीं, बल्कि 2027 विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की रणनीतिक तैयारी है। उत्तराखंड में बीजेपी की लगातार दूसरी सरकार के बावजूद जनता में असंतोष बढ़ रहा है। बेरोजगारी, पलायन, भ्रष्टाचार और UCC जैसे मुद्दों पर कांग्रेस हमलावर है। हाईकमान ने तीनों दिग्गजों को जोड़कर गुटबाजी खत्म करने और सभी क्षेत्रों में पकड़ मजबूत करने का प्लान बनाया है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह है। यह नियुक्तियां मिशन 2027 की मजबूत नींव हैं। अब देखना है कि तीन दिग्गज अपनी जिम्मेदारियां कैसे निभाते हैं और बीजेपी की सत्ता को चुनौती देते हैं या नहीं।

गणेश गोदियाल – PCC अध्यक्ष

गणेश गोदियाल उत्तराखंड कांग्रेस के अनुभवी नेता हैं। उन्होंने 2002 में थलीसैंण से पहली बार विधायक बनकर राजनीति में प्रवेश किया और भाजपा के दिग्गज रमेश पोखरियाल निशंक को हराया। 2012 में श्रीनगर से फिर जीते। 2021-2022 तक वह पहले भी PCC अध्यक्ष रह चुके हैं। हरीश रावत के करीबी माने जाने वाले गोदियाल गढ़वाल क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखते हैं। 2022 चुनाव में हार के बाद इस्तीफा देने वाले गोदियाल को हाईकमान ने दोबारा कमान सौंपकर भरोसा जताया है। वह संगठन को मजबूत बनाने और कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए जाने जाते हैं।

प्रीतम सिंह – कैंपेन कमिटी अध्यक्ष

प्रीतम सिंह कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ विधायकों में से एक हैं। चकराता से छह बार विधायक चुने गए। 1993 में पहली जीत के बाद 2002, 2007, 2012, 2017 और 2022 में लगातार सफलता। दो बार कैबिनेट मंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुके। नेता प्रतिपक्ष के रूप में बीजेपी सरकार पर तीखे हमले करते रहे। देहरादून जिले के मैदान और ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी मजबूत पैठ है, साथ उत्तरकाशी की यमुनाघाटी में मजबूत पकड़ रखते हैं।

हरक सिंह रावत – इलेक्शन मैनेजमेंट कमिटी अध्यक्ष

डॉ. हरक सिंह रावत उत्तराखंड के सबसे विवादास्पद लेकिन प्रभावशाली नेता हैं। 1991 में भाजपा से शुरूआत, उत्तर प्रदेश में सबसे कम उम्र के मंत्री बने। कई बार पार्टी बदली – भाजपा, बसपा, कांग्रेस, फिर भाजपा और 2022 में निष्कासित होने के बाद वापस कांग्रेस। कोटद्वार और रुद्रप्रयाग से विधायक, कई मंत्रालय संभाले। बूथ मैनेजमेंट और संसाधन प्रबंधन में माहिर। उनकी वापसी से कांग्रेस को गढ़वाल के पहाड़ व मैदानी दोनों क्षेत्र में फायदा मिलेगा।

राजनीतिक विश्लेषण: क्यों है यह मास्टरस्ट्रोक?

क्षेत्रीय संतुलन और गुटबाजी का अंत: गोदियाल गढ़वाल, प्रीतम मैदान-ग्रामीण और हरक सिंह रावत प्लेन्स-गढ़वाल में मजबूत। तीनों अलग-अलग गुटों से हैं, उन्हें जोड़कर हाईकमान ने एकता का संदेश दिया। पहले गुटबाजी से 2022 में हार हुई थी, अब धड़ेबाजी खत्म होने की उम्मीद।

चुनावी तैयारी की मजबूती: जिला अध्यक्षों की एकसाथ नियुक्ति पहली बार हुई। बूथ स्तर तक संगठन मजबूत होगा। 2025 निकाय चुनाव में भाजपा की जीत के बाद कांग्रेस को झटका लगा था, अब 2027 के लिए रणनीति तैयार।

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