Friday , 13 June 2025
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उत्तराखंड में जर्जर हैं 2210 स्कूल : हर साल मॉनसून में बह जाते हैं शिक्षा विभाग के खोखले दावे

देहरादून: उत्तराखंड में हर विभाग मॉनसून आने से पहले सभी तरह की तैयारियों को पूरा करने का दम भरते हैं। बड़े-बड़े दावे भी करते हैं। लेकिन, जब मॉनसून आता है, तो हालत वही होते हैं, जो पिछले कई सालों से चले आ रहे हैं। ऐसा ही हाल उत्तराखंड के शिक्षा विभाग का भी है। मॉनसून या अन्य मौसम में जब भी बादल बरसते हैं, उनके साथ शिक्षा व्यवस्था के खोखले दावे भी बह जाते हैं।

मॉनसून के आते ही एक बार फिर राज्य के सरकारी स्कूलों की पढ़ने वाले बच्चों और अभिभावकों की चिंता फिर बढ़ने लगी है। राज्य के 15,873 सरकारी स्कूलों में से 2,210 स्कूल जर्जर हालत में हैं। ये न सिर्फ शिक्षा में बाधा बन रहे हैं, बल्कि बच्चों की जान के लिए भी खतरा बनते जा रहे हैं।

  • पौड़ी जिले में 330 स्कूल सबसे खराब हालत में हैं।

  • चंपावत जिले में 90 स्कूल जर्जर स्थिति में हैं।

बारिश के दिनों में पहाड़ों के सैकड़ों स्कूलों में कक्षा के अंदर पानी टपकता है, दीवारें गिरती हैं, छतें दरक जाती हैं। कई जगह बच्चे चोटिल भी हुए हैं, लेकिन सिस्टम का रवैया अब भी होगा तो देखेंगे वाला बना हुआ है। शिक्षा विभाग हर साल दावा करता है कि मॉनसून से पहले सभी स्कूलों की मरम्मत की जाएगी। लेकिन, हकीकत यह है कि पिछले साल की तरह एक बार फिर से वही दावा फिर से दोहराया जाएगा।

  • 3,691 स्कूलों में बाउंड्री वॉल नहीं।

  • 547 स्कूलों में बॉयज़ टॉयलेट नहीं।

  • 361 स्कूलों में गर्ल्स टॉयलेट नहीं।

  • 130 स्कूलों में पीने का पानी तक नहीं।

माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती का कहना है कि सिर्फ 18 स्कूलों को ‘D’ श्रेणी में रखा गया है, यानी वे पूरी तरह खतरनाक हैं। इनमें से 6 स्कूलों की DPR (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार हो चुकी है और बजट भी जारी किया गया है।

स्कूलों की स्थिति

जिला कुल स्कूल जर्जर स्कूल प्रतिशत (%)
पौड़ी 1920 330 17.2%
अल्मोड़ा 1646 279 16.95%
उत्तरकाशी 1044 110 10.53%
चमोली 1294 115 8.89%
रुद्रप्रयाग 750 103 13.73%
टिहरी गढ़वाल 1395 194 13.91%
देहरादून 1248 187 14.98%
हरिद्वार 929 123 13.24%
नैनीताल 1311 155 11.82%
ऊधम सिंह नगर 1092 133 12.18%
बागेश्वर 746 91 12.2%
चंपावत 654 90 13.76%
पिथौरागढ़ 1395 194 13.91%

Output imagedata source :Etv Bharat

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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